रांची : अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले राज्य के
प्राथमिक व मध्य विद्यालय के शिक्षकों ने शनिवार को मुख्यमंत्री आवास
(राजभवन के समक्ष) धरना दिया. शिक्षक पंचायतों को अवकाश स्वीकृति एवं
अनुपस्थिति विवरणी भरने का अधिकार दिये जाने का विरोध कर रहे थे. शिक्षकों
को संबोधित करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष बिजेंद्र चौबे ने कहा कि सरकार
शिक्षकों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है. सरकार ने शिक्षकों के अवकाश
स्वीकृति से लेकर विद्यालय संचालन के अन्य अधिकार पंचायत को देकर शिक्षा
को एक तरह से बिचौलियों के हवाले कर दिया है. सरकार शिक्षकों के खिलाफ
दमनकारी नीति बंद करे.
संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि सरकार शिक्षकों की अनदेखी
कर रही है. इसी वजह से शिक्षकों को सड़क पर उतरना पड़ा. शिक्षकों के
प्रयास से राज्य में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति में लगातार सुधार हो रहा
है. भारत सरकार ने भी झारखंड में प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में हुए कार्य
की सराहना की है. इसके बाद भी सरकार की तरफ शिक्षकों को निराशा हाथ लगी
है. 20 वर्ष से शिक्षक प्रोन्नति के लिए आंदोलन कर रहे हैं. संघ के प्रदेश
प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा शिक्षकों की समस्याओं को दूर किये बिना गुणवत्ता
युक्त शिक्षा की बात नहीं की जा सकती है. राज्य के मध्य विद्यालयों में
प्रधानाध्यापकों के 95 फीसदी पद रिक्त हैं. उर्दू शिक्षकों को वेतन के लिए
महीनों इंतजार करना पड़ता है. शिक्षकों की समस्याओं का जल्द समाधान नहीं
किया गया, तो संघ उग्र आंदोलन करेगा. धरना के बाद शिक्षकों के
प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के संयुक्त सचिव से मुलाकात की. संयुक्त सचिव
ने शिक्षकों के समस्याओं के जल्द समाधान का आश्वासन दिया.
शिक्षक संघ की मुख्य मांगें
अनुकंपा के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति तिथि से ग्रेड वन का लाभ देना
13 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके उच्च योग्तयाधारी शिक्षकों को प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति देना
प्रोन्नति नियमावली 1993 में संशोधन करना
शिक्षकों को मुखिया से अवकाश स्वीकृत कराने का आदेश वापस लेना
राज्य के अपग्रेड मध्य विद्यालय में स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का पद सृजित करना
छठे वेतनमान के निर्धारण में हुई विसंगति को दूर करना
शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति करना
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