जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, पूर्वी सिंहभूम जिला कमेटी के नेतृत्व में 500 शिक्षक मुख्य सचिव का घेराव करने गुरुवार की सुबह विभिन्न वाहनों से रवाना होंगे।
इस संबंध में संघ के जिला अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह, सलाहकार सुनील कुमार ने बताया कि राज्य कमेटी के आह्वान पर शिक्षकों की 13 सूत्री मागों को पूरा करने हेतु 13 एवं 14 दिसंबर को दो दिवसीय मुख्य सचिव झारखंड का घेराव सह प्रदर्शन में लगभग 500 शिक्षक आकस्मिक अवकाश लेकर भाग लेंगे।
48 घंटे तक मुख्य सचिव के कार्यालय का घेराव करना है। संघ के दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि पारा शिक्षक हड़ताल के कारण जहां नव सृजित प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है, उन्हें व्यवस्था कर ही आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया गया है।
ये हैं संघ की प्रमुख मांगे
1. अंतर्विभागीय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के बावजूद राजकीयकृत प्रारंभिक प्रोन्नति नियमावली 1993 में लंबित संशोधन ।
2. प्राथमिक शिक्षक का स्थानातरण एवं अंतर जिला स्थानातरण नियमावली में संशोधन ।
3. अनुकंपा के आधार पर एवं 1983- 86 में नियुक्त शिक्षकों का नियुक्ति तिथि से वरीयता निर्धारण एवं स्नातक कॉमर्स योग्यताधारी शिक्षकों तथा देवघर विद्यापीठ से प्राप्त डिग्रियों की अवरुद्ध प्रोन्नति ।
समय रहते निपटा लें काम, पांच दिनों तक बंद रहेंगे बैंक
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4. उत्क्रमित मध्य विद्यालयों में पद सृजन ।
5. स्नातक प्रशिक्षित ग्रेड 4 एवं प्रधानाध्यापक ग्रेड 7 के पद पर लंबित प्रोन्नति तथा परिकल्पित रूप से भूतलच्छी प्रभाव से प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त करना ।
6. ग्रेड 4 एवं ग्रेड 7 में प्रोन्नति के उपरात वित्तीय लाभ रोकने संबंधी आदेश को निरस्त किया जाना तथा मैट्रिक इंटर योग्यता धारी अप्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से ग्रेड वन का वेतनमान स्वीकृत करना ।
7 . मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के रिक्त पड़े 95 प्रतिशत पदों को तत्काल भरना ।
8. विद्यालय विलय के फलस्वरूप विभागीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर किए गए स्थानातरण पदस्थापन की समीक्षा कर आवश्यक सुधार करना ।
9. योजना इकाई के शिक्षकों के अनियमित वेतन भुगतान की समस्या को देखते हुए इसे गैर योजना इकाई में परिवर्तित करना ।
10. शिक्षिकाओं के विशेष अवकाश में परिवर्तन की विभागीय घोषणा पर आपत्ति ।
11. राज्य के सभी स्थानों जिला में कार्यरत राज्यकर्मी शिक्षकों के लिए परिवहन भत्ता की स्वीकृति ।
12. नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना बहाल करना ।
13. बायोमीट्रिक उपस्थिति एचआरएमएस आदि के नाम पर अकारण वेतन भुगतान पर अवाछित रोक तथा प्रशिक्षण के नाम पर शिक्षकों को अपमानित किए जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना ।
इस संबंध में संघ के जिला अध्यक्ष श्याम नंदन सिंह, सलाहकार सुनील कुमार ने बताया कि राज्य कमेटी के आह्वान पर शिक्षकों की 13 सूत्री मागों को पूरा करने हेतु 13 एवं 14 दिसंबर को दो दिवसीय मुख्य सचिव झारखंड का घेराव सह प्रदर्शन में लगभग 500 शिक्षक आकस्मिक अवकाश लेकर भाग लेंगे।
48 घंटे तक मुख्य सचिव के कार्यालय का घेराव करना है। संघ के दोनों पदाधिकारियों ने कहा कि पारा शिक्षक हड़ताल के कारण जहां नव सृजित प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है, उन्हें व्यवस्था कर ही आंदोलन में शामिल होने का आह्वान किया गया है।
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1. अंतर्विभागीय समिति द्वारा लिए गए निर्णय के बावजूद राजकीयकृत प्रारंभिक प्रोन्नति नियमावली 1993 में लंबित संशोधन ।
2. प्राथमिक शिक्षक का स्थानातरण एवं अंतर जिला स्थानातरण नियमावली में संशोधन ।
3. अनुकंपा के आधार पर एवं 1983- 86 में नियुक्त शिक्षकों का नियुक्ति तिथि से वरीयता निर्धारण एवं स्नातक कॉमर्स योग्यताधारी शिक्षकों तथा देवघर विद्यापीठ से प्राप्त डिग्रियों की अवरुद्ध प्रोन्नति ।
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6. ग्रेड 4 एवं ग्रेड 7 में प्रोन्नति के उपरात वित्तीय लाभ रोकने संबंधी आदेश को निरस्त किया जाना तथा मैट्रिक इंटर योग्यता धारी अप्रशिक्षित शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से ग्रेड वन का वेतनमान स्वीकृत करना ।
7 . मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापकों के रिक्त पड़े 95 प्रतिशत पदों को तत्काल भरना ।
8. विद्यालय विलय के फलस्वरूप विभागीय दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर किए गए स्थानातरण पदस्थापन की समीक्षा कर आवश्यक सुधार करना ।
9. योजना इकाई के शिक्षकों के अनियमित वेतन भुगतान की समस्या को देखते हुए इसे गैर योजना इकाई में परिवर्तित करना ।
10. शिक्षिकाओं के विशेष अवकाश में परिवर्तन की विभागीय घोषणा पर आपत्ति ।
11. राज्य के सभी स्थानों जिला में कार्यरत राज्यकर्मी शिक्षकों के लिए परिवहन भत्ता की स्वीकृति ।
12. नई पेंशन योजना के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना बहाल करना ।
13. बायोमीट्रिक उपस्थिति एचआरएमएस आदि के नाम पर अकारण वेतन भुगतान पर अवाछित रोक तथा प्रशिक्षण के नाम पर शिक्षकों को अपमानित किए जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाना ।
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