रांची : झारखंड में मैट्रिक और इंटर की परीक्षा की कॉपियों के
मूल्यांकन में गड़बड़ी करने या लापरवाही बरतने के आरोप में झारखंड एकेडमिक
काउंसिल (जैक) ने पिछले तीन सालों में 250 से अधिक शिक्षकों को ब्लैक
लिस्टेड किया है. जैक ने वर्ष 2015 से लेकर 2017 तक मूल्यांकन में गड़बड़ी
करनेवाले शिक्षकों का लिस्ट तैयार किया है.
हालांकि इसके बाद भी कॉपियों के मूल्यांकन में अंकों की हेराफेरी का
सिलसिला रुक नहीं रहा है. शिक्षक पास विद्यार्थी को फेल कर देते हैं.
शिक्षकों की ओर से गड़बड़ी या लापरवाही किये जाने के कारण बच्चों के करियर
तक चौपट हो रहे हैं. प्राप्तांक से असंतुष्ट बच्चे अपने अंकों में सुधार के
लिए स्कूल-काॅलेज से लेकर जैक कार्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं.
स्क्रूटनी के लिए आवेदन जमा कर रहे हैं. इसके बाद ही कहीं उनके साथ न्याय
हो रहा है. वर्ष 2017 के मैट्रिक परीक्षा में भी मूल्यांकन में गड़बड़ी के
लिए जैक ने 67 शिक्षकों को ब्लैक लिस्टेड किया है.
कई मामले आये हैं सामने
प्रभात खबर के संज्ञान में कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिनमें
मूल्यांकन के दौरान शिक्षक ने बच्चों को काफी कम अंक दे दिये, उसे फेल कर
दिया, पर स्क्रूटनी के दौरान प्राप्तांक में अप्रत्याशित वृद्धि हुई. एक
परीक्षार्थी को एक विषय में सात अंक मिले थे. पर स्क्रूटनी के बाद उसे कुल
59 अंक प्राप्त हुआ. यह परीक्षार्थी शिक्षकों की लापरवाही के कारण पहले
फेल था. पर स्क्रूटनी के बाद पास हो गया
यही नहीं, एक मामले में तो, स्क्रूटनी के बाद परीक्षार्थी को एक विषय
के अंक में 72 तक की बढ़ोतरी हुई. गणित में एक परीक्षार्थी को शिक्षक ने
मूल्यांकन में मात्र पांच अंक दिये. पर स्क्रूटनी में जब उसकी कॉपी को फिर
से देखा गया, तो पता चला कि अंकों के योग में गड़बड़ी की गयी थी.
इंटर गणित में ही एक परीक्षार्थी को परीक्षक ने 33 अंक दिये थे. पर
स्क्रूटनी में उसका अंक घट कर छह हो गया. मूल्यांकन में जिन
परीक्षार्थियों के अंक में गड़बड़ी पायी गयी, उनमें 90 फीसदी से अधिक के
अंक में स्क्रूटनी के बाद बढ़ोतरी हुई है.
ऐसे करते हैं गड़बड़ी
- मूल्यांकन के दौरान परीक्षक को प्रत्येक प्रश्न के मूल्यांकन बाद
दिये गये प्राप्तांक को उत्तरपुस्तिका के प्रथम पृष्ठ पर अंकित काॅलम में
लिखना होता है. इस प्रक्रिया में परीक्षक कई बार या तो कुछ प्रश्नों के
प्राप्तांक नहीं लिख पाते या फिर गलत लिख देते हैं
- परीक्षक कई बार कुछ प्रश्नों के उत्तर को बिना मूल्यांकित किये छोड़ देते है
- मूल्यांकन के बाद परीक्षक को प्राप्त अंक मार्क्स फाइल में लिखना
होता है. कई बार सहयोगी परीक्षक को बोल कर मार्क्स फाइल में प्राप्तांक
चढ़ाते हैं. ऐसे में सुनने में गड़बड़ी होने से भी अंकों में हेराफेरी हो
जाती है
स्क्रूटनी के बाद परीक्षार्थियों के अंकों में हुई अप्रत्याशित वृद्धि
मैट्रिक परीक्षा
रौल कोड रौल नंबर विषय अंक में बदलाव
45063 0094 हिंदी +40
43007 0030 अंग्रेजी +72
11095 0001 गणित +35
27016 0105 गणित +60
53076 0074 गणित +50
44007 0006 विज्ञान +40
42067 0001 सोशल साइंस +40
इंटरमीडिएट परीक्षा
रौल कोड रौल नंबर विषय अंक में बदलाव
21026 10289 गणित +50
22005 10121 अर्थशास्त्र +28
53029 10017 गणित +20
32003 20068 बिजनेस मैथ +52
24015 10019 गणित +31
11062 10367 रसायन +24
11033 10172 गणित +32
कोट
10 से अधिक अंक की गड़बड़ी करनेवाले ब्लैक लिस्टेड
मूल्यांकन में सामान्यतया 10 से अधिक अंक की गड़बड़ी करनेवाले
शिक्षक पर ही कार्रवाई की जाती है. वर्ष 2015 से 2017 के दौरान ब्लैक
लिस्टेड 250 शिक्षकों में मात्र 24 ऐसे हैं, जिन्हें छह से 10 अंकों की
गड़बड़ी के लिए ब्लैक लिस्टेड किया गया है.
विद्यार्थी का हो जाता नुकसान
मूल्यांकन में गड़बड़ी का खमियाजा विद्यार्थी को भुगतना पड़ता है.
रिजल्ट जारी होने के साथ ही कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया शुरू हो जाती
है. ऐसे में कम अंक होने के कारण कई बार विद्यार्थियों को मनपसंद कॉलेज
में नामांकन नहीं मिल पाता है. अंक में सुधार में कम से कम तीन माह लग
जाते हैं, तब तक नामांकन प्रक्रिया बंद हो जाती है. इस दौरान परीक्षार्थी
को मानसिक पीड़ा से भी गुजरना पड़ता है.
परीक्षकों को प्रति वर्ष मूल्यांकन के पूर्व सावधानी बरतने की सलाह दी
जाती है. मूल्यांकन में होनेवाली गड़बड़ी के बारे में बताया जाता है.
इसके बाद भी परीक्षक गड़बड़ी करते हैं. शिक्षकों की गलती से जैक की भी
बदनामी होती है. ऐसे शिक्षकों को ब्लैक लिस्टेड किया गया है. मूल्यांकन
कार्य से हटा दिया गया है.
- डॉ अरविंद प्रसाद सिंह, अध्यक्ष जैक
No comments:
Post a Comment