जमशेदपुर: राज्य के उच्च विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति के लिए आगामी
6 जनवरी से आवेदन की प्रक्रिया आरंभ हो रही है. इससे स्कूलों में शिक्षकों
की कमी दूर होने की उम्मीद जगी है, तो ऐसे कई अभ्यर्थी हैं जो आवेदन
फाॅर्म भरने मात्र से भी वंचित रह जायेंगे. शिक्षक नियुक्ति के लिए आवेदन
को लेकर कई ऐसे नये प्रावधान किये गये हैं, जिन्हें लेकर अभ्यर्थी परेशान
हैं. केवल विषयवार 45 प्रतिशत प्राप्तांक के प्रावधान को ही लिया जाये, तो
करीब 50 प्रतिशत अभ्यर्थी आवेदन करने से वंचित रह जायेंगे.
चूंकि राज्य के विश्वविद्यालयों में स्नातक की पढ़ाई ऑनर्स आधारित होती है, रिजल्ट भी ऑनर्स विषय के प्राप्तांक पर ही घोषित किया जाता है. ऐसे में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण अनेक अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर सकेंगे.हिस्ट्री ऑनर्स में फर्स्ट डिवीजन, पर फाॅर्म भरने में परेशानी. इसका एक उदाहरण है, गोलमुरी निवासी जी रमा इन्होंने रांची विश्वविद्यालय से इतिहास ऑनर्स में फर्स्ट डिवीजन के साथ स्नातक की डिग्री हासिल की है. लेकिन शिक्षक नियुक्ति व आवेदन के लिए प्रावधान व शर्तों के मुताबिक स्नातक में जी रमा का सब्सीडियरी विषय राजनीति विज्ञान नहीं था. इस कारण वह आवेदन नहीं कर सकती. जबकि उनका सब्सीडियरी विषय मनोविज्ञान व समाजशास्त्र था. इन दोनों विषयों में उनका प्राप्तांक 60 प्रतिशत से अधिक है.
राज्य के विवि में ऑनर्स पेपर आधारित पढ़ाई होती है. ऑनर्स पेपर के
प्राप्तांक के आधार पर ही रिजल्ट होता है. एडमिशन के समय कहीं यह बाध्यता
नहीं होती है कि अमुक विषय ऑनर्स के साथ अमुक विषय का ही सब्सीडियरी पेपर
के रूप में चयन करना है. सब्सीडियरी पेपर के चयन के लिए विद्यार्थी
स्वतंत्र होते हैं. ऐसे में इतिहास ऑनर्स के साथ राजनीति विज्ञान ही
सब्सीडियरी पेपर होने की बाध्यता समझ से परे है. इससे मुझ जैसे अनेक
अभ्यर्थी आवेदन करने से वंचित होंगे. महत्वपूर्ण बात तो यह भी है कि इग्नू
में केवल ऑनर्स विषय ही पढ़ाये जाते हैं. सब्सीडियरी पेपर नहीं पढ़ाया
जाता.
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