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शिक्षकों की कमी, सरकार उदासीन, ग्रामीणों ने चंदा करके पढ़ाई जारी रखने का लिया निर्णय

विगत 45 साल में 60 हजार जनजातीय बच्चों को मैट्रिक तक की शिक्षा देने वाले टोकलो इलाके का एक मात्र प्रतिष्ठित रोलाडीह हाई स्कूल अब बंदी के कगार पर है। सरकारी उपेक्षा के कारण इस हाई स्कूल के 600 बच्चों पर मात्र तीन सरकारी शिक्षक हैं। पठन-पाठन ठप है।


स्कूल की हालात पर चिंतित इलाके के ग्रामीणों ने स्कूल का अस्तित्व बचाने के लिए आगे आए हैं। पांच किमी परिधि क्षेत्र के दर्जनों गांव के अभिभावक ग्रामीणों ने हर घर से प्रति बच्चा प्रतिमाह 25 रुपए चंदा स्वरूप लेकर पढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया है। चंदे के पैसे से विज्ञान, गणित संस्कृत के शिक्षक बहाल किए जाएंगे। वहीं शिक्षा विभाग से इस हाई स्कूल में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने की मांग की है। हाई स्कूल में 35 बच्चों पर एक शिक्षक का अनुपात है। लेकिन रोलाडीह हाई स्कूल में 200 बच्चों पर एक शिक्षक है।

रोलाडीह हाईस्कूल को बचाने की चर्चा करते लोग।

बैठक में शामिल ग्रामीण।

जनजातीय बच्चों को मैट्रिक तक की शिक्षा देने वाले टोकलो इलाके का एक मात्र प्रतिष्ठित रोलाडीह हाई स्कूल अब बंदी के कगार पर

स्कूल परिसर में पूर्व मुखिया सह स्कूल के संस्थापक देवेंद्र सामड़ की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। बैठक में स्कूल में शिक्षक नहीं होने पर चिंता प्रकट की गई। बैठक में शिक्षकों की कमी पर चर्चा हुई। बंदी के कगार पर पहुंचे स्कूल के लिए प्रति विद्यार्थी चंदा लेने के लिए बाल संसद स्थानीय बुद्धिजीवियों से राय ली गई। वहीं अभिभावकों की सहमति के लिए 18 फरवरी को फिर से बैठक होगी।

^जहां 600 बच्चे हैं वहां शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति नहीं की जा रही है। इस स्कूल को ग्रामीणों ने स्थापित किया था। फिर से चंदा देकर ग्रामीण इसे चलाएंगे। यह कैसी सरकार है, जो एक सरकारी स्कूल को दफन करना चाहती है। इससे दर्द होता है। इससे क्षेत्र का विकास रूकेगा। देवेंद्रसामड़, स्कूल फाउंडर सह पूर्व मुखिया।

एक-एक मुट्ठी चावल के चंदे से खुला था स्कूल

हाईस्कूल के स्थापित होने के पीछे इलाके के लोगों का लंबा संघर्ष है। स्कूल के संस्थापक पूर्व मुखिया देवेंद्र सामड़ बताते हैं कि इलाके में हाई स्कूल नहीं था। 17 किमी दूर चक्रधरपुर जाना पड़ता था। इसलिए मुखिया बनने पर सबसे पहले मैंने इलाके के लोगों को जुटाया। एक-एक मुट्ठी चावल और धान के चंदे से स्कूल खुला।

क्यों हुआ ऐसा हाल

रोलाडीहहाई स्कूल टोकलो इलाके का एक मात्र हाई स्कूल है। 1971- 72 में यह विद्यालय स्थानीय मुखिया देवेंद्र सामड़ की अगुवाई में स्थापित हुआ था। खिरोद महतो के प्रधानाध्यापक काल में यह स्कूल ज्यादा तरक्की किया। हॉस्टल की सुविधा थी। वर्ष 2016 के 22 दिसंबर तक स्कूल में 5 शिक्षक थे। लेकिन 22 दिसंबर को स्कूल के शिक्षक दीनानाथ प्रधान और दुखन महतो की प्रतिनियुक्ति अन्यत्र कर दी गई। अब बाकि बचे तीन शिक्षकों पर 600 बच्चों की जिम्मेवारी है। दोनों शिक्षकों के जाने के बाद विज्ञान गणित की पढ़ाई पूरी तरह बंद है।

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