मासस नेता और निरसा के विधायक अरूप चटर्जी ने कहा है कि झारखण्ड स्थापना दिवस पर सभी को इंतज़ार रहता है कि राज्य सरकार शायद उनके लिए कुछ बेहतर घोषणा करे ताकि उनके चेहरे पर राहत भरी मुस्कान आये।
लेकिन झारखण्ड सरकार ने अपनी वाजिब मांग के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदेश के पारा शिक्षकों पर जिस तरह बर्बर लाठीचार्ज कराया, महिला पारा शिक्षकों को घसीट –घसीट कर मारा पीटा गया। मैं और मासस के सभी लोग भाजपा शासन के इस अलोकतांत्रिक और बर्बर कदम की तीखी निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा, मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल पारा शिक्षकों को तत्काल राज्य सरकार की और से सहायता दी जाये ताकि इनका इलाज़ हो सके। मैं यह भी मांग करता हूं कि किसी भी पारा शिक्षक पर झूठा एफआईआर कर उन्हें नहीं फंसाया जाय और ना ही सरकार उत्पीड़न की कार्रवाई कर इन्हें नौकरी से बर्खास्त करने जैसा कोई कदम उठाये।
मासस नेता ने कहा कि पारा शिक्षकों पर हुआ लाठीचार्ज न केवल अमानवीय है बल्कि इसने राज्य सरकार का असली चेहरा भी सामने ला दिया है। आखिर कब तक पारा शिक्षक भूखे पढ़ाएंगे, कब तक उनके परिजन अर्थाभाव में मरते रहेंगे। लोकतंत्र में क्या शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहने वालों पर लाठी गोली चलेगी। पारा शिक्षकों से पहले रसोइया, सहायिका को भी सरकारी दमन झेलना पड़ा था। उससे पहले किसानों पर गोली चलायी गयी थी। ये घटनाएं साबित करती हैं कि भाजपा सरकार को न ही आम लोगों पर भरोसा है और ना ही लोकतंत्र पर। ये केवल लाठी –गोली के सहारे भय का वातावरण बनाकर तानाशाही चलाना चाहते हैं। घायल पारा शिक्षकों के खिलाफ झूठे मुकदमे कराये जा रहे हैं,इसपर तत्काल रोक लगे।
लेकिन झारखण्ड सरकार ने अपनी वाजिब मांग के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदेश के पारा शिक्षकों पर जिस तरह बर्बर लाठीचार्ज कराया, महिला पारा शिक्षकों को घसीट –घसीट कर मारा पीटा गया। मैं और मासस के सभी लोग भाजपा शासन के इस अलोकतांत्रिक और बर्बर कदम की तीखी निंदा करते हैं।
उन्होंने कहा, मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि पुलिस लाठीचार्ज में घायल पारा शिक्षकों को तत्काल राज्य सरकार की और से सहायता दी जाये ताकि इनका इलाज़ हो सके। मैं यह भी मांग करता हूं कि किसी भी पारा शिक्षक पर झूठा एफआईआर कर उन्हें नहीं फंसाया जाय और ना ही सरकार उत्पीड़न की कार्रवाई कर इन्हें नौकरी से बर्खास्त करने जैसा कोई कदम उठाये।
मासस नेता ने कहा कि पारा शिक्षकों पर हुआ लाठीचार्ज न केवल अमानवीय है बल्कि इसने राज्य सरकार का असली चेहरा भी सामने ला दिया है। आखिर कब तक पारा शिक्षक भूखे पढ़ाएंगे, कब तक उनके परिजन अर्थाभाव में मरते रहेंगे। लोकतंत्र में क्या शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहने वालों पर लाठी गोली चलेगी। पारा शिक्षकों से पहले रसोइया, सहायिका को भी सरकारी दमन झेलना पड़ा था। उससे पहले किसानों पर गोली चलायी गयी थी। ये घटनाएं साबित करती हैं कि भाजपा सरकार को न ही आम लोगों पर भरोसा है और ना ही लोकतंत्र पर। ये केवल लाठी –गोली के सहारे भय का वातावरण बनाकर तानाशाही चलाना चाहते हैं। घायल पारा शिक्षकों के खिलाफ झूठे मुकदमे कराये जा रहे हैं,इसपर तत्काल रोक लगे।
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