Ranchi: 2014 में सरकार बनाने से पहले ही बीजेपी ने
खेल और शिक्षा से संबंधित आठ घोषणाएं की थीं. लेकिन चार साल के बाद, आठ में
से मात्र एक ही घोषणा पर अमल किया जा सका है. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने
सरकार बनने के बाद भी इन वादों को दोहराया था. लेकिन दावे धरे के धरे रह
गये.
अब जब सरकार ने अपने चार साल पूरे कर लिये हैं और आने वाले चुनाव पर
फोकस कर चुकी है, इन वादो को पूरा करने की दिशा में गंभीर नहीं है. सरकार
ने अब तक सिर्फ लाडली लक्ष्मी योजना को ही धरातल पर ला पायी है. वैसे इस
योजना का लाभ पाने के लिए भी छात्राओं को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.
क्या-क्या घोषणाएं की गयी थीं
- शिक्षा विभाग की रिक्तियों को शीघ्र भरा जायेगा
- बालिकाओं के लिए लाडली लक्ष्मी योजना
- रोजगार में सहायक विषयों, भाषाओं की पढाई के लिए नए संस्थान
- राज्य में खेलों को प्रोत्साहन देने के लिए खेल विश्विद्यालय की स्थापना
- SAI की तर्ज पर राज्य में आवासीय खेल शिक्षण केन्द्रों की स्थापना
- राज्य के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मेडल विजेता खिलाडियों को सरकारी नौकरी में समायोजित करने की नीति
- कॉलेज के प्रथम वर्ष में प्रवेश लेनेवाले सभी छात्र- छात्राओं को लैपटॉप/टेबलेट मिलेगा
शिक्षा विभाग में अभी भी हैं बड़ी संख्या में रिक्तियां
शिक्षा
विभाग का हाल सबसे बुरा है. स्कूल और कॉलेजों में शिक्षक और छात्र अनुपात
की बात करें तो जहां स्कूल में प्रति 30 छात्र एक शिक्षक होने चाहिए, वहां
प्रति 63 छात्रों पर एक शिक्षक हैं. यूजीसी गाइडलाइन के हिसाब से कॉलेजों
में प्रति 40 छात्र एक शिक्षक होने चाहिए वहीं 200 छात्रों पर एक शिक्षक
हैं. हालांकि राज्य सरकार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षा ले चुकी है.
पर यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी है. पोस्ट ग्रेजूएट शिक्षकों के लिए
जिलावार नियुक्ति की जा रही है. प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के लिए भी
शिक्षकों का अभाव है. राज्य को प्राथमिक, माध्यमिक और कस्तूरबा गांधी
विद्यालयों के लिए 30 हजार शिक्षक चाहिए. 25 हजार शिक्षक हाई और प्लस टू
स्कूलों के लिए चाहिए.
कॉलेजों में 5 लाख छात्र, चाहिए 12,500 शिक्षक, हैं सिर्फ 2493
राज्य
में उच्च शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती नजर आती है. उच्च शिक्षा का स्तर
बढ़ाने और इसे व्यवस्थित करने के लिए प्रोफेसर्स की दरकार है. राज्य की
यूनिवर्सिटी में पांच लाख से ज्यादा छात्र हैं. लेकिन इन स्टूडेंड्स को
पढ़ाने के लिए सिर्फ 2493 प्रोफेसर-रीडर हैं. राज्य में सात यूनिवर्सिटी
हैं. इनमें से दो डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बिनोद बिहारी महतो
यूनिवर्सिटी अबतक फुल-फ्लेज में नहीं आ पाये हैं. इन विश्वविद्यालयों में
पांच लाख से अधिक छात्र हैं. लेकिन इन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ 2493 शिक्षक
ही हैं. यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार, शिक्षक-छात्र का अनुपात 40:1 होना
चाहिए. जबकि हाल यह है कि 200 छात्रों में एक शिक्षक हैं. इस कमी को पाटने
के लिए कम से कम 1400 शिक्षकों की और जरूरत है. नॉलेज कमीशन के रिपोर्ट के
अनुसार, 45 हजार छात्र पर एक यूनिवर्सिटी होनी चाहिए. बिनोबा भावे
विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 850 पद हैं. इसमें 625 शिक्षक ही कार्यरत
हैं. जबकि 198 पद रिक्त हैं. वहीं रांची विश्वविद्यालय में 200 स्थायी
शिक्षकों की जरूरत है. कोल्हान, नीलांबर-पीतांबर और सिद्धो-कान्हू
विश्वविद्यालय में 1000 शिक्षकों की जरूरत है.
रोजगार परक कोर्स, विषय, भाषाओं की पढ़ाई के लिए नहीं खुला संस्थान
सरकार
ने रोजगार में सहायक कोर्स, विषय और भाषाओं की पढ़ाई के लिए नए संस्थान
खोलने की बात कही थी. रोजगार में सहायक किसी भी कोर्स के लिए राज्य में कोई
भी नया संस्थान नहीं खोला गया है. सरकार अभी तक रांची विवि में संचालित
ट्राईबल विषयों की पढ़ाई के लिए सही संरचना और शिक्षक नहीं ला पायी है.
सरकारी उदासिनता की वजह से विभिन्न भाषाओं वाले इस प्रदेश में सिर्फ दो से
तीन ट्राईबल भाषाओं के ही शिक्षक मौजूद हैं.
खेल विश्विद्यालय की घोषणा भी नहीं उतरी जमीन पर
झारखंड
सरकार और सीसीएल (सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) में खेल विश्वविद्यालय एवं
झारखंड खेल अकादमी स्थापित करने के लिए एक समझौता हुआ था. इसके तहत सीसीएल
को सीएसआर कोष से राष्ट्रीय खेलों के लिए बने विशाल खेल परिसर में इस
विश्वविद्यालय की स्थापना करना था. पर खेल विश्वविद्यालय के स्थान पर
सीसीएल की मदद से जेएसएसपीएस की स्थापना कर दी गयी. समझौते को राज्य के सवा
करोड से अधिक युवाओं के लिए एक बडा अवसर बताया गया था. कहा था कि झारखंड
खेल विश्वविद्यालय एवं अकादमी की स्थापना राज्य में खेल और खिलाडियों के
लिए वरदान साबित होगा. इस विश्वविद्यालय में 15 विभिन्न खेलों में 1400
खिलाडियों को प्रशिक्षण दिये जाने की योजना थी.
नहीं बनी खिलाड़ियों को नौकरी देने की नीति
भाजपा
ने 2014 चुनाव के दौरान अपने घोषणापत्र में खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा
देने की बात कही थी. भाजपा ने कहा था कि राज्य के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय
स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाडियों को सरकारी नौकरी में समायोजित करने की
नीति बनायेगी. लेकिन घोषणा के अनुरूप ऐसी कोई भी नीति सरकार ने अबतक नहीं
बनायी है. इससे पहले 2007 में इसे लेकर नीति बनी थी. इसमें सरकारी नौकरियों
में मेडल प्राप्त खिलाड़ी को 2 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कही गयी थी.
राज्य की स्थापना के 18 साल के बाद भी सिर्फ पांच खिलाड़ियों को ही नौकरी
मिल पायी है.
नहीं बने SAI की तर्ज पर आवासीय खेल शिक्षण केंद्र
घोषणा
के मुताबिक़ राज्य सरकार को SAI (स्पोर्टस ऑथिरिटी ऑफ इंडिया) की तर्ज पर
राज्य में आवासीय खेल शिक्षण केंद्रों की स्थापना की जानी थी. राज्य के
किसी भी जिला में सरकार की तरफ से SAI के तर्ज पर खेल शिक्षण केंद्रों की
स्थापना नहीं की गयी. सीसीएल और राज्य सरकार द्वारा संचालित जेएसएसपीएस से
भी बच्चों के भागने की खबर सामने आ चुकी है. इसी तरह कॉलेज के प्रथम वर्ष
में प्रवेश लेने वाले सभी स्टूडेंट्स को लैपटॉप देने की बात कही गयी थी, पर
ये योजना भी अधर में ही है.
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