(रांची): झारखंड में सेवा स्थायीकरण समेत
अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत पारा शिक्षकों को राज्य के सबसे बड़े नक्सली
संगठन भाकपा-माओवादियों का साथ मिल गया है। माओवादियों ने पंपलेट जारी कर
पारा शिक्षकों पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज की निन्दा की है और आमलोगों से
पारा शिक्षकों की लड़ाई में सहयोग की अपील करते हुए संगठन की ओर से हरसंभव
मदद देने की भी बात कही है।
बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के प्रवक्ता कामरेड आजाद की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि झारखंड स्थापना दिवस पर अपनी मांगों को लेकर राज्यभर के पारा शिक्षक रांची पहुंचे थे, लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर विचार करने के बजाय उन पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया और स्थापना दिवस समारोह को रण क्षेत्र बनाने का काम किया। संगठन की ओर से पारा शिक्षकों के सेवा स्थायीकरण और मानदेय वृद्धि की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार की हठधर्मिता की ओर से रांची के मोरबाहादी की तरह पूरे राज्य को रणक्षेत्र में बदलने की कोशिश की जा रही है।
कामरेड आजाद ने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार पुलिस को मिलिट्री की तरह यूज किया जा रहा है और मिलिट्री शासन के जैसे पारा शिक्षकों का दमन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पारा शिक्षकों की मदद के लिए आम लोगों के साथ मजदूर, किसान, छात्र, महिला और बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आना चाहिए। उन्होंने आंदोलनरत पारा शिक्षकों के अनिश्चितकालीन हड़ताल का भी समर्थन करते हुए सभी से सहयोग की अपील की।
गौरतलब है कि नक्सली संगठन अक्सर सरकार की नीतियों के खिलाफ लोगों को भड़काने की कोशिश करते है और इस बार आंदोलनरत राज्य के 65 हजार पारा शिक्षकों का समर्थन कर नक्सली संगठन की ओर से एक नाराज तबके का समर्थन लेने की कोशिश की जा रही है। हालांकि हार के दो-तीन वर्षों में झारखंड के अधिकांश क्षेत्रों में नक्सली घटनाओं में कमी आई है और अब यह नक्सली संगठन राज्य में अपनी अंतिम सांस ले रहा है। ऐसी स्थिति में माओवादियों द्वारा फिर से ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पैठ बनाने की कोशिश की जा रही है।
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