जिले के 81 माध्यमिक और प्लस टू हाई स्कूलों में पठन-पाठन कार्य राम भरोसे
चल रहा है। इससे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के दावे के अलावा
छात्रों के भविष्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन विद्यालयों में
स्वीकृत पद के मुकाबले महज 15 प्रतिशत शिक्षक ही कार्यरत है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से जारी डाटा के अनुसार इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापक सहित सहायक शिक्षकों का 907 पद स्वीकृत है, जबकि केवल 139 कार्यरत है।
इस परिस्थिति में इन विद्यालयों की पढ़ाई के स्तर का सहज अनुमान लगाया जा रहा है। जिले के मॉडल स्कूल का हाल सबसे बुरा है। यहां प्राचार्य के सभी 03 पद और सहायक शिक्षक के 33 रिक्त है। जबकि जिले में अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षा दिलाने के वास्ते तीन प्रखंडों में पिछले कई सालों से विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत घंटी आधारित 08 शिक्षक कार्यरत है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय से जारी डाटा के अनुसार इन विद्यालयों में प्रधानाध्यापक सहित सहायक शिक्षकों का 907 पद स्वीकृत है, जबकि केवल 139 कार्यरत है।
इस परिस्थिति में इन विद्यालयों की पढ़ाई के स्तर का सहज अनुमान लगाया जा रहा है। जिले के मॉडल स्कूल का हाल सबसे बुरा है। यहां प्राचार्य के सभी 03 पद और सहायक शिक्षक के 33 रिक्त है। जबकि जिले में अंग्रेजी माध्यम से बच्चों को शिक्षा दिलाने के वास्ते तीन प्रखंडों में पिछले कई सालों से विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। यहां वैकल्पिक व्यवस्था के तहत घंटी आधारित 08 शिक्षक कार्यरत है।
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