रांची. झारखंड शिक्षा परियोजना (जेईपीसी) ने राज्य के
सभी 7578 अनट्रेंड शिक्षकों को हटाने का आदेश जारी कर दिया है। इस संबंध
में राज्य परियोजना निदेशक उमाशंकर सिंह ने गुरुवार को सभी जिला शिक्षा
पदाधिकारी (डीईओ) और जिला शिक्षा अधीक्षक (डीएसई) को पत्र लिखा है।
पत्र में साफ हिदायत दी गई है कि राज्य के किसी भी सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं होने चाहिए। जहां भी ऐसे शिक्षक हैं, उन सभी को कार्यमुक्त कर दिया जाए। यह कार्रवाई केंद्र सरकार के उस पत्र के आधार पर की गई है, जिसमें राज्य सरकार को सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया गया है। केंद्रीय स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्रालय की निदेशक राशि शर्मा ने बुधवार को पत्र भेजा था। सरकार के इस निर्णय से सबसे अधिक निजी स्कूल प्रभावित होंगे, क्योंकि इनमें सबसे अधिक अनट्रेंड टीचर पदस्थापित हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 31 मार्च 2019 के बाद स्कूलों में कोई भी अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं पढ़ाएगा। पारा टीचरों के आग्रह पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड करने के लिए एक साल की मोहलत दी जाए, ताकि वे प्रशिक्षित हो सकें। लेकिन केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया था।
अप्रैल से अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों का मानदेय बंद
अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों का मानदेय अप्रैल से बंद है। नेशनल स्कूल ऑफ ओपन स्कूलिंग की ओर से आयोजित डीएलएड की परीक्षा में ये पास नहीं कर सके थे। जून-2019 में रिजल्ट आने और एनआईओएस की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग ने इनके मानदेय पर रोक लगा दी है।
पारा शिक्षकों ने कहा- एक साल मोहलत मिले, नहीं तो जाएंगे कोर्ट
पारा शिक्षकों के नेता संजय दुबे ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव से आग्रह है कि यह निर्णय फिलहाल रोका जाए, ताकि पारा शिक्षक डीएलएड कर सकें। ऐसा नहीं हुआ वे लोग कोर्ट की शरण लेंगे।
अगस्त- 2017 में हो चुका था निर्णय
अगस्त 2017 में ही राज्यों से कहा गया था कि 31 मार्च 2019 के बाद कोई अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं रहेगा। तब से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता डीएलएड है। -राशि शर्मा, निदेशक, स्कूली शिक्षा-साक्षरता मंत्रालय
पत्र में साफ हिदायत दी गई है कि राज्य के किसी भी सरकारी और निजी स्कूलों में अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं होने चाहिए। जहां भी ऐसे शिक्षक हैं, उन सभी को कार्यमुक्त कर दिया जाए। यह कार्रवाई केंद्र सरकार के उस पत्र के आधार पर की गई है, जिसमें राज्य सरकार को सभी अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का निर्देश दिया गया है। केंद्रीय स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्रालय की निदेशक राशि शर्मा ने बुधवार को पत्र भेजा था। सरकार के इस निर्णय से सबसे अधिक निजी स्कूल प्रभावित होंगे, क्योंकि इनमें सबसे अधिक अनट्रेंड टीचर पदस्थापित हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्र ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि 31 मार्च 2019 के बाद स्कूलों में कोई भी अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं पढ़ाएगा। पारा टीचरों के आग्रह पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा था कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को डीएलएड करने के लिए एक साल की मोहलत दी जाए, ताकि वे प्रशिक्षित हो सकें। लेकिन केंद्र सरकार ने इनकार कर दिया था।
अप्रैल से अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों का मानदेय बंद
अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों का मानदेय अप्रैल से बंद है। नेशनल स्कूल ऑफ ओपन स्कूलिंग की ओर से आयोजित डीएलएड की परीक्षा में ये पास नहीं कर सके थे। जून-2019 में रिजल्ट आने और एनआईओएस की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षा विभाग ने इनके मानदेय पर रोक लगा दी है।
पारा शिक्षकों ने कहा- एक साल मोहलत मिले, नहीं तो जाएंगे कोर्ट
पारा शिक्षकों के नेता संजय दुबे ने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव से आग्रह है कि यह निर्णय फिलहाल रोका जाए, ताकि पारा शिक्षक डीएलएड कर सकें। ऐसा नहीं हुआ वे लोग कोर्ट की शरण लेंगे।
अगस्त- 2017 में हो चुका था निर्णय
अगस्त 2017 में ही राज्यों से कहा गया था कि 31 मार्च 2019 के बाद कोई अप्रशिक्षित शिक्षक नहीं रहेगा। तब से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता डीएलएड है। -राशि शर्मा, निदेशक, स्कूली शिक्षा-साक्षरता मंत्रालय
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