रांची, राज्य ब्यूरो। राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर
पारा शिक्षकों के उग्र आंदोलन तथा उनपर लाठी चार्ज की घटना के बाद सरकार और
पारा शिक्षकों में टकराव बढ़ गया है। पारा शिक्षकों ने अपने निर्धारित
कार्यक्रम के अनुरूप शुक्रवार से हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है।
दूसरी तरफ, राज्य सरकार भी स्थापना दिवस समारोह में विघ्न डालने तथा हड़ताल पर जानेवाले पारा शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दूबे ने कहा है कि सरकार दमन की नीति छोड़ पारा शिक्षकों को स्थायी करने के लिए छत्तीसगढ़ की पालिसी लागू करे। कहा कि पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने से लगभग 50 पारा शिक्षक घायल हुए हैं। इससे सभी पारा शिक्षकों में रोष है।
इधर, राज्य सरकार ने पहले ही आंदोलनकारियों को चेतावनी दी थी कि राज्य या जिला स्तर पर आयोजित स्थापना दिवस कार्यक्रम में बाधा डालना राज्य के असम्मान के रूप में लिया जाएगा तथा वैसे पारा शिक्षकों की पहचान कर उन्हें अगले दिन से ही कार्यमुक्तकर दिया जाएगा। वहीं, इस दिन स्कूलों से अनुपस्थित रहनेवाले पारा शिक्षकों के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक उमाशंकर सिंह ने भी पहले ही ऐसे शिक्षकों पर नो वर्क नो पे लागू करने का निर्देश दिया है।
यह है पारा शिक्षकों की मांगें : - छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उनका स्थायीकरण किया जाए। - उन्हें वेतनमान दिया जाए। - टेट पास पारा शिक्षकों की सीधी नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक के पद पर हो।
कहां है अड़चनें : राज्य सरकार ने इनकी मांगों पर विचार करने के लिए कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। इस कमेटी ने कई राज्यों के प्रावधानों के अध्ययन तथा पारा शिक्षकों की सेवा की प्रकृति को देखते हुए स्थायी करने पर स्वीकृति नहीं दी। हालांकि इनकी कई अन्य मांगों को लागू करने पर सहमति दी गई।
पारा शिक्षकों को मिलीं ये सुविधाएं : - 2015 में हुए समझौते के आधार पर महिला पारा शिक्षकों को अन्य सरकारी शिक्षकों की तरह मातृत्व व विशेष अवकाश दिया जा रहा है। - प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में 50 फीसद पद पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित हैं। - मुख्य सचिव ने पारा शिक्षकों के साथ हुई वार्ता में शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्रों की मान्यता पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने का वादा किया है।
- पारा शिक्षकों के मानदेय में 20 फीसद वृद्धि करने पर भी सहमति दी गई है। इसके तहत टेट पास स्नातक प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 12 हजार तथा प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत टेट पास प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 11 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलेगा। - पारा शिक्षकों के लिए कल्याण कोष का गठन किया जा रहा है। इससे किसी पारा शिक्षक के आकस्मिक निधन पर उनके आश्रित को ढाई लाख रुपये सहायता राशि मिलेगी। कल्याण कोष की राशि भी पांच करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ करने पर सहमति दी गई है।
दूसरी तरफ, राज्य सरकार भी स्थापना दिवस समारोह में विघ्न डालने तथा हड़ताल पर जानेवाले पारा शिक्षकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा के नेता संजय दूबे ने कहा है कि सरकार दमन की नीति छोड़ पारा शिक्षकों को स्थायी करने के लिए छत्तीसगढ़ की पालिसी लागू करे। कहा कि पुलिस द्वारा लाठी चार्ज किए जाने से लगभग 50 पारा शिक्षक घायल हुए हैं। इससे सभी पारा शिक्षकों में रोष है।
इधर, राज्य सरकार ने पहले ही आंदोलनकारियों को चेतावनी दी थी कि राज्य या जिला स्तर पर आयोजित स्थापना दिवस कार्यक्रम में बाधा डालना राज्य के असम्मान के रूप में लिया जाएगा तथा वैसे पारा शिक्षकों की पहचान कर उन्हें अगले दिन से ही कार्यमुक्तकर दिया जाएगा। वहीं, इस दिन स्कूलों से अनुपस्थित रहनेवाले पारा शिक्षकों के विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक उमाशंकर सिंह ने भी पहले ही ऐसे शिक्षकों पर नो वर्क नो पे लागू करने का निर्देश दिया है।
यह है पारा शिक्षकों की मांगें : - छत्तीसगढ़ की तर्ज पर उनका स्थायीकरण किया जाए। - उन्हें वेतनमान दिया जाए। - टेट पास पारा शिक्षकों की सीधी नियुक्ति प्राथमिक शिक्षक के पद पर हो।
कहां है अड़चनें : राज्य सरकार ने इनकी मांगों पर विचार करने के लिए कार्मिक विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की थी। इस कमेटी ने कई राज्यों के प्रावधानों के अध्ययन तथा पारा शिक्षकों की सेवा की प्रकृति को देखते हुए स्थायी करने पर स्वीकृति नहीं दी। हालांकि इनकी कई अन्य मांगों को लागू करने पर सहमति दी गई।
पारा शिक्षकों को मिलीं ये सुविधाएं : - 2015 में हुए समझौते के आधार पर महिला पारा शिक्षकों को अन्य सरकारी शिक्षकों की तरह मातृत्व व विशेष अवकाश दिया जा रहा है। - प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति में 50 फीसद पद पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित हैं। - मुख्य सचिव ने पारा शिक्षकों के साथ हुई वार्ता में शिक्षक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्रों की मान्यता पांच वर्ष से बढ़ाकर सात वर्ष करने का वादा किया है।
- पारा शिक्षकों के मानदेय में 20 फीसद वृद्धि करने पर भी सहमति दी गई है। इसके तहत टेट पास स्नातक प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 12 हजार तथा प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत टेट पास प्रशिक्षित पारा शिक्षकों को 11 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलेगा। - पारा शिक्षकों के लिए कल्याण कोष का गठन किया जा रहा है। इससे किसी पारा शिक्षक के आकस्मिक निधन पर उनके आश्रित को ढाई लाख रुपये सहायता राशि मिलेगी। कल्याण कोष की राशि भी पांच करोड़ से बढ़ाकर दस करोड़ करने पर सहमति दी गई है।
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