रांची: राज्य के विश्वविद्यालयों के अंतर्गत महाविद्यालयों में व्याख्याता की नियुक्ति में विलंब हो सकता है. सरकार नियुक्ति के लिए प्रयासरत है, लेकिन तकनीकी पेच के कारण यह फिलहाल संभव नहीं हो पा रहा है.
राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का मामला भी फिलहाल स्थगित कर दिया है.
झारखंड सरकार ने आयोग के गठन से संबंधित जानकारी के लिए अपने अधिकारियों को बिहार भेजा था, लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. राज्य सरकार अब व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के माध्यम से कराने का निर्णय लिया है. विवि के संशोधित एक्ट के तहत व्याख्याता नियुक्ति में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण उम्मीदवार ही शामिल हो सकते हैं. सरकार का मानना है कि नेट में झारखंड के विद्यार्थी शामिल नहीं हो पा रहे हैं.
ऐसे में राज्य में झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) की अनिवार्यता होगी. आयोग ने जेट के लिए यूजीसी के नियमों का हवाला देकर सरकार को इससे अवगत करा दिया है. जेट के लिए यूजीसी से अनुमति लेनी आवश्यक है, जबकि वर्ष 2007 में हुई पहली झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का मामला अभी तक सीबीआइ के पास जांच के लिए लंबित है. ऐसे में यूजीसी दूसरी झारखंड पात्रता परीक्षा के लिए अनुमति देगा या नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है.
वहीं दूसरी अोर झारखंड के कई उम्मीदवार व विधायक व्याख्याता नियुक्ति में पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों को शामिल कराने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसके लिए सरकार को विवि एक्ट में संशोधन कराना होगा. यूजीसी से अनुमति लेने, एक्ट में संशोधन कराने में एक बार फिर विलंब होना निश्चित है, जबकि सरकार की अोर रांची विवि को छोड़कर अन्य विवि में शिक्षक नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर कर दिया है.
राज्य सरकार ने विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का मामला भी फिलहाल स्थगित कर दिया है.
झारखंड सरकार ने आयोग के गठन से संबंधित जानकारी के लिए अपने अधिकारियों को बिहार भेजा था, लेकिन उन्हें बैरंग लौटना पड़ा. राज्य सरकार अब व्याख्याता की नियुक्ति झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) के माध्यम से कराने का निर्णय लिया है. विवि के संशोधित एक्ट के तहत व्याख्याता नियुक्ति में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) उत्तीर्ण उम्मीदवार ही शामिल हो सकते हैं. सरकार का मानना है कि नेट में झारखंड के विद्यार्थी शामिल नहीं हो पा रहे हैं.
ऐसे में राज्य में झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) की अनिवार्यता होगी. आयोग ने जेट के लिए यूजीसी के नियमों का हवाला देकर सरकार को इससे अवगत करा दिया है. जेट के लिए यूजीसी से अनुमति लेनी आवश्यक है, जबकि वर्ष 2007 में हुई पहली झारखंड पात्रता परीक्षा (जेट) का मामला अभी तक सीबीआइ के पास जांच के लिए लंबित है. ऐसे में यूजीसी दूसरी झारखंड पात्रता परीक्षा के लिए अनुमति देगा या नहीं, इसे लेकर संशय बना हुआ है.
वहीं दूसरी अोर झारखंड के कई उम्मीदवार व विधायक व्याख्याता नियुक्ति में पीएचडी उत्तीर्ण उम्मीदवारों को शामिल कराने के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसके लिए सरकार को विवि एक्ट में संशोधन कराना होगा. यूजीसी से अनुमति लेने, एक्ट में संशोधन कराने में एक बार फिर विलंब होना निश्चित है, जबकि सरकार की अोर रांची विवि को छोड़कर अन्य विवि में शिक्षक नियुक्ति के लिए रोस्टर क्लियर कर दिया है.
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