नई दिल्ली. झारखंड में शिक्षकों की नियुक्ति अब नई नियमावली के आधार पर होगी. विधानसभा में यह जानकारी प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भाजपा विधायक भनु प्रताप शाही की ओर से ध्यानाकर्षण के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में दी. उन्होंने बताया कि पिछली सरकार की नियमावली में खामियों की वजह से 600 से अधिक मामले कोर्ट में लंबित हैं. इसके समाधान के लिए सरकार नई नियमावली बना रही है.
विधानसभा में भाजपा विधायक भानु प्रताप ने सरकार से शिक्षकों के रिक्त पदों को टीईटी पास अभ्यर्थियों से सीधे भरने की मांग की. जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कि पूर्व की सरकार में राज्य के पारा शिक्षक और उत्तीर्ण पारा शिक्षकों का क्या हश्र हुआ यह सब जानते हैं. उन्होंने कहा कि झारखंड टीईटी सिर्फ एक पात्रता परीक्षा है. इसके आधार पर नियुक्ति नहीं हो सकती.
जनजातीय भाषा शिक्षकों की भर्ती जल्द
प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने यह भी बताया कि राज्य के विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा शिक्षकों के रिक्त पद जल्द ही भरे जाएंगे. इसे लेकर रोस्टर क्लीयरेंस प्रक्रिया शुरू की जाएगी. बहाली प्रक्रिया पूरी होने तक वर्तमान में अनुबंध के आधार नियुक्त शिक्षकों को सेवा विस्तार दिया जाएगा. ठाकुर ने यह जानकारी विधायक ममता देवी के एक सवाल के एक जवाब में दी.
सेवानिवृत्त मदरसा शिक्षकों की पेंशन बंद
झारखंड में गैर सरकारी सहायता प्राप्त मदरसा के सेवानिवृत्त शिक्षकों को अब पेंशन नहीं मिलेगी. ठाकुर ने बताया कि इनकी नियुक्ति स्थाई नहीं है. ऐसे में पेंशन की सुविधान हीं दी जा सकती. सरकार की ओर से इसे लेकर 2018 में एक समिति का गठन किया गया था. सरकार ने इसी समिति की रिपोर्ट के आधार पर फैसला लिया है.
1336 उच्च विद्यालयों में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं
सरकार की ओ से सदन में दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य में प्रथामिक और उच्च विद्यालय में 39 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पद रिक्त हैं. इनमें 5934 शिक्षकों के खाली पद उच्च विद्यालयों में हैं. 33853 शिक्षक के पद पहली से आठवीं कक्षा के स्कूलों में रिक्त हैं. राज्य के 1336 अपग्रेडेड उच्च विद्यालयों में जहां एक में भी प्रधानाध्यापक नहीं हैं, वहीं 95 फीसद मध्य विद्यालय भी प्रधानाध्यापक विहीन हैं.
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