Ranchi: विधानसभा मॉनसून सत्र के तीसरे दिन के दूसरी
पाली में दो विधेयक लाये गये. झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा
संशोधन विधेयक 2019 और भवन एवं अन्य सहनिर्माण कर्मकार नियोजन एवं सेवा
शर्त विनियमन झारखंड संशोधन विधेयक 2019 विधेयक के रूप में लाये गये. इसके
अलावा सदन में एक घोषणा की गयी कि हाई स्कूल शिक्षकों के 17,572 पदों पर
बहाली निकाली गयी थी.
75 प्रतिशत सीटों पर सीधी नियुक्ति से और 25 प्रतिशत सीटों को प्राथमिक शिक्षकों से भरा जाना था. प्राथमिक शिक्षकों को भी परीक्षा में भाग लेना था. जिसमें वे क्वालिफाई नहीं कर सके थे. प्राथमिक शिक्षकों से भरी जाने वाली सीटें खाली रह गयी थीं. कुल खाली 3711 पदों को अब सीधी नियुक्ति के वैसे अभ्यर्थियों से भरा जायेगा जो परीक्षा में क्वालिफाइड थे और अंतिम चयन नहीं हो सका था. पदों को जिलावार, विषयवार और कैटेगरीवार भरा जायेगा.
हाई स्कूल शिक्षकों के खाली पदों को सीधी नियुक्ति के क्वालिफाइड अभ्यर्थियों से भरे जाने का सवाल उठाया था. 29 जनवरी 2019 और 05 फरवरी 2019 को अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से आलमगीर आलम ने भी उठाया था. इसके अलावा शिवशंकर उरांव ने 22 जुलाई को इस सवाल को अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से ही उठाया था. तीन जुलाई को सरकारी आश्वासन समिति की विभागीय बैठक में सभापति ने विभागीय पदाधिकारी के शीघ्र निष्पादन कर समिति को सूचित करने का आदेश दिया था. दूसरी पाली में विधेयक के बाद नवीन जयसवाल के आग्रह के बाद शिक्षा मंत्री ने इस मामले पर स्थिति स्पष्ट कर दिया.
75 प्रतिशत सीटों पर सीधी नियुक्ति से और 25 प्रतिशत सीटों को प्राथमिक शिक्षकों से भरा जाना था. प्राथमिक शिक्षकों को भी परीक्षा में भाग लेना था. जिसमें वे क्वालिफाई नहीं कर सके थे. प्राथमिक शिक्षकों से भरी जाने वाली सीटें खाली रह गयी थीं. कुल खाली 3711 पदों को अब सीधी नियुक्ति के वैसे अभ्यर्थियों से भरा जायेगा जो परीक्षा में क्वालिफाइड थे और अंतिम चयन नहीं हो सका था. पदों को जिलावार, विषयवार और कैटेगरीवार भरा जायेगा.
हाई स्कूल शिक्षकों के खाली पदों को सीधी नियुक्ति के क्वालिफाइड अभ्यर्थियों से भरे जाने का सवाल उठाया था. 29 जनवरी 2019 और 05 फरवरी 2019 को अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से आलमगीर आलम ने भी उठाया था. इसके अलावा शिवशंकर उरांव ने 22 जुलाई को इस सवाल को अल्पसूचित प्रश्न के माध्यम से ही उठाया था. तीन जुलाई को सरकारी आश्वासन समिति की विभागीय बैठक में सभापति ने विभागीय पदाधिकारी के शीघ्र निष्पादन कर समिति को सूचित करने का आदेश दिया था. दूसरी पाली में विधेयक के बाद नवीन जयसवाल के आग्रह के बाद शिक्षा मंत्री ने इस मामले पर स्थिति स्पष्ट कर दिया.
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