गढ़वा। जिला प्रतिनिधि जिलेभर में विभिन्न कॉलेजों में कॉमर्स की पढ़ाई करनेवाले छात्रों की संख्या में कमी आई है। कॉमर्स के छात्रों की संख्या में आई कमी से डिग्री और इंटर कॉलेज प्रबंधन भी हतप्रभ हैं। झारखंड सहित दूसरे राज्यों के स्कूलों में कॉमर्स छोड़ दूसरे विषयों में शिक्षकों की मांग और नियुक्ति को देखते हुए विद्यार्थियों ने कॉमर्स की पढ़ाई से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया है।
एक ओर जहां सरकार कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, वहीं वाणिज्य की पढ़ाई में विद्यार्थियों की संख्या घटना चिंताजनक है।
जिला मुख्यालय स्थित श्रीसद्गुरु जगजीत सिंह नामधारी महाविद्यालय, गोपीनाथ सिंह महिला महाविद्यालय और सूरत पांडेय डिग्री कॉलेज में तीनों सत्रों में कुल मिलाकर 688 बच्चे कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। उनमें करीब दो सौ विद्यार्थी कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। बताया जाता है कि कॉमर्स पढ़ रहे छात्रों को बतौर शिक्षक शिक्षण संस्थानों में जाने का रास्ता बंद होने का खतरा अधिक सता रहा है।
टेट पास वैसे शिक्षक जो कॉमर्स लेकर पढ़ाई की थी, सरकार उनकी नियुक्ति के लिए तैयार नहीं हुई। उक्त घटनाक्रम के बाद से विद्यार्थियों का कॉमर्स के प्रति क्रेज घटा है। कॉमर्स से ग्रेजुएट बीएड की पढ़ाई कर तो सकते हैं पर हाईस्कूल में कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होने से उनकी बहाली नहीं होती। उससे उनके लिए रोजगार के अवसर में भी कमी आती है। कॉमर्स के विषयों की पढ़ाई न तो मध्य विद्यालय और न ही हाई स्कूलों में होती है। उक्त कारण भी छात्र कॉमर्स की पढ़ाई से मूंह मोड़ रहे हैं। चालू सत्र में सूरत पांडेय डिग्री कॉलेज में स्नातक पार्ट वन में 75 विद्यार्थियों ने ही नामांकन लिया है। वहीं कॉलेज में पार्ट टू में 125, पार्ट थर्ड में 75 छात्र अध्ययनरत हैं। वहीं गोपीनाथ सिंह महिला कॉलेज में पार्ट वन में 40 का नामांकन हुआ है। वहीं पार्ट टू में 48, पार्ट थर्ड में 45 छात्राएं अध्ययनरत हैं। एसएसजेएस नामधारी कॉलेज के इंटर में 105 छात्र कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। उधर बीएसएम कॉलेज भवनाथपुर में कॉमर्स के छात्रों की संख्या बढ़ी है। सत्र 2016-18 में 43 छात्रों ने नामांकन कराया है। उसके विपरीत सत्र 2015-17 में 31 छात्रों ने नामांकन कराया था। उधर प्रखंड के जमा दो हाईस्कूलों में अबकी बार किसी छात्र ने कॉमर्स में दाखिला नहीं लिया है। पिछले सत्र में 30 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, उनमें 27 परीक्षार्थी फेल हो गए थे। उक्त कारण भी छात्रों ने कॉमर्स की पढ़ाई से ही मुंह मोड़ लिया।
राज्य सरकार ने कॉमर्स के छात्रों के साथ भेदभाव किया है। कॉमर्स के छात्रों को शिक्षक नहीं बनाया गया। छात्र मानने लगे हैं कि बीएड करने से भी कोई लाभ नहीं हैं। हाईस्कूलों में उनके लिए रोजगार के अवसर बंद हो गए हैं। उक्त कारणों से कॉमर्स की पढ़ाई के प्रति छात्रों ने कम रुझान दिखाई है, हालांकि कॉमर्स के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।
लखन कश्यप, संचालक कश्यप कॉमर्स कोचिंग सेंटर।
एक ओर जहां सरकार कॉलेजों में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा दे रही है, वहीं वाणिज्य की पढ़ाई में विद्यार्थियों की संख्या घटना चिंताजनक है।
जिला मुख्यालय स्थित श्रीसद्गुरु जगजीत सिंह नामधारी महाविद्यालय, गोपीनाथ सिंह महिला महाविद्यालय और सूरत पांडेय डिग्री कॉलेज में तीनों सत्रों में कुल मिलाकर 688 बच्चे कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। उनमें करीब दो सौ विद्यार्थी कॉमर्स से स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। बताया जाता है कि कॉमर्स पढ़ रहे छात्रों को बतौर शिक्षक शिक्षण संस्थानों में जाने का रास्ता बंद होने का खतरा अधिक सता रहा है।
टेट पास वैसे शिक्षक जो कॉमर्स लेकर पढ़ाई की थी, सरकार उनकी नियुक्ति के लिए तैयार नहीं हुई। उक्त घटनाक्रम के बाद से विद्यार्थियों का कॉमर्स के प्रति क्रेज घटा है। कॉमर्स से ग्रेजुएट बीएड की पढ़ाई कर तो सकते हैं पर हाईस्कूल में कॉमर्स की पढ़ाई नहीं होने से उनकी बहाली नहीं होती। उससे उनके लिए रोजगार के अवसर में भी कमी आती है। कॉमर्स के विषयों की पढ़ाई न तो मध्य विद्यालय और न ही हाई स्कूलों में होती है। उक्त कारण भी छात्र कॉमर्स की पढ़ाई से मूंह मोड़ रहे हैं। चालू सत्र में सूरत पांडेय डिग्री कॉलेज में स्नातक पार्ट वन में 75 विद्यार्थियों ने ही नामांकन लिया है। वहीं कॉलेज में पार्ट टू में 125, पार्ट थर्ड में 75 छात्र अध्ययनरत हैं। वहीं गोपीनाथ सिंह महिला कॉलेज में पार्ट वन में 40 का नामांकन हुआ है। वहीं पार्ट टू में 48, पार्ट थर्ड में 45 छात्राएं अध्ययनरत हैं। एसएसजेएस नामधारी कॉलेज के इंटर में 105 छात्र कॉमर्स की पढ़ाई कर रहे हैं। उधर बीएसएम कॉलेज भवनाथपुर में कॉमर्स के छात्रों की संख्या बढ़ी है। सत्र 2016-18 में 43 छात्रों ने नामांकन कराया है। उसके विपरीत सत्र 2015-17 में 31 छात्रों ने नामांकन कराया था। उधर प्रखंड के जमा दो हाईस्कूलों में अबकी बार किसी छात्र ने कॉमर्स में दाखिला नहीं लिया है। पिछले सत्र में 30 विद्यार्थियों ने परीक्षा दी थी, उनमें 27 परीक्षार्थी फेल हो गए थे। उक्त कारण भी छात्रों ने कॉमर्स की पढ़ाई से ही मुंह मोड़ लिया।
राज्य सरकार ने कॉमर्स के छात्रों के साथ भेदभाव किया है। कॉमर्स के छात्रों को शिक्षक नहीं बनाया गया। छात्र मानने लगे हैं कि बीएड करने से भी कोई लाभ नहीं हैं। हाईस्कूलों में उनके लिए रोजगार के अवसर बंद हो गए हैं। उक्त कारणों से कॉमर्स की पढ़ाई के प्रति छात्रों ने कम रुझान दिखाई है, हालांकि कॉमर्स के क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं।
लखन कश्यप, संचालक कश्यप कॉमर्स कोचिंग सेंटर।
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