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एसएन पाठक और राजेश शंकर झारखंड हाई कोर्ट के नए जज

रांची। वरीय अधिवक्ता डॉ. शिवानंद पाठक और राजकीय अधिवक्ता राजेश शंकर ने शुक्रवार को झारखंड हाई कोर्ट के अपर जज का पदभार ग्रहण किया। इसके पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वीरेदर सिंह दोनों नवनियुक्त जजों को हाई कोर्ट परिसर स्थित ह्वाइट हाल मे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इस अवसर पर हाई कोर्ट के सभी जज और अधिवक्ता मौजूद थे। इन दोनो जजो के कार्यभार ग्रहण करने के साथ ही झारखंड हाई कोर्ट मे जजो की संख्या तेरह से बढ़कर पंद्रह हो गई। हाई कोर्ट मे जजो के 25 पद स्वीकृत है, जिनमे 19 स्थायी और छह अपर जज के पद हैं। अगले माह मुख्य न्यायाधीश सेवानिवृला हो जाएंगे।
शपथ ग्रहण समारोह मे हाई कोर्ट के सभी जज, मंत्री सरयू राय, महाधिवक्ता विनोद पोद्दार, अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश, अजित कुमार, डीजीपी डीके पांडेय, एडीजीपी रेजी डुंगडूंग, बार कौसिल के चेयरमैन राजीव रंजन, वाइस चेयरमैन राजेश कुमार शुक्ल, वरीय अधिवक्ता पीसी त्रिपाठी, सोहेल अनवर, दोनो जजो के परिवार के सदस्य सहित सैकड़ो अधिवक्ता मौजूद थे। शपथ ग्रहण के ठीक बाद चीफ जस्टिस वीरेदर सिंह के साथ राजेश शंकर और जस्टिस डीएन पटेल के साथ जस्टिस पाठक ने डिवीजन बेच मे बैठकर कई मामलो की सुनवाई की।
प्रोफाइल : एसएन पाठक
बिहार के बक्सर जिले मे इनका जन्म 15 जनवरी 1963 को हुआ था। पटना विश्र्वविद्यालय से उन्होने इतिहास विषय मे 1985 मे एमए की डिग्री प्राप्त करने के बाद 1988 मे एलएलबी और बाद मे कानून मे पीएचडी की डिग्री ली। 26 अगस्त 1988 को उनका बतौर अधिवक्ता पंजीयन हुआ था और कुछ काल तक उन्होने आरपीएस लॉ कालेज पटना मे अंशकालीन व्याख्याता के बतौर कार्य किया था। बिहार बंटवारे के बाद पटना उच्च न्यायालय छोड़कर वे झारखंड उच्च न्यायालय मे प्रैक्टिस करने लगे। सेवा संबंधी मुकदमो के अलावा संवैधानिक मामलो के वे विशेषज्ञ माने जाते है। पुलिस मामलो मे भी उनको विशेषज्ञता हासिल है।
उनको फुल बेच मे भी दलीले रखने की छूट मिली हुई थी। तत्कालीन आइजी निर्मला चौधरी बनाम बीवी राव केस मे उनकी पैरवी का ही फल था कि निर्मला चौधरी दोषी पाई गई थी। झारखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वे छह वर्षो तक सेक्रेटरी जनरल भी रहे। कैट-रांची मे उनको एडिशनल स्टैडिंग कौसल नियुक्त किया गया था। दक्षिण-पूर्व रेलवे के वे 15 वर्षो तक वकील रहे। जेपीएससी, बीसीसीएल, बीएसआरटीसी, झारखंड खादी बोर्ड, नीलांबर-पीतांबर विश्र्वविद्यालय आदि ने भी उन्हे अपना वकील नियुक्त किया था। वे झालसा तथा झारखंड हाई कोर्ट की लीगल एड कमेटी के एक्जक्यूटिव मेबर भी रह चुके है। सारंडा क्षेत्र मे अवैध खनन और बहुचर्चित पुनासी डैम मामले मे भी वे पैरवी कर चुके है। कई सांसदो और केद्रीय मंत्रियो के मामले मे भी वे बतौर वकील पैरवी कर चुके है। 2010 मे उनको वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर मान्यता मिली थी।
राजेश शंकर
गिरिडीह जिले के सिंहडीह निवासी राजेश शंकर का जन्म 16 दिसंबर 1970 को हुआ था। उनके पिता (स्व) लक्ष्मी नारायण सिंह बिहार विला सेवा के अधिकारी थे। राजेश शंकर ने संत जॉन्स स्कूल-रांची से 1985 मे मैट्रिकुलेशन किया था। उस बैच के वे टॉपर रहे थे। उन्होने दिल्ली विश्र्वविद्यालय के प्रतिष्ठित ¨हदू कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। बाद मे उन्होने दिल्ली विश्र्वविद्यालय से ही एलएलबी की उपाधि प्राप्त की। पटना हाई कोर्ट की रांची बेच मे उन्होने 1995 मे बतौर अधिवक्ता अपनी प्रैक्टिस प्रारंभ की थी। बाद मे उन्हे झारखंड सरकार का स्टैडिंग कौंसल और सरकारी अधिवक्ता बनने का भी अवसर प्राप्त हुआ। झारखंड बिजली बोर्ड, जेपीएससी, राज्य के विश्र्वविद्यालयो के कुलाधिपति सह राज्यपाल, सीएसआइआर आदि की ओर से उनको पैरवी करना का अवसर प्राप्त हो चुका है।

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