गिरिडीह : जिले में नवनियुक्त दर्जनों प्राथमिक शिक्षकों को करीब 9 माह
बाद भी वेतन भुगतान शुरू नहीं हो सका है। बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन नहीं हो
पाने के कारण इन्हें वेतन से वंचित रहना पड़ रहा है। विभागीय स्तर पर
रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था नहीं रहने का खमियाजा शिक्षकों और उनके
परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। इस वर्ष जिला में सात सौ से अधिक प्राथमिक
शिक्षकों की नियुक्ति हुई है।
कई प्रखंडों में तो इन शिक्षकों का वेतन भुगतान शुरू हो गया है, लेकिन कई प्रखंडों के नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन से वंचित रखा जा रहा है। इसका कारण उनका बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन नहीं होना बताया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि विभागीय स्तर पर बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे रजिस्ट्रेशन कराने में परेशानी हो रही है, वहीं वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी भी होने लगी है। शिक्षक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि काफी शिक्षकों ने बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन करा लिया है। कहीं साइबर कैफे या फिर झारनेट में रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। कहा कि हालांकि अभी इसकी जरूरत नहीं है। बाद में इसकी आवश्यकता पड़ सकती है। बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन के अभाव में नवनियुक्त शिक्षकों का वेतन रोकना गलत है। कई प्रखंडों में तो वेतन भुगतान शुरू हो गया है।
डीएसई से मिले शिक्षक : वेतन भुगतान की मांग को ले गत दिन उमवि करमाटांड़ की स्नेहा कुमारी, प्रावि मकडीहा के शिवकुमार यादव, जहाटा के सुरेश कुमार राय, उमवि पंडा¨सगा की जयंती देवी आदि मानवाधिकार कार्यकर्ता मदन मोहन प्रिय के नेतृत्व में जिला शिक्षा अधीक्षक से मिले।
प्रिय ने डीएसई को आवेदन सौंपा, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के 9 माह बाद भी बायोमिट्रिक सिस्टम की कोई व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण शिक्षकों का वेतन निर्गत नहीं हो पा रहा है। काम कराने के बाद सरकार की जिम्मेवारी है कि वह नियम समय पर शिक्षकों का वेतन भुगतान करे। कहा है कि जिन शिक्षकों का बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, वे कई बार आपसे मौखिक अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने अविलंब इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।
डीएसई कमला ¨सह ने कहा कि राजधनवार के कुछ नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर उन्होंने राज्य को अनुरोध पत्र भेजा है। वैसे, एनआइसी में बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है।
कई प्रखंडों में तो इन शिक्षकों का वेतन भुगतान शुरू हो गया है, लेकिन कई प्रखंडों के नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन से वंचित रखा जा रहा है। इसका कारण उनका बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन नहीं होना बताया जा रहा है। शिक्षकों का कहना है कि विभागीय स्तर पर बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन कराने की व्यवस्था नहीं की गई है। इससे रजिस्ट्रेशन कराने में परेशानी हो रही है, वहीं वेतन नहीं मिलने से आर्थिक तंगी भी होने लगी है। शिक्षक राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि काफी शिक्षकों ने बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन करा लिया है। कहीं साइबर कैफे या फिर झारनेट में रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है। कहा कि हालांकि अभी इसकी जरूरत नहीं है। बाद में इसकी आवश्यकता पड़ सकती है। बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन के अभाव में नवनियुक्त शिक्षकों का वेतन रोकना गलत है। कई प्रखंडों में तो वेतन भुगतान शुरू हो गया है।
डीएसई से मिले शिक्षक : वेतन भुगतान की मांग को ले गत दिन उमवि करमाटांड़ की स्नेहा कुमारी, प्रावि मकडीहा के शिवकुमार यादव, जहाटा के सुरेश कुमार राय, उमवि पंडा¨सगा की जयंती देवी आदि मानवाधिकार कार्यकर्ता मदन मोहन प्रिय के नेतृत्व में जिला शिक्षा अधीक्षक से मिले।
प्रिय ने डीएसई को आवेदन सौंपा, जिसमें उन्होंने कहा है कि प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के 9 माह बाद भी बायोमिट्रिक सिस्टम की कोई व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण शिक्षकों का वेतन निर्गत नहीं हो पा रहा है। काम कराने के बाद सरकार की जिम्मेवारी है कि वह नियम समय पर शिक्षकों का वेतन भुगतान करे। कहा है कि जिन शिक्षकों का बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया है, वे कई बार आपसे मौखिक अनुरोध कर चुके हैं, लेकिन इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उन्होंने अविलंब इस समस्या का समाधान करने की मांग की है।
डीएसई कमला ¨सह ने कहा कि राजधनवार के कुछ नवनियुक्त शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसे लेकर उन्होंने राज्य को अनुरोध पत्र भेजा है। वैसे, एनआइसी में बायोमिट्रिक रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था है।
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