रांची : झारखंड में शिक्षक बनने की जिद में धीरेंद्र मिश्र ने देश की
विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होने के बाद भी नौकरी नहीं की.
धीरेंद्र 2007 में एलआइसी हाउसिंग फाइनांस में एक्सक्यूटिव असिस्टेंट से
कैरियर की शुरुआत की थी.
पर शिक्षक बनने की चाह में तीन माह बाद ही नौकरी छोड़ दी और इसकी
तैयारी में लग गये. धीरेंद्र 2012 में ही झारखंड के प्लस टू उच्च विद्यालय
के लिए आयोजित शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सफल हुए थे.
वे गणित विषय के टॉपर थे. परीक्षा में शामिल व रिजल्ट जारी होने के
बाद झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने उनकी नियुक्ति यह कह कर रद्द कर दी थी कि
उन्होंने बीएड का प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया था. धीरेंद्र ने प्रमाण
पत्र जमा करने का प्रमाण भी दिया. इसके बाद भी उनकी नियुक्ति नहीं हुई.
धीरेंद्र ने मामले को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की.
मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है. छह वर्ष के इंतजार के बाद फिर
धीरेंद्र मिश्र ने फिर से झारखंड की प्लस टू उच्च विद्यालय शिक्षक नियुक्ति
परीक्षा में सफलता पायी है.
धीरेंद्र ने बताया कि इस दौरान उन्होंने देश भर में आयोजित अलग-अलग
25 प्रतियोगी परीक्षा में शामिल हुए. इसमें से सेंट्रल स्कूल, नवोदय
विद्यालय, दिल्ली प्लस टू उच्च विद्यालय, हरियाणा प्लस टू उच्च विद्यालय,
सैनिक स्कूल, एटोमिक इनर्जी एडुकेशन सोसाइटी, उत्तर प्रदेश हाइस्कूल व
प्लस टू उच्च विद्यालय शिक्षक नियुक्ति परीक्षा शामिल हैं.
इनमें से कुछ परीक्षा में वे राष्ट्रीय स्तर पर टॉपर भी रहे. कुछ में
फाइनल ज्वाइनिंग के लिए नियुक्ति पत्र भी आया, पर योगदान नहीं दिया. आधा
दर्जन प्रतियोगिता परीक्षा की लिखित परीक्षा में सफल होने के बाद भी
साक्षात्कार में शामिल नहीं हुए. तृतीय और चतुर्थ जेपीएससी की प्रारंभिक
परीक्षा में सफल हुए थे. मुख्य परीक्षा में नहीं बैठे. वर्ष 2011 में उत्तर
प्रदेश हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में गणित में पहला स्थान किये
थे. उन्हें 425 में 415 अंक प्राप्त हुए थे.
शिक्षक छोड़ कुछ भी नहीं बनना चाहते : धीरेंद्र ने बताया कि वह शिक्षक
छोड़ कुछ भी नहीं बनना चाहते थे. 2012 में सफल होने के बाद भी नियुक्ति
नहीं होने पर अपसेट हो गये थे.
शिक्षण कार्य से लगाव है. इस कारण 2012 में नियुक्ति नहीं होने के बाद
विद्यार्थियों को शिक्षक नियुक्ति की तैयारी कराना शुरू कर दिया. गरीब
बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के उद्देश्य से शिक्षक बने हैं. वर्तमान में
सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे बेहद गरीब परिवार से आते
हैं. उनको बेहतर शिक्षा देना चाहते हैं.
दादा से लेकर छोटे भाई तक सभी शिक्षक : धीरेंद्र ने बताया कि बचपन से
ही शिक्षक बनना चाहते थे. उनके परिवार में दाे दर्जन से अधिक लोग शिक्षक
हैं.
उनके दादा बैजनाथ मध्य सगालीम (पलामू) में प्रधानाध्यापक थे. पिता
रवींद्र कुमार मिश्र प्रोजेक्ट उच्च विद्यालय, शांसग (लातेहार) से
प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं. धीरेंद्र के चाचा-चाची,
भाई-भाभी, पत्नी सभी शिक्षक हैं. वे मूल रूप से पलामू के लेस्लीगंज के रहने
वाले हैं.
इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की
दिल्ली प्लस टू उच्च विद्यालय देश में छठा रैंक
एटोमिक इनर्जी एजुकेशन सोसाइटी प्लस टू शिक्षक देश में टॉपर
सैनिक स्कूल अंबिकापुर प्लस टू शिक्षक योगदान नहीं
उत्तर प्रदेश हाइस्कूल शिक्षक, 2010 लिखित परीक्षा में चयनित
उत्तर प्रदेश हाइस्कूल शिक्षक, 2011 लिखित परीक्षा में यूपी टॉपर
उत्तर प्रदेश हाइस्कूल, 2013 चयनित
नवोदय विद्यालय पीजीटी, 2012 लिखित परीक्षा में चयनित
नवोदय विद्यालय पीजीटी, 2013 लिखित परीक्षा में चयनित
केवीएस पीजीटी, 2014 लिखित परीक्षा में चयनित
इन प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता हासिल की
केवीएस पीजीटी, 2015 लिखित परीक्षा में चयनित
सैनिक स्कूल रीवा, 2012 लिखित परीक्षा में चयनित
नवोदय विद्यालय पीजीटी चयनित
उत्तर प्रदेश प्लस टू शिक्षक साक्षात्कार में शामिल नहीं
उत्तर प्रदेश हाइस्कूल शिक्षक साक्षात्कार में शामिल नहीं
केंद्रीय विद्यालय प्लस टू शिक्षक साक्षात्कार में शामिल नहीं
हरियाणा प्लस टू उच्च विद्यालय काउंसेलिंग में शामिल नहीं
(2015 के बाद परीक्षा में सफल होने के बाद साक्षात्कार व काउंसेलिंग में शामिल नहीं हुए )
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