रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने एक ही विज्ञापन, परीक्षा व रिजल्ट के आधार
पर नियुक्ति में विलंब के कारण पेंशनादि योजना से वंचित शिक्षकों की
याचिका पर सुनवाई की. हाइकोर्ट के जस्टिस डॉ एसएन पाठक की अदालत ने मामले
की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया.
अदालत ने कहा कि वर्ष 2003 के रिजल्ट के आधार पर एक जनवरी 2005 में
नियुक्त वैसे शिक्षक जिनके सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के कारण नियुक्ति में
विलंब हुआ, वैसे शिक्षकों को 22 दिसंबर 2003 की तिथि से नोसनल नियुक्ति
तिथि दी जाये. इस याचिका में भी वही आदेश लागू होगा, जो पूर्व में प्रार्थी
ललित कुमार झा व अन्य के मामले में दिया गया है.
इस मामले में अदालत ने सरकार को 22 दिसंबर 2003 की तिथि को नोसनल
नियुक्ति तिथि मानने से संबंधित आदेश/सर्कुलर/अधिसूचना जारी करने का आदेश
दिया था. इससे पूर्व प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता एमएम शर्मा ने अदालत को
बताया कि इस मामले में शिक्षकों की अोर से कोई विलंब नहीं किया गया है. एक
ही विज्ञापन के आधार पर जेपीएससी ने परीक्षा ली थी. रिजल्ट 2003 में
प्रकाशित किया गया. इसके बाद सरकार ने नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की.
कई शिक्षकों के सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन के लिए भेजा गया. इसमें विलंब
हुआ. इस बीच एक जनवरी 2004 से पेंशन की सुविधा समाप्त कर दी गयी. विलंब से
नियुक्ति के कारण शिक्षक पेंशन योजना के लाभ से वंचित हो गये. उनकी
नियुक्ति की गयी, लेकिन पेंशन के बदले नयी अंशदायी पेंशन योजना का लाभ
दिया गया.
उल्लेखनीय मंगलेश पाठक व अन्य की अोर से याचिका दायर कर सरकार के उक्त
आदेश को चुनाैती दी गयी थी. उनका कहना था कि एक ही विज्ञापन, परीक्षा व
रिजल्ट के आधार पर नियुक्त किये गये शिक्षकों के लिए अलग-अलग नीति लागू
करना उचित नहीं है. शिक्षकों ने पेंशनादि योजना का लाभ देने की मांग की.
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