रांची, राज्य ब्यूरो। अप्रशिक्षित रह गए शिक्षकों को
प्रशिक्षण प्राप्त करने का एक और मौका देने से केंद्र के इन्कार के बाद
राज्य में अप्रशिक्षित रह गए लगभग साढ़े चार हजार पारा शिक्षकों को
कार्यमुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है। झारखंड शिक्षा परियोजना
परिषद के निदेशक उमाशंकर सिंह ने गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी कर
दिया है। उन्होंने अगस्त माह में ही इस संबंध में जारी आदेश को बरकरार रखने
की बात कही है। गुरुवार को जारी आदेश में निदेशक ने केंद्र के उस पत्र का
उल्लेख किया है, जिसमें 31 मार्च 2019 के बाद प्रशिक्षण के लिए अवसर देने
से इन्कार किया गया है।
बता दें कि सभी अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इन्हें केंद्र द्वारा प्रशिक्षण के पर्याप्त अवसर दिए गए। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 30 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। कहा गया है कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अप्रशिक्षित शिक्षकों को मार्च 2015 तक प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया गया था।
बाद में इसे 31 मार्च 2019 तक विस्तार दिया गया। केंद्र ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति का निर्देश दिया है। केंद्र ने अधिनियम के आलोक में इस तिथि के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया है। बताया जाता है कि पारा शिक्षक सहित सात हजार से अधिक शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। इनमें से निजी स्कूलों के शिक्षक भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
राज्य सरकार ने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) से डीएलएड कोर्स से वंचित पारा शिक्षकों को केंद्र के निर्देश पर एनआइओएस से यह कोर्स पिछले वर्ष कराया था। इसमें लगभग डेढ़ हजार प्रशिक्षण परीक्षा में फेल हो गए, जबकि लगभग तीन हजार पारा शिक्षकों के इंटरमीडिएट में आवश्यक से कम अंक होने के कारण परिणाम जारी नहीं हुए। राज्य सरकार ने इन पारा शिक्षकों के मानदेय पर रोक लगाते हुए चयनमुक्त करने का निर्णय लिया है। हालांकि, पारा शिक्षकों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से इनके प्रशिक्षण के लिए एक और अवसर देने की मांग की थी।
बता दें कि सभी अप्रशिक्षित शिक्षक सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं। इन्हें केंद्र द्वारा प्रशिक्षण के पर्याप्त अवसर दिए गए। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने 30 अक्टूबर को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। कहा गया है कि निश्शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत अप्रशिक्षित शिक्षकों को मार्च 2015 तक प्रशिक्षण प्राप्त करने का अवसर दिया गया था।
बाद में इसे 31 मार्च 2019 तक विस्तार दिया गया। केंद्र ने शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत शिक्षकों की नियुक्ति का निर्देश दिया है। केंद्र ने अधिनियम के आलोक में इस तिथि के बाद अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का आदेश दिया है। बताया जाता है कि पारा शिक्षक सहित सात हजार से अधिक शिक्षक अप्रशिक्षित हैं। इनमें से निजी स्कूलों के शिक्षक भी बड़ी संख्या में शामिल हैं।
राज्य सरकार ने इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) से डीएलएड कोर्स से वंचित पारा शिक्षकों को केंद्र के निर्देश पर एनआइओएस से यह कोर्स पिछले वर्ष कराया था। इसमें लगभग डेढ़ हजार प्रशिक्षण परीक्षा में फेल हो गए, जबकि लगभग तीन हजार पारा शिक्षकों के इंटरमीडिएट में आवश्यक से कम अंक होने के कारण परिणाम जारी नहीं हुए। राज्य सरकार ने इन पारा शिक्षकों के मानदेय पर रोक लगाते हुए चयनमुक्त करने का निर्णय लिया है। हालांकि, पारा शिक्षकों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने केंद्र से इनके प्रशिक्षण के लिए एक और अवसर देने की मांग की थी।
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