रांची यूनिवर्सिटी के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग (टीआरएल) में नौ
भाषाओं की पढ़ाई का दावा किया जाता है। जबकि करीब 900 स्टूडेंट्स को पढ़ाने
के लिए यहां एचओडी सहित सिर्फ तीन शिक्षक ही नियुक्त हैं। ये तीन शिक्षक भी
तीन ही भाषाओं के लिए हैं।
इसके बाद भी हर साल छह भाषाओं के स्टूडेंट्स बिना शिक्षक के ही पीजी पास कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि ये स्टूडेंट्स आखिर पास कैसे कर रहे हैं? जबकि, यहां नागपुरी, मुंडारी और कुड़ुख भाषा के अलावा अन्य छह भाषाओं में पढ़ाई नाम पर खानापूर्ति हो रही है। रांची यूनिवर्सिटी के अधिकारी को बिना शिक्षक के पास हो रहे स्टूडेंट्स के भविष्य की चिंता ही नहीं। जबकि, झारखंड में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा अनिवार्य है। इसके बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर आरयू की ओर से प्रयास ही नहीं किया जा रहा है। मतलब साफ है कि आरयू में 1980 से स्थापित टीआरएल को अधिकारियों की लापरवाही ने कंडम बनाकर रख दिया है।
{नागपुरी, मुंडारी और कुड़ुख की दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई।
शिक्षक नहीं होने से टीआरएल चलाना बहुत मुश्किल काम है। अभी तीन तीन शिक्षकों को पढ़ाई के साथ स्टूडेंट्स का शोध भी पूरा कराना होता है। सभी भाषा के लिए अलग-अलग शिक्षक होने जरूरी हैं। इससे स्टूडेंट्स को काफी सहूलियत होगी। डॉ.त्रिवेणी नाथ साहू, एचओडी, टीआरएल
स्थानीय भाषा को पढ़ने में स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट कम नहीं है। हर साल टीआरएल में एडमिशन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन आरयू के जिम्मेदारों के कारण वे एडमिशन लेने के बाद भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। वैसे खानापूर्ति के लिए आरयू ने रिसर्च स्कॉलर को पढ़ाने का जिम्मा दे रखा है। लेकिन विशेषज्ञ शिक्षक नहीं होने से स्टूडेंट्स को शोध करने में काफी परेशानी हो रही है।
क्षेत्रीय भाषा नागपुरी,पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली
जनजातीय भाषा कुड़ुख,मुंडारी, हो, खड़िया, संथाली
51 सृजित पद को घटाकर 18 कर दिया
टीआरएलकी 1980 में हुई स्थापना के समय कुल 51 पद सृजित थे। मगर शुरुआत में सिर्फ नौ शिक्षकों की बहाली हुई थी। इसके बाद से सृजित पदों पर बहाली ही नहीं हुई। वर्ष 2007 में जेपीएससी के माध्यम से शिक्षक बहाली की प्रक्रिया शुरू भी हुई थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। डीबी स्टार की पड़ताल के अनुसार वर्तमान में नियुक्त तीन शिक्षक भी वर्ष 2019 में रिटायर कर जाएंगे। इधर, नई नियुक्ति तो हुई नहीं, लेकिन टीआरएल में सृजित 51 पद को घटाकर 18 कर दिया गया है। मतलब सृजित पद के हिसाब से देखें,तो वर्तमान में 15 शिक्षकों की नियुक्ति तत्काल होनी चाहिए। वैसे डीबी स्टार को मिली जानकारी के अनुसार कांट्रेक्ट बेस पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आरयू ने इंटरव्यू लिया है।
इन भाषाओं की होती है पढ़ाई
फैक्ट फाइल
CIVIC ISSUE
03 भाषाओंकी दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई
51 शिक्षकोंका पद पहले था सृजित
18 शिक्षकअब नियुक्त होंगे, घटा पद
09 जनजातीयऔर क्षेत्रीय भाषा की टीआरएल में होती है पढ़ाई
इसके बाद भी हर साल छह भाषाओं के स्टूडेंट्स बिना शिक्षक के ही पीजी पास कर रहे हैं। अब सवाल यह है कि ये स्टूडेंट्स आखिर पास कैसे कर रहे हैं? जबकि, यहां नागपुरी, मुंडारी और कुड़ुख भाषा के अलावा अन्य छह भाषाओं में पढ़ाई नाम पर खानापूर्ति हो रही है। रांची यूनिवर्सिटी के अधिकारी को बिना शिक्षक के पास हो रहे स्टूडेंट्स के भविष्य की चिंता ही नहीं। जबकि, झारखंड में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता परीक्षा में जनजातीय या क्षेत्रीय भाषा अनिवार्य है। इसके बाद भी शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर आरयू की ओर से प्रयास ही नहीं किया जा रहा है। मतलब साफ है कि आरयू में 1980 से स्थापित टीआरएल को अधिकारियों की लापरवाही ने कंडम बनाकर रख दिया है।
{नागपुरी, मुंडारी और कुड़ुख की दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई।
शिक्षक नहीं होने से टीआरएल चलाना बहुत मुश्किल काम है। अभी तीन तीन शिक्षकों को पढ़ाई के साथ स्टूडेंट्स का शोध भी पूरा कराना होता है। सभी भाषा के लिए अलग-अलग शिक्षक होने जरूरी हैं। इससे स्टूडेंट्स को काफी सहूलियत होगी। डॉ.त्रिवेणी नाथ साहू, एचओडी, टीआरएल
स्थानीय भाषा को पढ़ने में स्टूडेंट्स का इंटरेस्ट कम नहीं है। हर साल टीआरएल में एडमिशन लेने वालों की संख्या बढ़ रही है। लेकिन आरयू के जिम्मेदारों के कारण वे एडमिशन लेने के बाद भी पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। वैसे खानापूर्ति के लिए आरयू ने रिसर्च स्कॉलर को पढ़ाने का जिम्मा दे रखा है। लेकिन विशेषज्ञ शिक्षक नहीं होने से स्टूडेंट्स को शोध करने में काफी परेशानी हो रही है।
क्षेत्रीय भाषा नागपुरी,पंचपरगनिया, खोरठा, कुरमाली
जनजातीय भाषा कुड़ुख,मुंडारी, हो, खड़िया, संथाली
51 सृजित पद को घटाकर 18 कर दिया
टीआरएलकी 1980 में हुई स्थापना के समय कुल 51 पद सृजित थे। मगर शुरुआत में सिर्फ नौ शिक्षकों की बहाली हुई थी। इसके बाद से सृजित पदों पर बहाली ही नहीं हुई। वर्ष 2007 में जेपीएससी के माध्यम से शिक्षक बहाली की प्रक्रिया शुरू भी हुई थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में चला गया। डीबी स्टार की पड़ताल के अनुसार वर्तमान में नियुक्त तीन शिक्षक भी वर्ष 2019 में रिटायर कर जाएंगे। इधर, नई नियुक्ति तो हुई नहीं, लेकिन टीआरएल में सृजित 51 पद को घटाकर 18 कर दिया गया है। मतलब सृजित पद के हिसाब से देखें,तो वर्तमान में 15 शिक्षकों की नियुक्ति तत्काल होनी चाहिए। वैसे डीबी स्टार को मिली जानकारी के अनुसार कांट्रेक्ट बेस पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आरयू ने इंटरव्यू लिया है।
इन भाषाओं की होती है पढ़ाई
फैक्ट फाइल
CIVIC ISSUE
03 भाषाओंकी दो शिफ्ट में होती है पढ़ाई
51 शिक्षकोंका पद पहले था सृजित
18 शिक्षकअब नियुक्त होंगे, घटा पद
09 जनजातीयऔर क्षेत्रीय भाषा की टीआरएल में होती है पढ़ाई
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