भास्कर न्यूज |जमशेदपुर/चाईबासा जिले के प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में बेंच-डेस्क की खरीदारी में
बरते गए अनियमितता की जांच को लेकर शिथिलता बरतने का मामला प्रकाश में आया
है। जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा इस पूरे मामले की जांच के लिए 15 दिन पहले
ही अभियंता शकील गनी के नेतृत्व में जांच टीम बनायी थी।
लेकिन अभी तक यह टीम जांच पूरी नहीं कर पाई है। जबकि इस टीम को जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट डीएसई को सौंपनी थी। क्योंकि इसे स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भी भेजना है। वहीं डेस्क बेंच की खरीदा में हुए घपले की जांच रिपोर्ट की बात करें तो संदेह के दायरे में आए प्रदेश के छह जिलों में से धनबाद ने सबसे पहले जांच रिपोर्ट एचआरडी को सौंपी है।
सबसे चौकाने वाली बात है यह कि धनबाद में जांच की प्रक्रिया जमशेदपुर के बाद शुरू हुई थी लेकिन वहां की जांच टीम ने सबसे पहले रिपोर्ट सौंपा है। मालूम हो कि डेस्क बेंच की खरीदारी में बरती गई अनियमितता की बात सामने आने के बाद त्रिस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है।
इसमें पहला राज्य स्तर पर एचआरडी द्वारा टीम बनायी गई है। जबकि जिला स्तर पर डीसी ने जांच टीम का गठन किया वहीं तीसरे जांच टीम का गठन जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा किया गया है। लेकिन पूर्वी सिंहभूम में अभी तक किसी भी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
समितियों को मानक की दी गई थी जानकारी
जिलाशिक्षा विभाग के आंकड़े की माने तो जिले के 519 स्कूलों को 8,339 बेंच डेस्क खरीद के लिए 3.33 करोड़ रुपए जिले को प्राप्त हुआ था जिसे स्कूल प्रबंधन समितियों को भेज दिया गया। साथ ही प्रबंधन समितियों को मानक की जानकारी दी गई थी।
प्रबंधनसमितियों ने नहीं माना सरकार का आदेश
सरकारके निर्देश के तहत डेस्क बेंच की आपूर्ति के लिए जो पैसे दिए गए थे। उससे स्थानीय कारीगरों के माध्यम से स्कूल में डेस्क बेंच का निर्माण कराना था। लेकिन कमीशन के लिए प्रधानाध्यापकों स्कूल प्रबंधन समितियों सरकार के निर्देश को दरकिनार करते हुए बड़े सप्लायरों को आपूर्ति का आर्डर दे दिया। वहीं सप्लायरों ने सरकारी मानक से घटिया डेस्क बेंच की आपूर्ति की। वहीं जब इस घपले की खबर मीडिया में आयी तो सरकार के आदेश पर एचआरडी ने पूरे मामले की जांच के कमेटी बना दी।
लेकिन अभी तक यह टीम जांच पूरी नहीं कर पाई है। जबकि इस टीम को जल्द से जल्द जांच रिपोर्ट डीएसई को सौंपनी थी। क्योंकि इसे स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को भी भेजना है। वहीं डेस्क बेंच की खरीदा में हुए घपले की जांच रिपोर्ट की बात करें तो संदेह के दायरे में आए प्रदेश के छह जिलों में से धनबाद ने सबसे पहले जांच रिपोर्ट एचआरडी को सौंपी है।
सबसे चौकाने वाली बात है यह कि धनबाद में जांच की प्रक्रिया जमशेदपुर के बाद शुरू हुई थी लेकिन वहां की जांच टीम ने सबसे पहले रिपोर्ट सौंपा है। मालूम हो कि डेस्क बेंच की खरीदारी में बरती गई अनियमितता की बात सामने आने के बाद त्रिस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया गया है।
इसमें पहला राज्य स्तर पर एचआरडी द्वारा टीम बनायी गई है। जबकि जिला स्तर पर डीसी ने जांच टीम का गठन किया वहीं तीसरे जांच टीम का गठन जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा किया गया है। लेकिन पूर्वी सिंहभूम में अभी तक किसी भी जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी है।
समितियों को मानक की दी गई थी जानकारी
जिलाशिक्षा विभाग के आंकड़े की माने तो जिले के 519 स्कूलों को 8,339 बेंच डेस्क खरीद के लिए 3.33 करोड़ रुपए जिले को प्राप्त हुआ था जिसे स्कूल प्रबंधन समितियों को भेज दिया गया। साथ ही प्रबंधन समितियों को मानक की जानकारी दी गई थी।
प्रबंधनसमितियों ने नहीं माना सरकार का आदेश
सरकारके निर्देश के तहत डेस्क बेंच की आपूर्ति के लिए जो पैसे दिए गए थे। उससे स्थानीय कारीगरों के माध्यम से स्कूल में डेस्क बेंच का निर्माण कराना था। लेकिन कमीशन के लिए प्रधानाध्यापकों स्कूल प्रबंधन समितियों सरकार के निर्देश को दरकिनार करते हुए बड़े सप्लायरों को आपूर्ति का आर्डर दे दिया। वहीं सप्लायरों ने सरकारी मानक से घटिया डेस्क बेंच की आपूर्ति की। वहीं जब इस घपले की खबर मीडिया में आयी तो सरकार के आदेश पर एचआरडी ने पूरे मामले की जांच के कमेटी बना दी।
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