मुख्यमंत्री सचिवालय के निर्देश के बावजूद झारखंड में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाने की दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. नियमावली नहीं बनने से वित्तरहित संस्थानों के लगभग 10,000 शिक्षक व कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. विगत 20-25 वर्षों से शिक्षक व कर्मचारी बिना वेतन के ही काम कर रहे हैं. इनके सामने भुखमरी की स्थिति आ गयी है. करोना काल में इनकी आर्थिक स्थिति आैर भी काफी खराब हो गयी.
शिक्षा विभाग के सचिव ने कार्मिक को लिखा था पत्र
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के सचिव ने 11 अक्टूबर 2021 को कार्मिक विभाग को पत्र लिखा था. यह पत्र वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त कर नियमावली बनाकर वित्तरहित शिक्षक आैर कर्मचारियों की सेवा सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतनमान देने के संबंध में था. मुख्यमंत्री सचिवालय ने भी स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा था. इसके बाद कार्मिक को पत्र भेजते हुए वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करने की दिशा में समुचित कार्यवाही करने को कहा गया था, लेकिन किसी प्रकार की कार्यवाही अब तक नहीं की गयी है.
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में की थी घोषणा
विधायक दीपिका पांडेय सिंह के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विधानसभा में आश्वासन देते हुए कहा था कि प्रशासनिक आयोग का गठन हो चुका है. राज्य में बहुत से कर्मचारी कॉन्ट्रैक्ट पर व वित्तरहित शिक्षा नीति के तहत काम कर रहे हैं. सरकार इस पर त्वरित कार्रवाई करेगी. प्रशासनिक आयोग की अनुशंसा प्राप्त होते ही इस पर नियमावली बनाकर सरकारी संवर्ग में करते हुए वेतनमान दिया जायेगा.
2 अक्टूबर के बाद होगा मोर्चा का आंदोलन
झारखंड वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा की बैठक में दो अक्टूबर के बाद आंदोलन करने का निर्णय लिया गया. इससे पहले मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव व कार्मिक के प्रधान सचिव को ज्ञापन साैंपेगा. इस अवसर पर सुरेंद्र झा, रघुनाथ सिंह, संजय कुमार, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादिर अहमद, नरोत्तम सिंह, मनीष कुमार, अरविंद कुमार सिंह, बालेश्वर यादव, विजय झा उपस्थित थे.
रिपोर्ट - राणा प्रताप, रांची
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