झारखंड : जमीन के पेच में जा रही है राज्य के स्कूल-कॉलेजों की मान्यता, जानें कैसे - The JKND Teachers Blog - झारखंड - शिक्षकों का ब्लॉग

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Monday 14 May 2018

झारखंड : जमीन के पेच में जा रही है राज्य के स्कूल-कॉलेजों की मान्यता, जानें कैसे

49 हाइस्कूल व 79 इंटर कॉलेजों की मान्यता हुई समाप्त 
रांची : राज्य में मान्यता की शर्त पूरा नहीं करने वाले स्कूल-कॉलेजों की मान्यता समाप्त की जा रही है. झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने अब तक 69 हाइस्कूल व 79 इंटर कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी है. जिन शिक्षण संस्थानों की मान्यता समाप्त की गयी है, उनके द्वारा नामांकन लेने पर रोक लगा दी गयी है. राज्य में स्कूल-कॉलेजों की मान्यता समाप्त होने का सबसे बड़ा कारण जमीन है. 
 
हाइस्कूल व इंटर कॉलेज की मान्यता को लेकर बनायी गयी नियमावली में मान्यता के लिए संबंधित संस्थान के नाम से जमीन का निबंधन आवश्यक है. झारखंड में संताल परगना प्रमंडल में एसपीटी एक्ट के कारण जमीन का निबंधन नहीं होता है. इसके अलावा बोकारो, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़ व जमशेदपुर के बड़े इलाके में लीज की जमीन होने के कारण निबंधन नहीं होता है. मान्यता समाप्त करने को लेकर जिन स्कूल-कॉलेजों को नोटिस जारी किये गये हैं, उनमें अधिकांश शिक्षण संस्थान की जमीन का मामला है. 
 
स्कूल-कॉलेजों को दो वर्ष के  लिए अस्थायी मान्यता (स्थापना अनुमति) मिलती है. इसके बाद संस्थान को  स्थायी मान्यता के लिए आवेदन करना होता है. जमीन से जुड़े नियम के कारण  शिक्षण संस्थान स्थायी प्रस्वीकृति के लिए आवेदन जमा नहीं कर पा रहे हैं.  संताल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी)  में जमीन का निबंधन नहीं होने के कारण प्रमंडल के 150 से अधिक  स्कूल-कॉलेजों की स्थायी मान्यता का मामला वर्षों से लंबित है. शिक्षण  संस्थान भूमि के अलावा स्थायी मान्यता की सभी शर्त को पूरा करता है
 
लंबित है नियमावली में संशोधन का मामला 
 
राज्य में वर्ष 2005 में इंटर कॉलेजों की प्रस्वीकृति के लिए नियमावली  बनायी गयी थी़   इसके कुछ प्रावधानों का शिक्षक संघों ने विरोध किया़    इसमें संशोधन के लिए वर्ष 2011 में कमेटी बनायी गयी़   कमेटी ने वर्ष 2012 में अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को सौंप दी़  शिक्षा  विभाग ने नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव कार्मिक व विधि विभाग को भेजा़     
 
दोनों विभागों से इसे स्वीकृति मिल गयी़  इसके बाद प्रस्ताव वित्त विभाग को  भेजा गया़   वित्त ने यह कहते हुए शिक्षा विभाग को यह प्रस्ताव लौटा दिया कि  इसके  कुछ बिंदुओं की फिर से समीक्षा की जाये. संशोधन प्रस्ताव की समीक्षा  के लिए फिर से कमेटी गठित की गयी़    कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शिक्षा विभाग को वर्ष 2014 में सौंप दी़  इसके बाद से नियमावली संशोधन का प्रस्ताव लंबित है. 
 
संशोधन होने से मिल जाती मान्यता 
 

 नियमावली में संशोधन होने से जमीन के कारण स्कूल-कॉलेजों को मान्यता  मिलने में परेशानी नहीं होती. कमेटी ने अपने प्रस्ताव में संताल परगना में  स्कूल-कॉलेज खोलने के लिए  भूमि का केवल दान पत्र देने की बात कही थी. जमीन  निबंधित नहीं होने से दान पत्र देने पर स्कूल-कॉलेज को मान्यता मिल जाती.  इसके अलावा लीज की भूमि पर चल रहे कॉलेजों को  प्रस्वीकृति के लिए केवल  एनओसी  देने की बात संशोधन प्रस्ताव में कही गयी थी.

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