गोड्डा : जिले में प्राथमिक शिक्षकों के स्थानांतरण और पदस्थापन में खूब
खेल होता है। पूर्व डीएसई विनीत कुमार के कार्यकाल में उस विद्यालयों में
शिक्षक-शिक्षिकाओं को पुन: पदस्थापित कर दिया गया, जिन विद्यालयों में
छात्रों की संख्या को देखते हुए शिक्षकों को हटा दिया गया था।
शिक्षक संघ के नेताओं ने इनके कार्यकाल में हुए शिक्षकों के स्थानांतरण और नवनियुक्त शिक्षकों के पदस्थापन में अनियमितता का भी आरोप लगाया था। सरकार से इसकी जांच कराने का भी आग्रह किया गया था, पर आजतक कुछ नहीं हुआ। इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा समिति की बैठक में संख्या के आधार पर शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया गया। इसे लेकर भी पुराने और नए पदस्थापित शिक्षकों के बीच कागजी घोड़ा दौड़ा था पर इसपर भी आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या है मामला : तत्कालीन उपायुक्त राजेश शर्मा ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बच्चों के नामांकन को आधार मानकर शहरी क्षेत्रों से कुल 30 शिक्षक-शिक्षिकाओं का स्थानांतरण किया था। जब दिसंबर 2015 में नवनियुक्त शिक्षकों की पोस्टिंग की जा रही थी तो कुछ वैसे स्कूलों में भी पदस्थापन कर दिया गया जहां से शिक्षकों को बच्चों की कमी के चलते हटा दिया गया था। एक व्यक्ति ने जब शिक्षा सचिव अराधना पटनायक से पत्राचार कर पूछा कि जब इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ी तो शिक्षकों को कैसे पदस्थापित कर दिया गया तब शिक्षा सचिव ने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने का निर्देश जिले के अधिकारियों को दिया था लेकिन पुन: कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पत्र पर कार्रवाई होती तो केवल मध्य विद्यालय गोड्डा बालक से दर्जनभर से अधिक शिक्षकों को हटना पड़ता। इसके लिए पुराने और नए पदस्थापित शिक्षकों के बीच खूब लिखा-पढ़ी भी हुई। पुराने शिक्षकों का कहना था कि उपायुक्त राजेश शर्मा ने तो संख्या के आधार पर शिक्षकों को यहां से हटाया था, फिर अगर किसी का पदस्थापन हुआ है तो वही हटेगा। बाद में यह मामला दब गया। अगर इस पर वर्तमान उपायुक्त कार्रवाई करते हैं तो कई शिक्षकों पर गाज गिरनी तय है।
----------------------------गोड्डा, पोड़ैयाहाट, पथरगामा व महागामा के कुछ स्कूलों में स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं जबकि कई स्कूलों में एक शिक्षक सौ-सौ बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उपायुक्त को इसपर ध्यान देना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं तो संघ उनके निर्णय के साथ खड़ा रहेगा।
चक्रधर यादव, सचिव झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
शिक्षक संघ के नेताओं ने इनके कार्यकाल में हुए शिक्षकों के स्थानांतरण और नवनियुक्त शिक्षकों के पदस्थापन में अनियमितता का भी आरोप लगाया था। सरकार से इसकी जांच कराने का भी आग्रह किया गया था, पर आजतक कुछ नहीं हुआ। इसके बाद प्रारंभिक शिक्षा समिति की बैठक में संख्या के आधार पर शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया गया। इसे लेकर भी पुराने और नए पदस्थापित शिक्षकों के बीच कागजी घोड़ा दौड़ा था पर इसपर भी आजतक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
क्या है मामला : तत्कालीन उपायुक्त राजेश शर्मा ने प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बच्चों के नामांकन को आधार मानकर शहरी क्षेत्रों से कुल 30 शिक्षक-शिक्षिकाओं का स्थानांतरण किया था। जब दिसंबर 2015 में नवनियुक्त शिक्षकों की पोस्टिंग की जा रही थी तो कुछ वैसे स्कूलों में भी पदस्थापन कर दिया गया जहां से शिक्षकों को बच्चों की कमी के चलते हटा दिया गया था। एक व्यक्ति ने जब शिक्षा सचिव अराधना पटनायक से पत्राचार कर पूछा कि जब इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ी तो शिक्षकों को कैसे पदस्थापित कर दिया गया तब शिक्षा सचिव ने मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने का निर्देश जिले के अधिकारियों को दिया था लेकिन पुन: कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पत्र पर कार्रवाई होती तो केवल मध्य विद्यालय गोड्डा बालक से दर्जनभर से अधिक शिक्षकों को हटना पड़ता। इसके लिए पुराने और नए पदस्थापित शिक्षकों के बीच खूब लिखा-पढ़ी भी हुई। पुराने शिक्षकों का कहना था कि उपायुक्त राजेश शर्मा ने तो संख्या के आधार पर शिक्षकों को यहां से हटाया था, फिर अगर किसी का पदस्थापन हुआ है तो वही हटेगा। बाद में यह मामला दब गया। अगर इस पर वर्तमान उपायुक्त कार्रवाई करते हैं तो कई शिक्षकों पर गाज गिरनी तय है।
----------------------------गोड्डा, पोड़ैयाहाट, पथरगामा व महागामा के कुछ स्कूलों में स्वीकृत पद से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं जबकि कई स्कूलों में एक शिक्षक सौ-सौ बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उपायुक्त को इसपर ध्यान देना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं तो संघ उनके निर्णय के साथ खड़ा रहेगा।
चक्रधर यादव, सचिव झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ
No comments:
Post a Comment