जागरण संवाददाता, देवघर : पारा शिक्षकों की हड़ताल से जिले में प्राथमिक
शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बेपटरी हो गई है। सरकार व पारा शिक्षकों के
बीच छिड़ी आरपार की लड़ाई का खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
पारा शिक्षक पिछले 24 दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसका असर तकरीबन सभी विद्यालयों पर पड़ा हैं, लेकिन जिले उन 930 विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह से बाधित है, जो पारा शिक्षकों के भरोसे संचालित था। इन विद्यालयों में ताला लटक रहा है और अध्यनरत 40 हजार से अधिक बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। बगैर शिक्षक इन बच्चों का पाठ्यक्रम कैसे पूरा होगा, जबकि इस बार भी झारखंड अधिविद् परिषद की ओर से वर्ग अष्टम की परीक्षा बोर्ड के तर्ज पर ली जा रही है। कहना न होगा कि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही पढ़ते हैं, जिनके लिए ट्यूशन भी मुश्किल साबित होता है। उधर पारा शिक्षकों ने आर-पार के लड़ाई का मन बना लिया और इनका कहना है कि जब तक मांगे मान नहीं ली जाती हैं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
हड़ताल से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अस्थायी शिक्षकों के बहाली का प्रयास किया जा रहा है। बंद विद्यालयों को चालू कराने के लिए निर्देश दिया गया है कि संबंधित विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विद्यालय के पोषक क्षेत्र के सुयोग्य अभ्यर्थी, जिनकी उम्र 65 वर्ष से कम हो, की सेवा ले सकते हैं। इन्हें दैनिक मानदेय के आधार पर दो से ढ़ाई सौ रुपए प्रतिदिन के दर से भुगतान किया जाएगा। ऐसे अभ्यर्थी संबंधित विद्यालय प्रबंध समिति या प्रखंड संसाधन केंद्र में अपना आवेदन दे सकते हैं।
पारा शिक्षक पिछले 24 दिनों से हड़ताल पर हैं, जिसका असर तकरीबन सभी विद्यालयों पर पड़ा हैं, लेकिन जिले उन 930 विद्यालयों में पठन-पाठन पूरी तरह से बाधित है, जो पारा शिक्षकों के भरोसे संचालित था। इन विद्यालयों में ताला लटक रहा है और अध्यनरत 40 हजार से अधिक बच्चों का भविष्य दांव पर लग गया है। बगैर शिक्षक इन बच्चों का पाठ्यक्रम कैसे पूरा होगा, जबकि इस बार भी झारखंड अधिविद् परिषद की ओर से वर्ग अष्टम की परीक्षा बोर्ड के तर्ज पर ली जा रही है। कहना न होगा कि सरकारी विद्यालयों में अधिकांश आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे ही पढ़ते हैं, जिनके लिए ट्यूशन भी मुश्किल साबित होता है। उधर पारा शिक्षकों ने आर-पार के लड़ाई का मन बना लिया और इनका कहना है कि जब तक मांगे मान नहीं ली जाती हैं, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
हड़ताल से उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत अस्थायी शिक्षकों के बहाली का प्रयास किया जा रहा है। बंद विद्यालयों को चालू कराने के लिए निर्देश दिया गया है कि संबंधित विद्यालय प्रबंध समिति व अभिभावक तत्काल वैकल्पिक व्यवस्था के तहत विद्यालय के पोषक क्षेत्र के सुयोग्य अभ्यर्थी, जिनकी उम्र 65 वर्ष से कम हो, की सेवा ले सकते हैं। इन्हें दैनिक मानदेय के आधार पर दो से ढ़ाई सौ रुपए प्रतिदिन के दर से भुगतान किया जाएगा। ऐसे अभ्यर्थी संबंधित विद्यालय प्रबंध समिति या प्रखंड संसाधन केंद्र में अपना आवेदन दे सकते हैं।
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