देवघर : बगैर शिक्षक के शिक्षा हो या फिर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, इसकी
कल्पना अधूरी है। विभाग ने भी इसे महसूस किया है और फिर से शिक्षकों को
गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्त रखने की दिशा में पहल की गई है।
इस संबंध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विद्यालय में संचालित विभिन्न योजनाओं से शिक्षक अलग रहते हुए केवल क्लास रूम में रहेंगे। कहने का तात्पर्य है कि गैर शैक्षणिक कार्य के बजाय अब शिक्षक छात्रों के पठन-पाठन पर ध्यान दें।
क्या है दिशा-निर्देश
शिक्षा सचिव की ओर से जारी दिशा निर्देश के मुताबिक मध्याह्न भोजन योजना सरस्वती वाहिनी के हवाले कर देना है। निर्देश के मुताबिक प्रखंड व संकुल साधनसेवियों को भी काम बढ़ गया है। स्कूल संबंधित रिपोर्टिग करने के अलावा शिक्षकों को विभागीय कार्यालय का भी चक्कर लगाना पड़ता था, लेकिन अब बीआरपी व सीआरपी स्कूल की विभिन्न रिपोर्टिंग का काम करेंगे। बेंच-डेस्क, भवन निर्माण व पोशाक क्रय सहित अन्य कार्यों से भी शिक्षकों को मुक्त करते हुए इसे विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व विद्यालय के जागरूक अभिभावक को सौंपने का निर्देश दिया गया है। सचिव के इस निर्देश से शिक्षकों में भी हर्ष का माहौल है।
पूर्व में भी जारी हो चुका है निर्देश
15 अप्रैल 2015 को भी सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने प्रमंडलीय आयुक्त व उपायुक्त को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया है कि शिक्षा में गुणात्मक विकास के लिए शिक्षकों द्वारा सुचारू रूप से विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य का निष्पादन किया जाना चाहिए। इसलिए छात्रहित को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाए। अगर बहुत जरूरी हो तो मानव संसाधन विकास विभाग की अनुमति से ही शिक्षकों को अल्पअवधि के लिए गैर शैक्षणिक में लगाने संबंधित भी निर्देश जारी किया गया था। हालांकि प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने का विरोध किया जा रहा है। ऐसे में देखना है कि यह निर्देश कितना प्रभावी है।
वर्जन
सरकार के निर्देश का अनुपालन अति आवश्यक है। शिक्षा सचिव का निर्देश प्राप्त हुआ है। इस पर शीघ्र ही अमल शुरू कर दिया जाएगा।
छठू विजय ¨सह, जिला शिक्षा अधीक्षक सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, देवघर
प्रदीप ¨सह
इस संबंध में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विद्यालय में संचालित विभिन्न योजनाओं से शिक्षक अलग रहते हुए केवल क्लास रूम में रहेंगे। कहने का तात्पर्य है कि गैर शैक्षणिक कार्य के बजाय अब शिक्षक छात्रों के पठन-पाठन पर ध्यान दें।
क्या है दिशा-निर्देश
शिक्षा सचिव की ओर से जारी दिशा निर्देश के मुताबिक मध्याह्न भोजन योजना सरस्वती वाहिनी के हवाले कर देना है। निर्देश के मुताबिक प्रखंड व संकुल साधनसेवियों को भी काम बढ़ गया है। स्कूल संबंधित रिपोर्टिग करने के अलावा शिक्षकों को विभागीय कार्यालय का भी चक्कर लगाना पड़ता था, लेकिन अब बीआरपी व सीआरपी स्कूल की विभिन्न रिपोर्टिंग का काम करेंगे। बेंच-डेस्क, भवन निर्माण व पोशाक क्रय सहित अन्य कार्यों से भी शिक्षकों को मुक्त करते हुए इसे विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष व विद्यालय के जागरूक अभिभावक को सौंपने का निर्देश दिया गया है। सचिव के इस निर्देश से शिक्षकों में भी हर्ष का माहौल है।
पूर्व में भी जारी हो चुका है निर्देश
15 अप्रैल 2015 को भी सरकार के तत्कालीन मुख्य सचिव राजीव गौबा ने प्रमंडलीय आयुक्त व उपायुक्त को पत्र लिखकर यह निर्देश दिया है कि शिक्षा में गुणात्मक विकास के लिए शिक्षकों द्वारा सुचारू रूप से विद्यालयों में शैक्षणिक कार्य का निष्पादन किया जाना चाहिए। इसलिए छात्रहित को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में नहीं लगाया जाए। अगर बहुत जरूरी हो तो मानव संसाधन विकास विभाग की अनुमति से ही शिक्षकों को अल्पअवधि के लिए गैर शैक्षणिक में लगाने संबंधित भी निर्देश जारी किया गया था। हालांकि प्रारंभिक शिक्षक संघ की ओर से भी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने का विरोध किया जा रहा है। ऐसे में देखना है कि यह निर्देश कितना प्रभावी है।
वर्जन
सरकार के निर्देश का अनुपालन अति आवश्यक है। शिक्षा सचिव का निर्देश प्राप्त हुआ है। इस पर शीघ्र ही अमल शुरू कर दिया जाएगा।
छठू विजय ¨सह, जिला शिक्षा अधीक्षक सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, देवघर
प्रदीप ¨सह
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