Jharkhand News: राज्य के पारा शिक्षक (सहायक अध्यापक) फिर आंदोलन करेंगे. मोरहाबादी व विधानसभा मैदान में रविवार को पारा शिक्षक संगठनों की अलग-अलग बैठक हुई. इसमें बकाया मानदेय भुगतान और वेतनमान की मांग को लेकर आंदोलन की घोषणा की गयी. इससे पहले वर्ष 2018 में राज्य भर के पारा शिक्षकों ने अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन किया था.
बैठक कर आंदोलन का लिया निर्णय
पुराना विधानसभा परिसर में रविवार को सामुदायिक सहायक अध्यापक प्रशिक्षित संघ व झारखंड राज्य सहयोगी शिक्षक संघ की संयुक्त बैठक हुई. इसमें सहायक अध्यापक को वेतनमान देकर आकलन परीक्षा लेने की मांग की गयी. वहीं, प्रमाणपत्र सत्यापन के नाम पर मानदेय रोके जाने का विरोध किया गया. मांग गयी कि अगर 15 सितंबर तक बकाया मानदेय का भुगतान नहीं किया गया, तो 19 सितंबर को पारा शिक्षक झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय का घेराव करेंगे. बैठक में विनोद बिहारी महतो, विनोद तिवारी, नरोत्तम सिंह मुंडा, वैजनाथ महतो, विकास कुमार सुशील पांडे, विशेश्वर भगत आदि शामिल थे.
21 को शिक्षा परियोजना के समक्ष प्रदर्शन
एकीकृत सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा की राज्य कमेटी की बैठक मोरहाबादी मैदान में हुई. बैठक में दिसंबर में सरकार के साथ हुए समझौता के अनुरूप पारा सभी सुविधा देने की मांग की गयी. वक्ताओं ने कहा कि समझौता के अनुरूप अब तक न तो आकलन परीक्षा ली गयी और न ही मानदेय में बढ़ोतरी हुई है. मानदेय में बढ़ोतरी की जगह दो माह का मानदेय भुगतान रोक दिया गया है. जुलाई व अगस्त माह के मानदेय का भुगतान एक सप्ताह में करने की मांग की गयी. वेतनमान समतुल्य मानदेय देने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए जल्द बैठक बुलाने की मांग शिक्षा विभाग से की गयी. मोर्चा ने सेवा शर्त नियमावली में संशोधन करते हुए अनुकंपा पर नौकरी देने के प्रावधान को शिथिल करने, शिक्षकों को इपीएफ देने, सीटेट को शामिल करने, झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा नियमावली में संशोधन करने की मांग की. मांगें पूरी नहीं होने 21 सितंबर को झारखंड शिक्षा परियोजना कार्यालय का घेराव करने का निर्णय किया गया. बैठक में संजय दुबे, हृषिकेश पाठक, दरशथ ठाकुर, प्रद्युम्न सिंह, नीलांबर मंडल, संतोष पंडित, वीरेंद्र राय समेत अन्य शामिल थे.
प्रमाण पत्र सत्यापन न होने से फंसा मानदेय
पारा शिक्षकों की सेवा शर्त नियामवली के अनुसार, शिक्षक पात्रता परीक्षा सफल शिक्षकों के मानदेय में 50 फीसदी व अन्य शिक्षकों के मानदेय में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की गयी है. नियमावली के अनुसार, मानदेय में बढ़ोतरी के पूर्व प्रमाणपत्र का सत्यापन अनिवार्य है. शिक्षकों को बिना प्रमाणपत्र सत्यापन के ही बढ़े मानदेय का भुगतान किया जा रहा था. मामला संज्ञान में आने के बाद जुलाई व अगस्त के मानदेय का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. शिक्षकों का कहना है कि नियमावली में 15 दिनों के अंदर प्रमाणपत्र सत्यापन करने निर्देश दिया गया था. इसकी जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधीक्षक और प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को दी गयी है.
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