रांची : नियोजन नीति और हाइस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति को बचाने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी की जा रही है. सरकार सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर कर झारखंड हाइकोर्ट के 21 सितंबर 2020 के आदेश को चुनाैती देगी. महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बताया कि सरकार की अनुमति से शीघ्र ही सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया जायेगा.
यह भी कहा कि प्रार्थी सत्यजीत कुमार की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश स्वागतयोग्य है. हाइकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में लागू किये गये नियोजन नीति को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया है.
नीति के तहत राज्य के 13 अनुसूचित जिलों के सभी तृतीय व चतुर्थवर्गीय पदों को उसी जिले के स्थानीय निवासियों के लिए आरक्षित किया गया था. इस नीति के आलोक में वर्ष 2016 में शुरू संयुक्त स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित हाइस्कूल शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा के तहत अनुसूचित जिलों के लिए चयनित 3684 अभ्यथियों को शिक्षक पद पर नियुक्त किया गया था.
क्या है मामला
उनकी नियुक्ति को हाइकोर्ट ने निरस्त कर दिया. कहा कि अनुसूचित जिलों के 8423 शिक्षक पदों पर नये सिरे से बहाली की प्रक्रिया शुरू की जाये. शेष 11 गैर अनुसूचित जिलों में की गयी नियुक्तियों को बरकरार रखा. साथ ही गैर अनुसूचित जिलों में शेष विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आगे बढ़ने का आदेश दिया.
वर्ष 2016 में नियोजन नीति बनने के बाद उसके आधार पर हाइस्कूलों में 17,572 शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है. वर्ष 2016 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने विज्ञापन निकाला था. 24 जिलों को दो श्रेणी (13 जिले अनुसूचित जिला व 11 जिले गैर अनुसूचित) में बांटा गया.
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