रांची : पारा शिक्षकों के लिए प्रस्तावित सेवा शर्त नियमावली की
आपत्ति पर सरकार विचार करेगी. झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा तैयार
नियमावली पर आपत्ति मांगी गयी थी. नियमावली पर 3367 आपत्तियां दर्ज करायी
गयी थीं.
परियोजना ने पारा शिक्षकों द्वारा नियमावली पर दर्ज करायी गयी
आपत्तियों की समेकित रिपोर्ट तैयार की है. बुधवार को पारा शिक्षकों की सेवा
शर्त नियमावली व इस पर दर्ज आपत्तियों पर विचार के लिए शिक्षा मंत्री
जगरनाथ महतो की अध्यक्षता में बैठक होगी.
बैठक में शामिल होंगे पारा शिक्षकों के प्रतिनिधि : सेवा शर्त
नियमावली को लेकर बुधवार को होने वाली बैठक में पारा शिक्षकों के
प्रतिनिधि भी भाग लेंगे.
झारखंड शिक्षा परियोजना के प्रशासी पदाधिकारी जयंत कुमार मिश्रा ने
इस संबंध में पत्र जारी किया है. परियोजना द्वारा जारी पत्र में संजय
कुमार दुबे, प्रद्युमन कुमार सिंह, ऋषिकेश पाठक, बिनोद बिहारी महतो,
प्रमोद कुमार, नरोत्तम सिंह मुंडा, मोहन मंडल व दशरथ ठाकुर को बैठक में
शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है.
सेवा शर्त नियमावली के प्रावधान : झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा
तैयार नियमावली में दो स्तर पर परीक्षा लेने की बात कही गयी है. प्रथम
परीक्षा का प्रश्न पत्र बहुविकल्पीय होगा. द्वितीय परीक्षा लिखित होगी.
द्वितीय परीक्षा विषय आधारित होगी. परीक्षा में पास करने के लिए न्यूनतम 60
फीसदी अंक लाना अनिवार्य होगा.
अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति /पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से पिछड़ा
वर्ग व दिव्यांग अभ्यर्थियों को अंक में पांच फीसदी की छूट दी जायेगी. एक
पारा शिक्षक को अधिकतम दो आकलन परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया
जायेगा. परीक्षा में पास नहीं करने पर सेवा समाप्त कर दी जायेगी. सीमित
आकलन परीक्षा में वैसे पारा शिक्षक ही शामिल हो सकेंगे, जो प्रशिक्षित हों.
वैसे पारा शिक्षक जो चयन के समय प्रशिक्षित नहीं थे, वे प्रशिक्षण के दस
वर्ष पूरा होने पर परीक्षा में शामिल हो पायेंगे. प्रशिक्षण के पश्चात दस
वर्ष की अटूट सेवा अनुभव होना अनिवार्य है.
पारा शिक्षकों ने नियमावली पर दर्ज की आपत्ति
सीमित आकलन परीक्षा में असफल होने पर भी पारा शिक्षकों की संविदा
समाप्त नहीं की जाये, उन्हें वर्तमान व्यवस्था के तहत बनाये रखा जाये.
विधिवत चयनित व संविदा के शर्त का उल्लंघन नहीं करने के प्रावधान के जगह राज्य में कार्यरत सभी पारा शिक्षक किया जाये.
प्रशिक्षण के आठ वर्ष के बदले विद्यालय में नियुक्ति से आठ वर्ष की सेवा पूर्ण होने का प्रावधान किया जाये.
प्रशिक्षित पारा शिक्षक के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात दस वर्ष की अटूट सेवा के प्रावधान को समाप्त करना.
सीमित आकलन परीक्षा के स्वरूप में बदलाव करना सीमित आकलन परीक्षा दो की जगह एक चरण में लिया जाये.
परीक्षा मात्र सौ अंक की हो और 30 अंक लाने वाले पारा शिक्षक को पास घोषित किया जाये, वर्तमान में पास मार्क्स 60 रखा गया है.
सीमित आकलन परीक्षा में शामिल होने के लिए न्यूनतम पांच अवसर दिये जायें.
विद्यालय में 90 फीसदी विद्यार्थियों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के बदले यह प्रावधान किया जाये कि अधिक से अधिक उपस्थिति हो.
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