रांची : राज्य के वित्तरहित नव प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत विद्यालय व
मदरसाें को अनुदान देने में साैतेला व्यवहार किया जा रहा है. प्रस्वीकृति
प्राप्त इंटर कॉलेज व उच्च विद्यालयों की अनुदान राशि बढ़ा कर दोगुनी कर दी
गयी है. वहीं पिछले वित्तीय वर्ष 2015-2016 में नव प्रस्वीकृत संस्कृत
विद्यालय व मदरसा काे पहली बार अनुदान दिया गया, लेकिन अनुदान राशि नहीं
बढ़ायी गयी.
इन संस्थानों को वर्ष 2015 की संशोधित नियमावली के अनुरूप अनुदान नहीं
दिया गया. शिक्षकों को सिंगल अनुदान से संतोष करना पड़ा. शिक्षकों ने
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग से संशोधित नियमावली के अनुरूप अनुदान देने
की मांग की थी. इस पर कहा गया था कि अगले वित्तीय वर्ष से अनुदान बढ़ा
दिया जायेगा. चालू वित्तीय वर्ष में भी सिंगल अनुदान देने का प्रस्ताव है.
इससे नाराज शिक्षकों ने एक समान अनुदान के लिए झारखंड हाइकोर्ट की शरण ली
है.
हाइकोर्ट में याचिका
झारखंड प्रदेश संस्कृत शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ के
महासचिव हरिहर प्रसाद कुशवाहा व संयुक्त शिक्षा संघर्ष मोरचा के रघुनाथ
सिंह ने बताया कि विभाग से कैबिनेट के निर्णय और संशोधित अनुदान
नियमावली-2015 के अनुरूप अनुदान देेने की मांग की जा रही है, लेकिन अनुदान
में बढ़ोतरी नहीं हो पायी. इसके बाद महासंघ के अध्यक्ष बलदेव पांडेय व एके
पांडेय ने झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की है.
क्या है मामला
राज्य के नव प्रस्वीकृत 35 संस्कृत विद्यालय व 38 मदरसा झारखंड
कैबिनेट के निर्णय के बाद भी बढ़ी हुए अनुदान राशि से वंचित हैं. स्कूली
शिक्षा व साक्षरता विभाग संशोधित झारखंड राज्य वित्तरहित शैक्षणिक संस्थान
(अनुदान) नियमावली-2015 के अनुरूप नव प्रस्वीकृत संस्कृत विद्यालयों व
मदरसा को अनुदान राशि नहीं दे रहा है. अन्य प्रस्वीकृति प्राप्त शिक्षण
संस्थानों को संशोधित नियमावली के अनुरूप अनुदान मिल रहा है. वर्ष 2014 में
कैबिनेट के निर्णय के बाद संस्कृत विद्यालयों व मदरसा को अनुदान की श्रेणी
में लाया गया था. इस बाबत मानव संसाधन विकास विभाग ने संकल्प
(1953/18.10.2014) जारी किया था. इसमें कहा गया है कि नव प्रस्वीकृति
प्राप्त मदरसाें व संस्कृत विद्यालयों को झारखंड राज्य वित्तरहित शैक्षणिक
संस्थान (अनुदान) नियमावली-2004 के आलोक में अनुदान दिया जाये.
उक्त नियमावली अब संशोधित हो चुकी है. विभाग ने नियमावली संशोधित
करने के लिए अधिसूचना (संख्या 810/11.5.2015) जारी की है. संशोधित अनुदान
नियमावली के तहत ही प्रस्वीकृति प्राप्त वित्तरहित शिक्षण संस्थानों को
बढ़ा हुआ (दोगुना) अनुदान दिया जा रहा है.
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