रांची।सरकार ने शिक्षकों समेत अन्य राज्य कर्मियों को कोऑपरेटिव बैंक में सैलरी अकाउंट खोलने का निर्देश दिया है। इसका शिक्षकों ने विरोध भी शुरू कर दिया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ ने कहा कि राज्य के 60 हजार प्राथमिक शिक्षक कोऑपरेटिव बैंक में सैलरी अकाउंट नहीं खोलेंगे।
संघ के अध्यक्ष बिजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि सरकार के इस फरमान से शिक्षकों की मुश्किलें काफी बढ़ जाएगी। नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला इस आदेश को सरकार द्वारा वापस नहीं की स्थिति में आंदोलन ही एक मात्र विकल्प है। विरोध करने वालों में मुख्य रूप से कृष्णा शर्मा, संजय साहू, विनोद राम, प्रवीण कुमार, सुधीर दुबे, अशोक राज, रामचंद्र खेरवार, श्यामसुंदर सिंह समेत अन्य शामिल है।
इसलिए शिक्षक कर रहे हैं विरोध
शिक्षकों ने कहा कि राज्य के सभी कोषागार राष्ट्रीयकृत बैंक से जुड़े हैं। लेकिन कोऑपरेटिव बैंक राष्ट्रीयकृत नहीं है। ऐसे में शिक्षाकर्मियों को हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, गैस कनेक्शन सब्सिडी, व्यक्तिगत लोन, वाहन लोन आदि के भुगतान में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं कोऑपरेटिव बैंकों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद ही खराब है। आधारभूत संरचना शैशवावस्था में है। कहा कि सहकारिता बैंक सरकार के कागजों तक ही सीमित है।
वित्त विभाग का यह है आदेश
संघ ने कहा कि वित्त विभाग भविष्य निधि ऋण के संबंध में निर्देश जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि उन्हीं शिक्षक या कर्मियों को भविष्य निधि ऋण मिलेगा, जिनके खाते में कम से कम एक वर्ष का वेतन उस खाते के माध्यम से भुगतान हुआ है। ऐसे में काफी संख्या में ऐसे शिक्षक होंगे, जो इस लाभ से वंचित रह जाएंगे। शिक्षाकर्मियों को परेशानी से बचने का एक मात्र विकल्प कोऑपरेटिव बैंक में सैलरी अकाउंट खोलने की अनिवार्यता समाप्त कर दे।
संघ के अध्यक्ष बिजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर और मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि सरकार के इस फरमान से शिक्षकों की मुश्किलें काफी बढ़ जाएगी। नागरिक अधिकारों का हनन करने वाला इस आदेश को सरकार द्वारा वापस नहीं की स्थिति में आंदोलन ही एक मात्र विकल्प है। विरोध करने वालों में मुख्य रूप से कृष्णा शर्मा, संजय साहू, विनोद राम, प्रवीण कुमार, सुधीर दुबे, अशोक राज, रामचंद्र खेरवार, श्यामसुंदर सिंह समेत अन्य शामिल है।
इसलिए शिक्षक कर रहे हैं विरोध
शिक्षकों ने कहा कि राज्य के सभी कोषागार राष्ट्रीयकृत बैंक से जुड़े हैं। लेकिन कोऑपरेटिव बैंक राष्ट्रीयकृत नहीं है। ऐसे में शिक्षाकर्मियों को हाउसिंग लोन, एजुकेशन लोन, गैस कनेक्शन सब्सिडी, व्यक्तिगत लोन, वाहन लोन आदि के भुगतान में परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इतना ही नहीं कोऑपरेटिव बैंकों का इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद ही खराब है। आधारभूत संरचना शैशवावस्था में है। कहा कि सहकारिता बैंक सरकार के कागजों तक ही सीमित है।
वित्त विभाग का यह है आदेश
संघ ने कहा कि वित्त विभाग भविष्य निधि ऋण के संबंध में निर्देश जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि उन्हीं शिक्षक या कर्मियों को भविष्य निधि ऋण मिलेगा, जिनके खाते में कम से कम एक वर्ष का वेतन उस खाते के माध्यम से भुगतान हुआ है। ऐसे में काफी संख्या में ऐसे शिक्षक होंगे, जो इस लाभ से वंचित रह जाएंगे। शिक्षाकर्मियों को परेशानी से बचने का एक मात्र विकल्प कोऑपरेटिव बैंक में सैलरी अकाउंट खोलने की अनिवार्यता समाप्त कर दे।
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