रांची यूनिवर्सिटी समेत राज्य के पांचों विश्वविद्यालयों के कार्यरत
शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ पिछले 11 साल से नहीं मिल रहा है। 31
जनवरी 2005 तक नियुक्त और पीएचडी अर्हता रखनेवाले शिक्षकों को यह लाभ मिल
रहा है।
वहीं जनवरी 2006 के बाद नियुक्त शिक्षक और पीएचडी करनेवाले शिक्षक इस लाभ से वंचित हैं। लंबे समय से शिक्षकों द्वारा बार-बार डिमांड करने के बाद एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि प्रस्ताव प्रक्रियाधीन (प्रोसेस) है। इससे शिक्षकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा रिसर्च वर्क को बढ़ावा देने के लिए पीएचडी इंक्रीमेंट का प्रावधान किया गया था,ताकि मेधावी युवाओं में शिक्षण शिक्षक के प्रति आकर्षण बढ़े।
राज्यभर के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट देने के मामले को लेकर विधानसभा में भी दो वर्ष पहले मामला उठाया गया था। 25 अगस्त 2015 को सिंदरी के विधायक फूलचंद मंडल ने पीएचडी इंक्रीमेंट मामले में सरकार से जवाब मांगा था। जवाब में शिक्षा मंत्री ने पीएचडी इंक्रीमेंट देने पर सहमति जताई थी। कहा था कि पीएचडी इंक्रीमेंट के प्रस्ताव पर कार्यवाही चल रही है। लेकिन अब तक प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिए जाने से शिक्षकों में आक्रोश है।
विभाविवि शिक्षक संघ के महासचिव डॉ. बीएन सिंह ने कहा कि शिक्षा और शिक्षक हित के मामले में सरकार विधानसभा को गुमराह करने के साथ-साथ उच्च शिक्षा के प्रति उदासिन है। झारखंड को छोड़ पूरे देश में पीएचडी इंक्रीमेंट, एजीपी और छठे वेतनमान के एरियर का भुगतान किया जा चुका है। यहां के पांचो विवि के शिक्षकों को अभी भी इंतजार है।
यूनिवर्सिटी में नियुक्ति के बाद पीएचडी अर्हता वाले शिक्षकों को एक साथ पांच इंक्रीमेंट देने का प्रावधान है। नियुक्ति के बाद शिक्षण कार्य करते हुए पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षकों को तीन इंक्रीमेंट एक साथ देने का नियम है। वहीं एमफिल की अर्हता रखने वाले शिक्षकों को एक साथ दो पीएचडी इंक्रीमेंट वर्ष 2005 तक मिला है। इससे सबसे अधिक वर्ष 2008 में नियुक्त 751 शिक्षकों के अलावा कई शिक्षक प्रभावित हैं।
झारखंड को छोड़ देश के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ मिल रहा है। झारखंड के विवि शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी द्वारा सभी विवि के लिए रेगुलेशन जारी किया जाता है, लेकिन झारखंड में यूजीसी के निर्देशों पर अमल में कई वर्ष लग जाते हैं। जुलाई 2016 में विवि शिक्षकों के प्रमोशन और नियुक्ति से संबंधित यूजीसी द्वारा नया रेगुलेशन जारी कर दिया गया है। लेकिन अभी भी पुराने नियम से प्रोन्नति हो रही है।
वहीं जनवरी 2006 के बाद नियुक्त शिक्षक और पीएचडी करनेवाले शिक्षक इस लाभ से वंचित हैं। लंबे समय से शिक्षकों द्वारा बार-बार डिमांड करने के बाद एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि प्रस्ताव प्रक्रियाधीन (प्रोसेस) है। इससे शिक्षकों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) द्वारा रिसर्च वर्क को बढ़ावा देने के लिए पीएचडी इंक्रीमेंट का प्रावधान किया गया था,ताकि मेधावी युवाओं में शिक्षण शिक्षक के प्रति आकर्षण बढ़े।
राज्यभर के विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट देने के मामले को लेकर विधानसभा में भी दो वर्ष पहले मामला उठाया गया था। 25 अगस्त 2015 को सिंदरी के विधायक फूलचंद मंडल ने पीएचडी इंक्रीमेंट मामले में सरकार से जवाब मांगा था। जवाब में शिक्षा मंत्री ने पीएचडी इंक्रीमेंट देने पर सहमति जताई थी। कहा था कि पीएचडी इंक्रीमेंट के प्रस्ताव पर कार्यवाही चल रही है। लेकिन अब तक प्रस्ताव पर निर्णय नहीं लिए जाने से शिक्षकों में आक्रोश है।
विभाविवि शिक्षक संघ के महासचिव डॉ. बीएन सिंह ने कहा कि शिक्षा और शिक्षक हित के मामले में सरकार विधानसभा को गुमराह करने के साथ-साथ उच्च शिक्षा के प्रति उदासिन है। झारखंड को छोड़ पूरे देश में पीएचडी इंक्रीमेंट, एजीपी और छठे वेतनमान के एरियर का भुगतान किया जा चुका है। यहां के पांचो विवि के शिक्षकों को अभी भी इंतजार है।
यूनिवर्सिटी में नियुक्ति के बाद पीएचडी अर्हता वाले शिक्षकों को एक साथ पांच इंक्रीमेंट देने का प्रावधान है। नियुक्ति के बाद शिक्षण कार्य करते हुए पीएचडी की उपाधि प्राप्त करने वाले शिक्षकों को तीन इंक्रीमेंट एक साथ देने का नियम है। वहीं एमफिल की अर्हता रखने वाले शिक्षकों को एक साथ दो पीएचडी इंक्रीमेंट वर्ष 2005 तक मिला है। इससे सबसे अधिक वर्ष 2008 में नियुक्त 751 शिक्षकों के अलावा कई शिक्षक प्रभावित हैं।
झारखंड को छोड़ देश के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों को पीएचडी इंक्रीमेंट का लाभ मिल रहा है। झारखंड के विवि शिक्षकों का कहना है कि यूजीसी द्वारा सभी विवि के लिए रेगुलेशन जारी किया जाता है, लेकिन झारखंड में यूजीसी के निर्देशों पर अमल में कई वर्ष लग जाते हैं। जुलाई 2016 में विवि शिक्षकों के प्रमोशन और नियुक्ति से संबंधित यूजीसी द्वारा नया रेगुलेशन जारी कर दिया गया है। लेकिन अभी भी पुराने नियम से प्रोन्नति हो रही है।
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