रांची. हाइस्कूलों में होनेवाली 17,752 शिक्षकों की नियुक्ति
प्रक्रिया फिलहाल स्थगित कर दी गयी है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग ने
नियुक्ति के लिए छह जनवरी से आवेदन जमा करने की तिथि घोषित की थी. अब छह
जनवरी से आवेदन जमा नहीं लिये जायेंगे. नियुक्ति के लिए फिर से विज्ञप्ति
जारी की जायेगी. आवेदन जमा करने की तिथि फिर से घोषित की जायेगी. नियुक्ति
के लिए आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कुछ प्रावधान शिक्षक नियुक्ति
नियमावली के अनुरूप नहीं थे. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा इस
संबंध में आयोग को पत्र भेजा गया था. नियुक्ति नियमावली में आवेदन जमा करने
के लिए संबंधित विषय में 45 फीसदी अंक होना अनिवार्य किया गया है. Â बाकी
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हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति...
जबकि आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में गणित/भौतिकी, रसायन/जीव विज्ञान व
इतिहास / नागरिक शास्त्र विषय में आवेदन देने के लिए दोनों विषय में 45
फीसदी अंक अनिवार्य कर दिया गया था. इस कारण अधिसंख्य बीएड सफल अभ्यर्थी
आवेदन जमा करने से वंचित हो रहे थे. अभ्यर्थी इसका विरोध कर रहे थे.
शिक्षक नियुक्ति नियमावली में निगेटिव मार्किंग का भी प्रावधान नहीं किया
गया है. जबकि झारखंड राज्य कर्मचारी चयन अायोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में
गलत उत्तर देने पर निगेटिव मार्किंग की बात कही गयी थी. अभ्यर्थी इसका भी
विरोध कर रहे थे. अभ्यर्थियों का कहना था कि जब नियुक्ति में मेरिट लिस्ट
के लिए कट ऑफ मार्क्स 50 फीसदी अंक निर्धारित किया गया है, तो फिर निगेटिव
मार्किंग का प्रावधान समाप्त किया जाये.
इन बिंदुओं पर होगा बदलाव : शिक्षक नियुक्ति के लिए फिर से विज्ञप्ति
जारी की जायेगी. इसमें गणित/भौतिकी, रसायन/जीव विज्ञान व इतिहास / नागरिक
शास्त्र विषय में अावेदन जमा करने के लिए दोनों विषय में 45 फीसदी अंक की
अनिवार्यता समाप्त कर दी जायेगी. दोनों में से किसी एक विषय में 45 फीसदी
अंक लानेवाले अभ्यर्थी भी आवेदन जमा कर सकेंगे. इसके अलावा शिक्षक नियुक्ति
में परीक्षा में निगेटिव मार्किंग का प्रावधान भी समाप्त हो सकता है.
क्यों करना पड़ा बदलाव : राज्य में इससे पूर्व वर्ष 2010 व 2013 में
हाइस्कूल में शिक्षकाें की नियुक्ति हुई थी. पूर्व की नियुक्ति में इस तरह
के प्रावधान नहीं थे. पहली बार कुछ विषय में आॅनर्स के साथ सब्सिडीयरी में
भी 45 फीसदी अंक होना अनिवार्य कर दिया था. विज्ञप्ति के अनुसार इतिहास
के साथ राजनीति शास्त्र, रसायन के साथ जीव विज्ञान व गणित के साथ भौतिकी
विषय स्नातक स्तर पर पढ़ना अनिवार्य था. जबकि विश्वविद्यालय में ऐसा कोई
प्रावधान नहीं है. इस कारण इसमें बदलाव करना आवश्यक हो गया था. पहले हुई
नियुक्ति में निगेटिव मार्किंग का भी प्रावधान नहीं था.
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