साहिबगंज : झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक महासंघ की जिला शाखा ने उपायुक्त
को ज्ञापन सौंपकर जिले में फर्जी बनाए गए पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों
की फिर से जांच कराने का आग्रह किया है।
संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साह व जिला सचिव विकास चौधरी ने ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि शिक्षा विभाग ने जिन पारा शिक्षकों का शैक्षणिक प्रमाणपत्र जांच के लिए संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय के पते पर भेजा गया था, उन पारा शिक्षकों के अंकपत्र एवं मूल प्रमाणपत्र में अंकित पत्राचार का पता बिल्कुल भिन्न है। संघ के नेताओं ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि पारा शिक्षकों का प्रमाण् पत्र किसी और बोर्ड का है, जबकि जांच के लिए उसे किसी अन्य बोर्ड में भेजा गया है। जबकि नियमत: इसे प्रमाणपत्रों में उल्लेखित पते पर ही भेजी जानी चाहिए थी। जांच के बाद विभाग जिस संस्थान से निर्गत प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया है, वह प्रमाणपत्र दरअसल उस संस्थान से निर्गत है ही नहीं। साथ ही विभाग ने जिन प्रमाणपत्र के फर्जी होने का दावा किया है उसी प्रमाणपत्र के आधार पर साहिबगंज का एक युवक सरायकेला-खरसावां जिला में समाहरणालय में कार्यरत है। उसके
शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच वहां के उपायुक्त ने कराते हुए सही पाया है। यही हाल यहां के एक अन्य युवक तथा एक युवती का भी है जिनका प्रमाणपत्र भी उसी संस्थान से निर्गत किया गया है और वे लोग अलग अलग संस्थानों में शैक्षणिक प्रमाण पत्र के जांचोपरांत कार्यरत हैं। नेताओं ने उपायुक्त से ऐसे पारा शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के पहले उनके प्रमाण पत्रों की गंभीरतापूर्वक जांच कराने की मांग की।
इधर झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जंग बहादुर ओझा ने भी पारा शिक्षक संघ की मांग को जायज ठहराते हुए फर्जी घोषित किए गए पारा शिक्षकों पर कार्रवाई करने से पूर्व उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच कराने की मांग उपायुक्त से की है।
संघ के जिलाध्यक्ष अशोक कुमार साह व जिला सचिव विकास चौधरी ने ज्ञापन के माध्यम से कहा है कि शिक्षा विभाग ने जिन पारा शिक्षकों का शैक्षणिक प्रमाणपत्र जांच के लिए संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय के पते पर भेजा गया था, उन पारा शिक्षकों के अंकपत्र एवं मूल प्रमाणपत्र में अंकित पत्राचार का पता बिल्कुल भिन्न है। संघ के नेताओं ने सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि पारा शिक्षकों का प्रमाण् पत्र किसी और बोर्ड का है, जबकि जांच के लिए उसे किसी अन्य बोर्ड में भेजा गया है। जबकि नियमत: इसे प्रमाणपत्रों में उल्लेखित पते पर ही भेजी जानी चाहिए थी। जांच के बाद विभाग जिस संस्थान से निर्गत प्रमाणपत्रों को फर्जी बताया है, वह प्रमाणपत्र दरअसल उस संस्थान से निर्गत है ही नहीं। साथ ही विभाग ने जिन प्रमाणपत्र के फर्जी होने का दावा किया है उसी प्रमाणपत्र के आधार पर साहिबगंज का एक युवक सरायकेला-खरसावां जिला में समाहरणालय में कार्यरत है। उसके
शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच वहां के उपायुक्त ने कराते हुए सही पाया है। यही हाल यहां के एक अन्य युवक तथा एक युवती का भी है जिनका प्रमाणपत्र भी उसी संस्थान से निर्गत किया गया है और वे लोग अलग अलग संस्थानों में शैक्षणिक प्रमाण पत्र के जांचोपरांत कार्यरत हैं। नेताओं ने उपायुक्त से ऐसे पारा शिक्षकों पर प्राथमिकी दर्ज कराने के पहले उनके प्रमाण पत्रों की गंभीरतापूर्वक जांच कराने की मांग की।
इधर झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष जंग बहादुर ओझा ने भी पारा शिक्षक संघ की मांग को जायज ठहराते हुए फर्जी घोषित किए गए पारा शिक्षकों पर कार्रवाई करने से पूर्व उनके शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच कराने की मांग उपायुक्त से की है।
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