Ranchi : झारखंंड में बेरोजगारों को नौकरी देने के नाम पर मजाक भी खूब चल रहा है. नियुक्ति वर्ष का नाम देकर सरकार ने वाहवाही तो खूब लूटी, पर जब नौकरी देने की बारी आयी तो योग्यता निर्धारित कर उनका अपमान कर रही है.
पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की ओर से निकाली गयी वेकेंसी का एक विज्ञापन पूरी कहानी कह रहा है. बस इतना समझ लीजिए कि जिस सरकार ने बीपीएड की योग्यता के आधार पर जिला खेल पदाधिकारी बना दिया, वही सरकार इसी योग्यता के आधार पर स्ट्रेचर खींचने की नौकरी देने का विज्ञापन निकाल रही है.
क्या है विज्ञापन में:
पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की ओर से वाक इन इंटरव्यू के आधार पर हेल्थ पर्सनल्स की नियुक्ति का विज्ञापन निकाला गया है. इस विज्ञापन के माध्यम से 10 विभिन्न पदों पर नियुक्ति की जानी है. इस विज्ञापन के क्रम संख्या नौ में स्ट्रेचर बेरर यानी स्ट्रेचर खींचने वाले के पद का जिक्र है. विज्ञापन में इसकी योग्यता निर्धारित करते हुए लिखा गया है कि इस पद के लिए आवश्यक योग्यता मैट्रिक/डिग्री/डिप्लोमा/ग्रेजुएशन है. इसी में एक अन्य योग्यता बीपीएड की भी है. इस पद पर नियुक्ति के लिए बीपीएड की योग्यता के साथ किसी अस्पताल में एक साल का काम का अनुभव रखने वाले भी आवेदन कर सकते हैं.
बताते चलें कि बीपीएड योग्यताधारी स्नातक प्रशिक्षित शिक्षक के बराबर की
योग्यता रखते हैं. इनकी नियुक्ति हाई और प्लस टू स्कूलों में बतौर शारीरिक
शिक्षक होती है. लेकिन विज्ञापन के अनुसार पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन को
लगता है कि यह योग्यता रखने वाले अस्पतालों में स्ट्रेचर बेरर बन सकते हैं.
जहां इनकी सैलेरी मात्र 10 हजार रूपये होगी.
इसी योग्यता से बन गये स्पोर्ट्स अफसरः
आलम यह है कि पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन जिस योग्यता के आधार पर स्ट्रेचर बेरर यानी स्ट्रेचर खींचने वाले की नियुक्ति कर रहा है. उसी योग्यता के आधार पर झारखंड लोक सेवा आयोग की ओर से परीक्षा लेकर राज्य के सभी जिलों में स्पोर्ट्स अफसर की नियुक्ति की गयी है. राज्य में हाल में हुए 24 स्पोर्ट्स ऑफिसर की नियुक्ति की योग्यता की शर्तों में एक शर्त बीपीएड भी था. यानी झारखंड में बीपीएड करने के बाद आप अधिकारी भी बन सकते हैं और स्ट्रेचर बेरर यानी स्ट्रेचर खींचने वाला भी.
इसी झारखंड राज्य में इसी बीपीएड की योग्यता के आधार पर 35 हजार शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति की अनुशंसा की गयी है. तत्कालीन शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए बीते साल अक्तूबर महीने में प्राइमरी, मिडिल और हाई स्कूलों में (पहली से दसवीं क्लास तक) एक-एक शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की बात कही थी. सीबीएसइ और आईसीएसइ स्कूलों में इसी योग्यता के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति की जाती है.
शारीरिक शिक्षकों का कर रहे अपमानः
झारखंड बीपीएड डिप्लोमा संघ ने कहा कि इस तरह का विज्ञापन निकालकर शारीरिक शिक्षकों का घोर अपमान किया गया है. शारीरिक शिक्षक प्रवीण कुमार सिंह ने कहा कि हम सरकार से कहना चाहते हैं कि इस महामारी में हम सारे बेरोजगार शारीरिक शिक्षक निशुल्क सेवा देने के लिए तैयार हैं. पर सरकार इस तरह से हमारा अपमान न करे. बताते चलें कि राज्य में लगभग आठ हज़ार बीपीएड योग्यताधारी हैं जो स्थायी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं.
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