राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पांच सिंतबर को शिक्षक दिवस के मौके पर दिल्ली के डॉ राजेन्द्र प्रसाद सर्वोदय विद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का जिक्र किया था. इसके दो दिन बाद प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी ने सात सिंतबर को राष्ट्रपति के विचार का समर्थन किया था.
मोदी ने भी मार्च मे भाजपा की एक बैठक में 2014 के चुनाव घोषणा पत्र के मुद्दे को रेखांकित करते हुए अधिकारिक तौर पर पंचायत नगर निकायों, विधानसभाओं और लोकसभा का चुनाव एक साथ कराए जाने का विचार व्यक्त किया था.
गौरतलब है कि 2014 के भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में संस्थागत सुधार के विषय में कहा था कि भाजपा दूसरी पार्टियों के साथ बातचीत के जरिए एक ऐसा तरीका निकालना चाहेगी, जिससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें.सूत्र के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का मानना है कि देश में बार-बार होने वाले चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो जाती है और विकास के काम रुक जाते है और नीतिगत फैसलों को भी टालना पड़ता है. सरकार का मानना है कि एक देश एक चुनाव से देश में चुनाव के दौरान बेतहाशा होने वाले खर्चो में कमी आएगी और कालेधन के इस्तेमाल पर भी लगाम लगेगी.
"एक अनुमान के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव पर 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च विभिन्न राजनैतिक दलों ने किया था."
एक अनुमान के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव पर 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च विभिन्न राजनैतिक दलों ने किया था. सरकार का भी आकलन है कि लोकसभा और विधानसभा पर अगर एक ही दर से खर्च होता है और अगर इसके साथ विधानसभा, नगरपालिका और पंचायत चुनावों का खर्च भी जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा एक लाख करोड़ के करीब बैठता है.
यदि एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू हो जाती है तो कालेधन पर लगाम लगाने के साथ कम पैसों में चुनाव कराए जा सकेंगे. चुनाव आयोग ने भी केन्द्र और राज्य के चुनाव को साथ साथ कराए जाने के विचार पर गंभीरता से सोच रही है. सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में आम सहमति बनाकर फिर संविधान संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाएंगे जैसे केन्द्र सरकार ने जीएसटी के लिए किया था.
सूत्र बताते है कि सरकार के रणनीतिकार एक देश एक चुनाव को अमलीजामा पहनाने के लिए सभी दलों से बातचीत शुरू करेंगे. सरकार इस संबंध में सर्वदलीय बैठक बुला सकती है. भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि हम इस दिशा में तेजी से बढ़ेंगे और हमारी कोशिश होगी की 2019 के चुनाव के समय एक देश एक चुनाव को लागू किया जा सकें.
मोदी ने भी मार्च मे भाजपा की एक बैठक में 2014 के चुनाव घोषणा पत्र के मुद्दे को रेखांकित करते हुए अधिकारिक तौर पर पंचायत नगर निकायों, विधानसभाओं और लोकसभा का चुनाव एक साथ कराए जाने का विचार व्यक्त किया था.
गौरतलब है कि 2014 के भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र में संस्थागत सुधार के विषय में कहा था कि भाजपा दूसरी पार्टियों के साथ बातचीत के जरिए एक ऐसा तरीका निकालना चाहेगी, जिससे लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें.सूत्र के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी का मानना है कि देश में बार-बार होने वाले चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हो जाती है और विकास के काम रुक जाते है और नीतिगत फैसलों को भी टालना पड़ता है. सरकार का मानना है कि एक देश एक चुनाव से देश में चुनाव के दौरान बेतहाशा होने वाले खर्चो में कमी आएगी और कालेधन के इस्तेमाल पर भी लगाम लगेगी.
"एक अनुमान के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव पर 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च विभिन्न राजनैतिक दलों ने किया था."
एक अनुमान के मुताबिक 2014 के लोकसभा चुनाव पर 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च विभिन्न राजनैतिक दलों ने किया था. सरकार का भी आकलन है कि लोकसभा और विधानसभा पर अगर एक ही दर से खर्च होता है और अगर इसके साथ विधानसभा, नगरपालिका और पंचायत चुनावों का खर्च भी जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा एक लाख करोड़ के करीब बैठता है.
यदि एक देश एक चुनाव की व्यवस्था लागू हो जाती है तो कालेधन पर लगाम लगाने के साथ कम पैसों में चुनाव कराए जा सकेंगे. चुनाव आयोग ने भी केन्द्र और राज्य के चुनाव को साथ साथ कराए जाने के विचार पर गंभीरता से सोच रही है. सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री मोदी इस मामले में आम सहमति बनाकर फिर संविधान संशोधन की दिशा में कदम बढ़ाएंगे जैसे केन्द्र सरकार ने जीएसटी के लिए किया था.
सूत्र बताते है कि सरकार के रणनीतिकार एक देश एक चुनाव को अमलीजामा पहनाने के लिए सभी दलों से बातचीत शुरू करेंगे. सरकार इस संबंध में सर्वदलीय बैठक बुला सकती है. भाजपा के एक बड़े नेता का कहना है कि हम इस दिशा में तेजी से बढ़ेंगे और हमारी कोशिश होगी की 2019 के चुनाव के समय एक देश एक चुनाव को लागू किया जा सकें.
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