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30 वर्षों से शिक्षकों से काम ले वेतन नहीं देना सरकार का सुस्त रवैया : हाइकोर्ट

मामला प्रोजेक्ट विद्यालय के शिक्षकों की सेवा मान्यता देने का
रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस डाॅ एसएन पाठक की अदालत में सोमवार को प्रोजेक्ट विद्यालय के शिक्षकों की सेवा मान्यता व बकाया भुगतान को लेकर दायर विभिन्न याचिकाअों पर सुनवाई हुई. 
 
अदालत ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराजगी जताते हुए उन्हें कड़ी फटकार लगायी. माैखिक रूप से कहा कि अदालत ने आदेश का अनुपालन करने के लिए सरकार को दो माह का समय दिया था, लेकिन इस दाैरान आदेश का अनुपालन नहीं किया गया. 
 
30 वर्षों से शिक्षकों से काम लिया जा रहा है, लेकिन उन्हें किसी प्रकार का वेतन भुगतान नहीं किया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट, पटना हाइकोर्ट व झारखंड हाइकोर्ट से न्यायादेश प्राप्त हं. फिर भी वेतन भुगतान नहीं करना सरकार का लेथार्जिक एप्रोच (सुस्त रवैया) है. 
 
अंतिम रूप से माैका देते हुए अदालत ने कहा कि 15 दिनों के अंदर सेवा मान्यता व  बकाया सहित वेतन भुगतान पर निर्णय लिया जाये तथा  शपथ पत्र के माध्यम से अदालत को अवगत कराया जाये. अदालत ने कहा कि समय सीमा के अंदर यदि  आदेश का  अनुपालन नहीं होता है, तो प्रधान सचिव व माध्यमिक शिक्षा निदेशक का वेतन बंद करने का भी आदेश दिया जा सकता है. 
 
अदालत ने सख्त लहजे में अधिकारियों को आदेश का अनुपालन करने की हिदायत दी. मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने नाै अप्रैल की तिथि निर्धारित की. सुनवाई के दाैरान अदालत में स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह व माध्यमिक शिक्षा निदेशक विप्रा भाल उपस्थित थे. 
 

इससे पूर्व अपर महाधिवक्ता जय प्रकाश ने अदालत को बताया कि प्रोजेक्ट  गर्ल्स हाइस्कूल के शिक्षकों व कर्मचारियों की सेवा की मान्यता नियुक्ति  तिथि से दे दी गयी है. बकाया सहित वेतन भुगतान के लिए बड़ी राशि की जरूरत है.  संबंधित संचिका शिक्षा मंत्री को भेजी गयी है. मंत्री की स्वीकृति के बाद  उसे वित्त मंत्री को भेजा जायेगा. फिर उसे कैबिनेट में रखा जायेगा. अदालत द्वारा विलंब के लिए कारण पूछने पर बताया गया कि अधिकारियों के स्थानांतरण-पदस्थापन के कारण प्रक्रिया धीमी हो गयी. प्रार्थी की अोर से अधिवक्ता संजय पांडेय ने पक्ष रखा.

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