पलामू (झारखंड) झारखंड के 40 हजार पारा शिक्षक पिछले 38 दिन से हड़ताल पर हैं। हड़ताल अभी कितने दिन और चलेगी कुछ कहा नहीं जा सकता। हड़ताल से 17 हजार प्राथमिक और उत्क्रमित विद्यालयों के 15 लाख बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
लेकिन, पूरे प्रदेश में एक पंचायत ऐसी भी है, जहां के सभी नौ स्कूलों के टीचर हड़ताल हैं फिर भी यहां एक भी दिन पढ़ाई रुकी। यह पलामू जिले की बघमनवा पंचायत है। हड़ताल शुरू होते ही नौ गांव के 28 युवा इन स्कूलों में पढ़ने वाले 1300 बच्चों को पढ़ाने के लिए सामने आ गए। ये हड़ताल खत्म होने तक पढ़ाएंगे वो भी नि:शुल्क। वैसे पंचायत के मुखिया रविन्द्र उपाध्याय के प्रयास के बाद ये युवा पढ़ाने को तैयार हुए। मुखिया ने बताया कि 16 सितम्बर को हड़ताल की घोषणा हुई तो बच्चों की पढ़ाई की प्रभावित होने की चिंता होने लगी। तभी साथियों से चर्चा शेष|पेज 7
के दौरान गांव के उन युवाओं से मदद लेने का विचार आया जो अभी बेरोजगार हैं। अगले ही दिन पंचायत सचिवालय में बैठक कर प्रस्ताव पारित किया। सभी सदस्यों को गांवों में भेजकर पढ़ाने के इच्छुक युवाओं की सूची तैयार करने को कहा। शाम तक 28 लोग तैयार हाे गए।
पंचायत के गौरा विद्यालय में पढ़ा रहे मनोज पाल बताते हैं कि जब उनसे पढ़ाने के लिए कहा तो उन्हें लगा कि यदि इस समय मदद नहीं की तो पढ़े-लिखे होने का क्या फायदा। एमए कर रही दुर्गावती कहती हैं कि घर पर खाली बैठने से बेहतर था कि कोई अच्छा काम करना। इसलिए पढ़ाने लगी। राजू राम न्यू प्राथमिक स्कूल बरवाही में पढ़ा रहे हैं। खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। शेष|पेज 7
कहते हैं- किसी भी कक्षा की पढ़ाई हो, भविष्य में काम ही आती है। बच्चों के साथ-साथ मेरा भी ज्ञान बढ़ेगा, यही सोचकर पढ़ाने लगा। जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि यह प्रयास सराहनीय है। इसलिए 15 नवम्बर को सरकार पंचायत काे सम्मानित करेगी।
लेकिन, पूरे प्रदेश में एक पंचायत ऐसी भी है, जहां के सभी नौ स्कूलों के टीचर हड़ताल हैं फिर भी यहां एक भी दिन पढ़ाई रुकी। यह पलामू जिले की बघमनवा पंचायत है। हड़ताल शुरू होते ही नौ गांव के 28 युवा इन स्कूलों में पढ़ने वाले 1300 बच्चों को पढ़ाने के लिए सामने आ गए। ये हड़ताल खत्म होने तक पढ़ाएंगे वो भी नि:शुल्क। वैसे पंचायत के मुखिया रविन्द्र उपाध्याय के प्रयास के बाद ये युवा पढ़ाने को तैयार हुए। मुखिया ने बताया कि 16 सितम्बर को हड़ताल की घोषणा हुई तो बच्चों की पढ़ाई की प्रभावित होने की चिंता होने लगी। तभी साथियों से चर्चा शेष|पेज 7
के दौरान गांव के उन युवाओं से मदद लेने का विचार आया जो अभी बेरोजगार हैं। अगले ही दिन पंचायत सचिवालय में बैठक कर प्रस्ताव पारित किया। सभी सदस्यों को गांवों में भेजकर पढ़ाने के इच्छुक युवाओं की सूची तैयार करने को कहा। शाम तक 28 लोग तैयार हाे गए।
पंचायत के गौरा विद्यालय में पढ़ा रहे मनोज पाल बताते हैं कि जब उनसे पढ़ाने के लिए कहा तो उन्हें लगा कि यदि इस समय मदद नहीं की तो पढ़े-लिखे होने का क्या फायदा। एमए कर रही दुर्गावती कहती हैं कि घर पर खाली बैठने से बेहतर था कि कोई अच्छा काम करना। इसलिए पढ़ाने लगी। राजू राम न्यू प्राथमिक स्कूल बरवाही में पढ़ा रहे हैं। खुद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। शेष|पेज 7
कहते हैं- किसी भी कक्षा की पढ़ाई हो, भविष्य में काम ही आती है। बच्चों के साथ-साथ मेरा भी ज्ञान बढ़ेगा, यही सोचकर पढ़ाने लगा। जिला शिक्षा अधीक्षक अरविंद कुमार ने बताया कि यह प्रयास सराहनीय है। इसलिए 15 नवम्बर को सरकार पंचायत काे सम्मानित करेगी।
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