रांची : झारखंड राज्य वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा सहित अन्य
शिक्षक संगठनों ने मूल्यांकन कार्य के बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया है।
रविवार को जैक बोर्ड के सदस्य संजीत मिश्रा की पहल पर जैक अध्यक्ष
डॉ.अरविंद प्रसाद सिंह और रघुनाथ सिंह के नेतृत्व में संघर्ष मोर्चा के
प्रतिनिधिमंडल से मानदेय बढ़ाने को लेकर बातचीत हुई।
जैक अध्यक्ष ने संजीत मिश्रा की अध्यक्षता में मानदेय में वृद्धि करने के लिए कमेटी गठित कर दिया है। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मूल्याकन मानदेय में वृद्धि की जाएगी। मौके पर जैक सचिव रजनीकात वर्मा, नरेंद्र यादव, गंगा प्रसाद यादव, योगेश ओझा, समेत अन्य शिक्षक थे।
यह था मामला
जैक द्वारा मैट्रिक-इंटर की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्याकन कार्य चल रहा है। शिक्षक संगठन सीबीएसई की तर्ज पर पारिश्रमिक, ठहराव भत्ता व अन्य सुविधाएं देने की माग को ले आदोलन कर थे। इधर, काउंसिल ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को परीक्षक बनाने का निर्णय ले लिया था। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने आदोलन वापस ले लिया है।
सीबीएसई की तर्ज पर बढ़े मानदेय
बैठक में मोर्चा ने कहा कि सीबीएसई के अनुसार व वर्तमान में बिहार में जो वृद्धि हुई है, उसी के अनुरूप मानदेय बढ़ाया जाए। जैक अध्यक्ष ने कहा कि यह वित्तीय मामला है। इसलिए पहले वित्तीय आकलन करना जरूरी है। परीक्षकों को छात्रहित में आदोलन नहीं करना चाहिए।
जैक अध्यक्ष ने संजीत मिश्रा की अध्यक्षता में मानदेय में वृद्धि करने के लिए कमेटी गठित कर दिया है। कमेटी की सिफारिशों के आधार पर मूल्याकन मानदेय में वृद्धि की जाएगी। मौके पर जैक सचिव रजनीकात वर्मा, नरेंद्र यादव, गंगा प्रसाद यादव, योगेश ओझा, समेत अन्य शिक्षक थे।
यह था मामला
जैक द्वारा मैट्रिक-इंटर की उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्याकन कार्य चल रहा है। शिक्षक संगठन सीबीएसई की तर्ज पर पारिश्रमिक, ठहराव भत्ता व अन्य सुविधाएं देने की माग को ले आदोलन कर थे। इधर, काउंसिल ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को परीक्षक बनाने का निर्णय ले लिया था। इसके बाद शिक्षक संगठनों ने आदोलन वापस ले लिया है।
सीबीएसई की तर्ज पर बढ़े मानदेय
बैठक में मोर्चा ने कहा कि सीबीएसई के अनुसार व वर्तमान में बिहार में जो वृद्धि हुई है, उसी के अनुरूप मानदेय बढ़ाया जाए। जैक अध्यक्ष ने कहा कि यह वित्तीय मामला है। इसलिए पहले वित्तीय आकलन करना जरूरी है। परीक्षकों को छात्रहित में आदोलन नहीं करना चाहिए।
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