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139 शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच पूरी हुए बगैर ही किया जा रहा वेतन भुगतान

फर्जी शिक्षकों को बहाल करने में धनबाद जिला पहले स्थान पर है। आलम यह है कि अभी तक 146 शिक्षकों का प्रमाण पत्र फर्जी निकल चुका है। जिला शिक्षा विभाग उक्त शिक्षकों का वेतन भुगतान रोकते हुए उनके ऊपर कार्रवाई भी कर चुका है। हालांकि जिले के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बहाल 139 शिक्षक ऐसे है, जिनके प्रमाण पत्रों की जांच करवाए बिना ही उन्हें वेतन दिया जा रहा है।
आलम यह है कि जिले के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में कुल 939 शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। 879 के प्रमाण पत्रों की जांच अभी तक नहीं हो पाई है। इनमें सबसे अधिक प्रमाण पत्र बिहार बोर्ड से निर्गत है। जिला शिक्षा विभाग की माने तो विभाग के निर्देश पर उपायुक्त ने मैट्रिक अथवा इंटर में किसी एक प्रमाण पत्र की जांच नहीं होने की स्थिति में भी वेतन भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके बाद लगभग सभी शिक्षकों का वेतन भुगतान कर दिया गया है। जबकि 138 शिक्षक ऐसे है जिनका अभी तक मात्र टेट प्रमाण पत्रों की ही जांच हो पाया है। इसके बाद भी इन शिक्षकों का वेतन भुगतान कर दिया गया है। जबकि जिला शिक्षा विभाग को बिहार बोर्ड के 50 से अधिक प्रमाण पत्रों पर संदेह है।

जिले के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में फर्जी टेट प्रमाण पत्र पर बहाल 123 शिक्षकों को बुधवार को बर्खास्त कर दिया गया है। इसके साथ ही संबंधित शिक्षकों पर एफआईआर करने का आदेश भी जारी कर दिया गया है। डीएसई बिनीत कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। जारी आदेश में सभी बीईईओ को उनके प्रखंड में नियुक्त फर्जी शिक्षकों के ऊपर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया गया है। डीएसई ने बताया कि प्रत्येक प्रखंड में बहाल शिक्षकों के ऊपर एफआईआर संबंधित प्रखंड के बीईईओ सदर थाना में करेंगे। बता दे कि अभी तक कुल 146 शिक्षकों को बर्खास्त किया जा चुका है। इनमें 23 शिक्षकों को पहले ही बर्खास्त किया जा चुका है। इनमें 18 शिक्षकों का टेट प्रमाण पत्र फर्जी था, और 5 शिक्षकों की नियुक्ति टंकन भूल के वजह से हो गया था।

उषा पासवान, पूनम कुमारी, संजू कुमारी, डेजी कुमार, सोनी कुमारी, प्रिया कुमारी, सुनीता कुमारी, ममता शांडिल्य, नीलम कुमारी, सुजाता कुमारी, सीमा कुमारी, अमल कुमार, सुजाता कुमार पांडेय, अमोल शंकर, सरिता कुमारी, अपराजिता जमुआ, राजेश कुमार पांडेय, दशरथ प्रसाद यादव, अनिल कुमार पांडेय, तिलेश्वर तिवारी, राजेश कुमार, मंगल मूर्ति, आशा सिन्हा, विपिन शर्मा, सुनील राम, संजय दास, अनुरोध कुमार, गोवर्धन कुमार, जय किशोर प्रसाद, सुनील कुमार अलबेला, अविनाश कुमार राम, शंभु शरण मिस्त्री, कन्हैया पांडेय, शिल्पी कुमारी, रिंकी कुमारी, अंचल पाल सिंह, चंचला कुमारी, कुमारी नीलम सिन्हा, सोनी कुमारी, शिव शंकर कुमार चौधरी, संजीत कुमार, ब्रजेश बिहारी सिंह, अर्चना कुमारी, सुनील कुमार सिंह, रंजना कुमारी, अजय कुमार, त्रिपुरारी प्रसाद, अखिलेश कुमार सिंह, निरंजन कुमार, रानी कुमारी, लालू प्रसाद यादव, कुमार विक्रम अमरेंद्र, रेणु कुमारी, पिंटू कुमार, पंकज कुमार, रंजन कुमार, मिथिलेश कुमार, कुंदन कांत, विकास कुमार, कौशलेंद्र कुमार, रुक्मिणी कुमारी, उमेश कुमार यादव, साजिद मंसूर, मो मंजर आलम, माला कुमारी, मुन्नी कुमारी, अशोक कुमार यादव, अविनाश कुमार, मनीष कुमार गुप्ता, रमेश कुमार, राजेंद्र प्रसाद साहू, शिवशंकर पांडेय, मिथिलेश कुमार शर्मा, अरुण कुमार सिंह, मनोज यादव, शांति पांडेय, मनोज कुमार, अरुण कुमार, प्रियंका कुमारी, राजीव रंजन, राजकिशोर कुमार, संदीप चौधरी, अजित कुमार चौधरी, राजा बाबू, रामदेव प्रसाद यादव, धर्मेंद्र कुमार, सुरेश यादव, रवि कुमार, तबरेज आलम, सिंपी कुमारी, सुनील कुमार, रामाशीष कुमार, ममता कुमारी, अंजना शाही, कुमार अभय, राजीव रंजन कुमार, राजेश कुमार, दीपक कुमार पांडेय, अमित कुमार यादव, संजय कुमार यादव, विशाल कुमार, दीपेश कुमार रोशन, रंधीर कुमार, मनोज कुमार, रजनीश कुमार सिंह, कृष्ण रंजन पांडेय, कमलेश कुमार, बिंदु कुमारी, शैलेंद्र कुमार, प्रियेश कुमार, केशव कुमार झा, ब्रजेश कुमार, अशोक कुमार शर्मा, सुभाष देव, मनोज कुमार, राहुल कुमार, शोभा कुमारी, दिलीप कुमार, अनुग्रह कुमार, परमानंद पांडेय, प्रियंका कुमारी और सुबोध कुमार।

इस प्रकार अधूरी है प्रमाण पत्रों की जांच

470शिक्षकों का मैट्रिक प्रमाण पत्र का नहीं हुआ सत्यापन

216 शिक्षकों का इंटर का प्रमाण पत्र का नहीं हुआ सत्यापन

8 शिक्षकों का स्नातक का प्रमाण पत्र का नहीं हुआ सत्यापन

182 शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमाण पत्र का नहीं हुआ सत्यापन

संदेह नंबर दो -जिला शिक्षा विभाग की ओर से नियुक्त शिक्षकों का बिहार बोर्ड की प्रमाण पत्रों की जांच के लिए पूर्वी टुंडी के बीईईओ राजीव रंजन को जांच करवाने के लिए भेजा गया था। जांच के क्रम में 50 से अधिक प्रमाण पत्र ऐसे है, जिनकी जानकारी बोर्ड के डाटा बेस में नहीं है। हालांकि बोर्ड ने उक्त प्रमाण पत्रों की जांच टीआर से का अंतिम विकल्प दिया है। हालांक बोर्ड को इन प्रमाण पत्रों पर संदेह है।

संदेह नंबर एक -पिछले दिनों ही विभिन्न माध्यम से शिक्षिका सोनी कुमारी के मैट्रिक प्रमाण पत्र पर सवाल उठाते हुए जांच का मांग किया गया था। दरअसल जानकारी के अनुसार सोनी कुमार का जन्म वर्ष 1994 में हुआ था। जबकि वह 2007 में मैट्रिक परीक्षा पास कई गई थी। ऐसे में सोनी मात्र 12 वर्ष 8 माह और 5 दिन में ही मैट्रिक परीक्षा पास कर गई है। जबकि बोर्ड की ओर से मैट्रिक परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम 14 वर्ष निर्धारित है।

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