झारखंड में लगभग पांच हजार करोड़़ रूपये का हिसाब नहीं मिल रहा है . इस पर एजी ने चिंता जताई है और सरकार को पत्र लिखकर आगे की कार्रवाई को कहा गया है.
क्या है मामला
किसी योजना या गैर योजना के लिए राशि ली जाती है तो इसे एसी बिल कहा जाता है. उसका हिसाब जमा करना डीसी बिल कहलाता है. झारखंड में एसी यानि अग्रिम राशि और डीसी यानि निष्पादन राशि के बिल के हिसाब किताब में बड़ा गोलमाल है. जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 52 सौ करोड़ रुपए का हिसाब नहीं है. पैसा लिया गया है, इसका आंकड़ा तो है, लेकिन खर्चा हुआ या नहीं, इसका कोई हिसाब किताब नहीं है. एजी ने मामले में राज्य सरकार को याद दिलाया है और डीसी बिल यानी खर्च का ब्यौरा देने को कहा है.अर्थशास्री डॉ हरीश्वर दयाल कहते हैं कि खर्च का ब्यौरा देने में इतनी देर सही नहीं है. यह एकाउंटिंग की लापरवाही है.
इन विभागों के पास नहीं हिसाब
ग्रामीण, शिक्षा, कल्याण, ऊर्जा, समाज कल्याण जैसे विभागों में सबसे अधिक राशि फंसी हुई है. ग्रामीण विकास विभाग में लगभग 22 सौ करोड़ से अधिक की राशि का हिसाब किताब नहीं है. विभागीय मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा कहते हैं कि इस संबंध में कार्रवाई हो रही है.
बहरहाल, झारखंड सरकार को ए जी से पत्र मिला है. इसके बाद वित्त विभाग ने सभी संबंधित विभागों के सचिवों को पत्र देकर जल्द से जल्द डी सी बिल जमा करने को कहा है. अब देखना होगा कि विभाग अपने खर्चों का ब्यौरा कब तक पेश करते हैं.
क्या है मामला
किसी योजना या गैर योजना के लिए राशि ली जाती है तो इसे एसी बिल कहा जाता है. उसका हिसाब जमा करना डीसी बिल कहलाता है. झारखंड में एसी यानि अग्रिम राशि और डीसी यानि निष्पादन राशि के बिल के हिसाब किताब में बड़ा गोलमाल है. जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में लगभग 52 सौ करोड़ रुपए का हिसाब नहीं है. पैसा लिया गया है, इसका आंकड़ा तो है, लेकिन खर्चा हुआ या नहीं, इसका कोई हिसाब किताब नहीं है. एजी ने मामले में राज्य सरकार को याद दिलाया है और डीसी बिल यानी खर्च का ब्यौरा देने को कहा है.अर्थशास्री डॉ हरीश्वर दयाल कहते हैं कि खर्च का ब्यौरा देने में इतनी देर सही नहीं है. यह एकाउंटिंग की लापरवाही है.
इन विभागों के पास नहीं हिसाब
ग्रामीण, शिक्षा, कल्याण, ऊर्जा, समाज कल्याण जैसे विभागों में सबसे अधिक राशि फंसी हुई है. ग्रामीण विकास विभाग में लगभग 22 सौ करोड़ से अधिक की राशि का हिसाब किताब नहीं है. विभागीय मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा कहते हैं कि इस संबंध में कार्रवाई हो रही है.
बहरहाल, झारखंड सरकार को ए जी से पत्र मिला है. इसके बाद वित्त विभाग ने सभी संबंधित विभागों के सचिवों को पत्र देकर जल्द से जल्द डी सी बिल जमा करने को कहा है. अब देखना होगा कि विभाग अपने खर्चों का ब्यौरा कब तक पेश करते हैं.
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