रांची (जागरण संवाददाता) । प्रदेश के 510 प्लस टू स्कूलों में अब तक स्थायी प्राचार्यों की नियुक्ति नहीं हुई है। प्रभारी के भरोसे इन स्कूलों में काम चलाया जा रहा है। वह भी हाई स्कूल के शिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। जबकि वरीयता के आधार पर पीजीटी श्रेणी के शिक्षकों को इससे वंचित रखा गया है।
कारण यह है कि स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा वर्ष 2012 में प्लस टू स्कूलों में प्राचार्य व उप प्राचार्य की नियुक्ति के लिए नियमावली तो बना ली गई, लेकिन आज तक प्राचार्य व उप प्राचार्य का पद सृजित नहीं किया गया। राज्य गठन के बाद अब तक प्लस टू स्कूलों में तीन बार शिक्षकों की नियुक्ति हुई, पर प्राचार्य की नियुक्ति नहीं हुई।दूसरी तरफ राज्य के प्लस टू विद्यालयों का प्रभार देने से संबंधित कोई नियमावली नहीं है। इस कारण जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा मनमाने ढंग से कनीय शिक्षक को विद्यालय का प्रभारी बनाया जाता है। प्लस टू विद्यालय में पदस्थापित प्लस 2 शिक्षक सभी मामले में हाई स्कूल के शिक्षक से वरीय हैं। फिर भी विद्यालय का प्रभार हाई स्कूल के शिक्षकों को दिया जाता है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा नियमावली बनाने के लिए कमेटी गठित की गई थी। लेकिन कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंप दिए जाने के बावजूद भी इसे नियमावली बनाकर अभी तक लागू नहीं किया गया।
झारखंड प्लस 2 शिक्षक संघ के संरक्षक सुनील कुमार का कहना है कि इसे जल्द से जल्द नियमावली बनाकर लागू किया जाना जाहिए। जिन्हेंं असल मे हक मिलना चाहिए, उन्हेंं इससे वंचित रखा गया है। संघ के अध्यक्ष योगेंद्र ठाकुर का कहना है लंबे समय से इसकी मांग चल रही है। लेकिन अब तक विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्लस टू स्कूल में प्राचार्य व उप प्राचार्य पद पर नियुक्ति के लिए नियमावली केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर बनाई गई है। केंद्रीय विद्यालयों में स्थायी प्राचार्य नहीं होने पर विद्यालय के वरीय पीजीटी शिक्षक को प्रभारी प्राचार्य बनाया जाता है।
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