हर काम में फिट हैं शिक्षक
हमारे देश में शिक्षकों को भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है। वे सिर्फ बच्चों में संस्कार ही नहीं भरते बल्कि हर वो काम में भी आगे रहते हैं, जिन्हें कोई नहीं कर सकता। अब आप कोरोना काल में ही देखिए, कोरोना
योद्घा बनकर चिकित्सकों के साथ लगे हुए हैं। घर-घर सर्वे के दौरान भी यह चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर ये खुद की पीपीई किट का जुगाड़ भी कर लेते हैं। प्रदेश के गुरुजी कभी प्याज तो कभी मेले में जूते-चप्पलों की निगरानी में भी लग जाते हैं। सामूहिक विवाह सम्मेलनों में भोजन परोसने से लेकर मंत्रोच्चार कर विवाह भी संपन्न करा देते हैं। बारातियों के स्वागत में भी ये सबसे आगे ही रहते हैं। मतगणना और जनगणना में तो इनको महारथ है। सरल शब्दों में कहें तो ये आलू हो गए हैं। जिस सब्जी में चाहो मिला दो।
मैडम को चाहिए गिफ्ट
शहर का एक स्कूल इन दिनों काफी चर्चा में है। वजह है प्राचार्य की पसंद के हिसाब से शिक्षकों का नाच-गाना नहीं करना। इस कारण अब प्राचार्य और शिक्षक एक-दूसरे की कमियां ढूंढने में लग गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि प्राचार्य उनसे आए दिन पार्टी मांगती हैं। सभी से पैसे जमा करवाकर महंगे गिफ्ट मंगवाती हैं। इतना ही नहीं शिक्षकों से नाच-गाना भी करवाती हैं। कुछ दिन तो शिक्षकों ने यह सहन किया, लेकिन अब विरोध में उतर आए हैं। सभी ने मिलकर स्कूल शिक्षा विभाग में शिकायत भी कर दी है। इधर, प्राचार्य भी शिक्षकों के खिलाफ सबूत जुटाने में लग गई हैं। अब स्कूल में वर्षों से पदस्थ शिक्षकों को डर भी लग रहा है कि कहीं प्राचार्य उनका तबादला न करवा दें। इससे पहले भी प्राचार्य कई शिक्षकों को निलंबित तो किसी का तबादला करवा चुकी हैं, इस कारण शिक्षकों में डर और ज्यादा है।
जान का खतरा है या दिखावा
राजधानी के एक बड़े विश्वविद्यालय में दोनों मुख्य अधिकारी इन दिनों अपने साथ गनमेन लेकर चल रहे हैं। पूरे विश्वविद्यालय में अब इन्हीं दोनों के चर्चे चल रहे हैं। हर कोई इनके गनमेन रखने की वजह जानना चाहता है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विश्वविद्यालय में इन्हें किससे खतरा हो गया है। अंदर खाने में एक बात और घूम रही है। वो यह बात है कि गनमेन के नाम पर सुरक्षा एजेंसी को तय हुई दर से ज्यादा का भुगतान किया जाएगा। अतिरिक्त भुगतान का हिस्सा ऊपर से नीचे तक बांटा जाएगा। अब इस अतिरिक्त खर्चे की भनक लगते ही साहब के दुश्मन भी सक्रिय हो गए हैं। वो गनमेन के नाम पर सुरक्षा एजेंसी को दिए जाने वाले अतिरिक्त भुगतान की जानकारी जुटाने में लग गए हैं। इसके लिए वे सूचना के अधिकार का भी सहारा ले रहे हैं।
शिक्षक भर्ती को लगा कोरोना संक्रमण
प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती करने के लिए प्रक्रिया साल 2018 से चल रही है, लेकिन दो साल बाद भी भावी शिक्षकों का पढ़ाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। भर्ती प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन किसी न किसी कारण से टल जाती है। जनवरी से भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू हुई थी, लेकिन इस भर्ती को कोरोना संक्रमण लग गया। अभी लॉकडाउन खत्म होने के बाद 1 जुलाई से फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है और मूल दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है। हालांकि सत्यापन कार्य भी विवादों में आ गया। बता दें कि अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया बीच में स्थगित होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। अब फिर से भर्ती पर कोरोना संक्रमण लग गया। इस कारण भर्ती प्रक्रिया पर रोक लग गई है। लगता है भावी शिक्षकों को कोरोना काल में इस साल से पढ़ाने का सपना भी पूरा नहीं हो पाएगा।
हमारे देश में शिक्षकों को भगवान से भी ऊपर दर्जा दिया गया है। वे सिर्फ बच्चों में संस्कार ही नहीं भरते बल्कि हर वो काम में भी आगे रहते हैं, जिन्हें कोई नहीं कर सकता। अब आप कोरोना काल में ही देखिए, कोरोना
योद्घा बनकर चिकित्सकों के साथ लगे हुए हैं। घर-घर सर्वे के दौरान भी यह चिकित्सकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर ये खुद की पीपीई किट का जुगाड़ भी कर लेते हैं। प्रदेश के गुरुजी कभी प्याज तो कभी मेले में जूते-चप्पलों की निगरानी में भी लग जाते हैं। सामूहिक विवाह सम्मेलनों में भोजन परोसने से लेकर मंत्रोच्चार कर विवाह भी संपन्न करा देते हैं। बारातियों के स्वागत में भी ये सबसे आगे ही रहते हैं। मतगणना और जनगणना में तो इनको महारथ है। सरल शब्दों में कहें तो ये आलू हो गए हैं। जिस सब्जी में चाहो मिला दो।
मैडम को चाहिए गिफ्ट
शहर का एक स्कूल इन दिनों काफी चर्चा में है। वजह है प्राचार्य की पसंद के हिसाब से शिक्षकों का नाच-गाना नहीं करना। इस कारण अब प्राचार्य और शिक्षक एक-दूसरे की कमियां ढूंढने में लग गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि प्राचार्य उनसे आए दिन पार्टी मांगती हैं। सभी से पैसे जमा करवाकर महंगे गिफ्ट मंगवाती हैं। इतना ही नहीं शिक्षकों से नाच-गाना भी करवाती हैं। कुछ दिन तो शिक्षकों ने यह सहन किया, लेकिन अब विरोध में उतर आए हैं। सभी ने मिलकर स्कूल शिक्षा विभाग में शिकायत भी कर दी है। इधर, प्राचार्य भी शिक्षकों के खिलाफ सबूत जुटाने में लग गई हैं। अब स्कूल में वर्षों से पदस्थ शिक्षकों को डर भी लग रहा है कि कहीं प्राचार्य उनका तबादला न करवा दें। इससे पहले भी प्राचार्य कई शिक्षकों को निलंबित तो किसी का तबादला करवा चुकी हैं, इस कारण शिक्षकों में डर और ज्यादा है।
राजधानी के एक बड़े विश्वविद्यालय में दोनों मुख्य अधिकारी इन दिनों अपने साथ गनमेन लेकर चल रहे हैं। पूरे विश्वविद्यालय में अब इन्हीं दोनों के चर्चे चल रहे हैं। हर कोई इनके गनमेन रखने की वजह जानना चाहता है। किसी को समझ नहीं आ रहा है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले विश्वविद्यालय में इन्हें किससे खतरा हो गया है। अंदर खाने में एक बात और घूम रही है। वो यह बात है कि गनमेन के नाम पर सुरक्षा एजेंसी को तय हुई दर से ज्यादा का भुगतान किया जाएगा। अतिरिक्त भुगतान का हिस्सा ऊपर से नीचे तक बांटा जाएगा। अब इस अतिरिक्त खर्चे की भनक लगते ही साहब के दुश्मन भी सक्रिय हो गए हैं। वो गनमेन के नाम पर सुरक्षा एजेंसी को दिए जाने वाले अतिरिक्त भुगतान की जानकारी जुटाने में लग गए हैं। इसके लिए वे सूचना के अधिकार का भी सहारा ले रहे हैं।
प्रदेशभर के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती करने के लिए प्रक्रिया साल 2018 से चल रही है, लेकिन दो साल बाद भी भावी शिक्षकों का पढ़ाने का सपना पूरा नहीं हो पा रहा है। भर्ती प्रक्रिया शुरू होती है, लेकिन किसी न किसी कारण से टल जाती है। जनवरी से भर्ती प्रक्रिया फिर से शुरू हुई थी, लेकिन इस भर्ती को कोरोना संक्रमण लग गया। अभी लॉकडाउन खत्म होने के बाद 1 जुलाई से फिर से भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है और मूल दस्तावेजों का सत्यापन चल रहा है। हालांकि सत्यापन कार्य भी विवादों में आ गया। बता दें कि अभ्यर्थियों को भर्ती प्रक्रिया बीच में स्थगित होने का खामियाजा भी भुगतना पड़ा। अब फिर से भर्ती पर कोरोना संक्रमण लग गया। इस कारण भर्ती प्रक्रिया पर रोक लग गई है। लगता है भावी शिक्षकों को कोरोना काल में इस साल से पढ़ाने का सपना भी पूरा नहीं हो पाएगा।
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