रांची। झारखंड में 10 हजार
संविदा शिक्षकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खून से खत लिखा है। सेवा
नियमित करने की मांग को लेकर कई दिनों से पूरे प्रदेश के पारा शिक्षक
हड़ताल पर हैं। एक पारा शिक्षक ने पीएम को लिखा है कि जिंदगी मौत ना बन
जाए, संभालो मोदी जी, हजारों पारा शिक्षकों का घर ना उजड़े मोदी जी।
70 हजार से ज्यादा हड़ताली पारा शिक्षकों ने कहा कि वे वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास सरकार हमारी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। नियुक्ति के समय 25 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने की बात भी कही गई थी, लेकिन आज तक पुराना मानदेय ही दिया जा रहा है।
बता दें कि पारा शिक्षकों समेत सैकड़ों बीआरपी और सीआरपी गुरुवार से ही रांची में डेरा डाले हुए हैं। गुरुवार को सीएम आवास घेरने के लिए पारा शिक्षक मोरहाबादी मैदान में एकत्र हुए थे। लेकिन, पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए सभी को वहां से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जयपाल सिंह स्टेडियम (कैंप जेल) में रखा। तब से ये यहीं पर हैं।
शनिवार को शिक्षाकर्मियों ने खत लिखना शुरू किया। शाम छह बजे तक करीब 10 हजार पत्र लिखे। हालांकि, प्रशासन के सख्त हिदायत और पैनी नजर रहने के कारण शिक्षाकर्मी कैंप जेल के बाहर किसी प्रकार का आंदोलन नहीं कर सके। उधर, पारा शिक्षकों को सरकार ने 25 अक्टूबर तक योगदान देने का अल्टीमेटम दिया है। जबकि बीआरसी-सीआरपी को 21 अक्टूबर तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया गया था, अल्टीमेटम की तिथि समाप्त होने पर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
70 हजार से ज्यादा हड़ताली पारा शिक्षकों ने कहा कि वे वर्षों से सेवा दे रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री रघुवर दास सरकार हमारी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। नियुक्ति के समय 25 प्रतिशत मानदेय बढ़ाने की बात भी कही गई थी, लेकिन आज तक पुराना मानदेय ही दिया जा रहा है।
बता दें कि पारा शिक्षकों समेत सैकड़ों बीआरपी और सीआरपी गुरुवार से ही रांची में डेरा डाले हुए हैं। गुरुवार को सीएम आवास घेरने के लिए पारा शिक्षक मोरहाबादी मैदान में एकत्र हुए थे। लेकिन, पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए सभी को वहां से गिरफ्तार कर लिया। उन्हें जयपाल सिंह स्टेडियम (कैंप जेल) में रखा। तब से ये यहीं पर हैं।
शनिवार को शिक्षाकर्मियों ने खत लिखना शुरू किया। शाम छह बजे तक करीब 10 हजार पत्र लिखे। हालांकि, प्रशासन के सख्त हिदायत और पैनी नजर रहने के कारण शिक्षाकर्मी कैंप जेल के बाहर किसी प्रकार का आंदोलन नहीं कर सके। उधर, पारा शिक्षकों को सरकार ने 25 अक्टूबर तक योगदान देने का अल्टीमेटम दिया है। जबकि बीआरसी-सीआरपी को 21 अक्टूबर तक काम पर लौटने का अल्टीमेटम दिया गया था, अल्टीमेटम की तिथि समाप्त होने पर प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
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