सरकार की ओर से अंग्रेजी माध्यम की तर्ज पर सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षा देने के मॉडल स्कूल बनाया गया था। चौपारण में तीन करोड़ की लागत से बने मॉडल स्कूल में 35 कमरे हैं। यहां छह से 12वीं तक के 223 बच्चे नामांकित हैं। मगर इतने बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेवारी मात्र एक शिक्षक के कंधे पर है। 12 वर्ष बाद भी मॉडल स्कूल एक संविदा शिक्षक राजकुमार सिंह के सहारे चल रहा है। प्रखंडस्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा से क्लास छह में 40 बच्चों का हर वर्ष नामांकन होता है।
मॉडल स्कूल अस्थायी संसाधनों के भरोसे चल रहा है। प्राचार्य सहित 11 शिक्षको की जगह 12 वर्षो से एक संविदा शिक्षक राजकुमार सिंह ही इसे संभाल रहे हैं। स्थापना काल से ही मॉडल स्कूल में प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई है। तीन शिक्षक प्रशांत कुमार, रूपेश कुमार और विनीता कुमारी का प्रतिनियुक्ति हुई है। एक शिक्षक नीतीश कुमार की सप्ताह में तीन दिन की प्रतिनियुक्त है।
11वीं और 12वीं के बच्चे नहीं आते स्कूल, नहीं है विज्ञान लैब:
मॉडल स्कूल में शिक्षण व्यवस्था शिक्षकों की कमी के कारण चौपट है। स्कूल में नामांकित 11वीं और 12वीं के बच्चे नहीं आते हैं। स्कूल में बच्चो के लिए बेंच-डेक्स नहीं है। इतना ही नहीं मॉडल स्कूल में क्लास छह में पढ़ने वाले बच्चे आज भी जमीन पर बैठ रहे हैं। कंप्यूटर लैब है, लेकिन साइंस बढ़ने वाले बच्चों के लिए विज्ञान लैब नहीं है। हालांकि लैब के लिए भवन बना है। बिजली पानी की व्यवस्था है।
भौगोलिक परिदृश्य भी सही नहीं
हजारीबाग-चतरा जिले के सीमावर्ती दैहर और झारखंड-बिहार के सीमावर्ती चोरदाहा और भगहर भंडार का विद्यालय की दूरी 25 से 35 किमी है। ऐसी स्थिति में हर दिन बच्चे बिना संसाधन का जान जोखिम में डाल कर विद्यालय आ रहे हैं। जीटी रोड से छह सौ मीटर दूर बिना रास्ते के खेत और पगडंडी के सहारे बच्चे विद्यालय पहुंच रहे हैं। विद्यालय द्वारा संसाधन नहीं रहने के कारण कभी भी बड़ी हादसा की स्थिति बनी रहती है।
कोट
जिले में पांच मॉडल स्कूल हैं। बरही, बरकट्ठा, चौपारण, इचाक और विष्णुगढ़ सभी में समस्याएं हैं। समस्याओं के समाधान करने की कोशिश की जा रही है। उम्मीद है जल्द इसमें सुधार होगा
उपेंद्र नारायण
डीइओ हजारीबाग
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