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नियमों के पेंच में फंसा शिक्षक बनने का सपना, छात्रों में आक्रोश

लंबे समय से हाई स्कूल शिक्षक बनने की आस लगाए राज्य के हजारों छात्र अब निराश होने लगे हैं. विषय कॉम्बिनेशन के कारण विवादों में आई इस परीक्षा पर सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है. वहीं छात्र लगातार इसमें संशोधन करने की मांग कर रहे हैं.
आक्रोश में छात्र

छात्र नेता मनोज कुमार कहते हैं कि इससे पहले 2009 और 2011 में हाईस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी. पर उसमें विषय बाध्यता नहीं रखी गई. वहीं अभियर्थी धर्मेंद्र मिश्रा कहते हैं कि ऐसे फरमानों से छात्रों को परेशानी होती है. हालांकि जीत आखिरकार छात्रों की ही होती है. इस बार भी 28 अप्रैल को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

विपक्षी को मिला मौका

हाईस्कूल शिक्षक के अलावे कई नियुक्ति प्रक्रिया विवाद के कारण लटक गई है. सचिवालय सहायक परीक्षा के बाद जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा और अब हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया के विवाद में आने के बाद विपक्षी दलों को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है. कांग्रेस के महासचिव शमशेर आलम ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए नियमावली में हो रहे फेरबदल पर एतराज जताया है. कहा कि सरकार ने नियुक्ति वर्ष घोषित होने के काद भी न तो नियुक्ति के लिए परीक्षाएं ले रही, न ही रिजल्ट जाहिर कर रही. सवाल किया कि सरकार आखिर किस विभाग में कितनी नियुक्ति की. इसका ब्यौरा दे.

बहरहाल राज्य में हर नियुक्ति प्रक्रिया विवादों में रही है. हर बार नियामवली में होने वाले फेरबदल का शिकार छात्र होते रहे हैं जिसका ताजा उदाहरण जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा और हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया है. ऐसे में सरकारी सिस्टम पे सवाल उठना लाजिमी ही है.

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