रांची (विनय चतुर्वेदी). पारा टीचरों के गिनती के दिन
बचे हैं। 2022 तक झारखंड समेत देश भर के सभी पारा शिक्षक हटाए जाएंगे। नई
शिक्षा नीति - 2019 के अनुसार 2022 तक शिक्षामित्र, पारा टीचर नामक
शिक्षाकर्मियों की व्यवस्था पूरी तरह से बंद कर दी जाएगी।
नई शिक्षा नीति के मसौदे में कहा गया है कि अब सभी सरकारी स्कूलों में एक ही प्रकार के शिक्षक होंगे, जिनकी नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया के तहत होगी। नियुक्ति प्रक्रिया इस बात पर आधारित होगी कि किस जगह कितने विषयों के शिक्षक और कितने विशेष शिक्षक की जरूरत है।
जितने शिक्षकों की आवश्यकता होगी, उसके लिए व्यापक स्तर पर नियुक्ति होगी। राज्य सरकारें इसके लिए प्राथमिकता से धन की व्यवस्था करेंगी। झारखंड के अधिकतर प्राइमरी स्कूल पारा शिक्षकों के भरोसे ही चलते हैं। इन पारा शिक्षकों की संख्या करीब 65 हजार है। जाहिर है कि इन्हें हटाने के पहले नए शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी होगी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पारा शिक्षकों को हटाने की बात नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में है। हालांकि अभी इस पर निर्देश मिलना बाकी है। इसके बारे में विस्तार से गाइडलाइन की प्रतीक्षा है।
2 जनवरी, 2007 के बाद नियुक्त अनट्रेंड पारा शिक्षक हटेंगे: एपी सिंह
प्रधान सचिव एपी सिंह ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट के फुल बेंच का एक आर्डर आया है कि 2 जनवरी 2007 के बाद स्कूलों में नियुक्त सभी अनट्रेंड पारा टीचर हटाए जाएं। 2 जनवरी 2007 के बाद कई जिलों में गलत तरीके से पारा टीचरों की नियुक्ति की गई है। एकल बेंच ने इन्हें हटाने का आदेश दिया था। फिर फुल बेंच का भी यही आदेश आया है। उन्होंने कहा कि विभाग को अभी नहीं मालूम कि ऐसे कितने पारा शिक्षक हैं। मगरइस मामले में कोर्ट के आदेश का अनुपालन होगा। ये वेरिफाई कराया जा रहा है कि ऐसे कितने शिक्षक हैं। सभी को हटाया जाएगा।
1 अप्रैल, 2019 तक अप्रशिक्षित पारा शिक्षक हटने थे, अब तक जमे
1 अप्रैल 2019 तक अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों की संविदा समाप्त करनी थी, पर ये सभी अब तक काम कर रहे हैं। इन पारा शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक प्रशिक्षित हो जाना था। इन्हें डीएलएड की डिग्री लेनी थी, पर करीब 3500 पारा टीचरों ने यह डिग्री नहीं ली। मगर ये सभी अब तक जमे हुए हैं। इसी प्रकार निर्धारित प्रक्रिया के पालन किए बगैर पलामू में नियुक्त करीब 450 पारा शिक्षकों को भी हटाया जाना था, पर शिक्षा अधिकारियों की कृपा से ये अब भी जमे हुए हैं। राज्य परियोजना निदेशक ने कहा है कि इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पारा शिक्षकों पर सरकार के पास विकल्प
{65000 हैं राज्य में पारा शिक्षक, इन्हीं के भरोसे चल रहे अधिकतर प्राइमरी स्कूल
{टेट पास पारा शिक्षकों की नियुक्ति सरकारी शिक्षक में कर ली जाए
{प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के लिए अलग से नियुक्ति परीक्षा
{प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में पारा शिक्षकों को प्राथमिकता
{अनुभव के आधार पर किसी दूसरे नाम से स्कूलों में समायोजन
नई शिक्षा नीति के मसौदे में कहा गया है कि अब सभी सरकारी स्कूलों में एक ही प्रकार के शिक्षक होंगे, जिनकी नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया के तहत होगी। नियुक्ति प्रक्रिया इस बात पर आधारित होगी कि किस जगह कितने विषयों के शिक्षक और कितने विशेष शिक्षक की जरूरत है।
जितने शिक्षकों की आवश्यकता होगी, उसके लिए व्यापक स्तर पर नियुक्ति होगी। राज्य सरकारें इसके लिए प्राथमिकता से धन की व्यवस्था करेंगी। झारखंड के अधिकतर प्राइमरी स्कूल पारा शिक्षकों के भरोसे ही चलते हैं। इन पारा शिक्षकों की संख्या करीब 65 हजार है। जाहिर है कि इन्हें हटाने के पहले नए शिक्षकों की नियुक्ति जरूरी होगी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि पारा शिक्षकों को हटाने की बात नई शिक्षा नीति के ड्राफ्ट में है। हालांकि अभी इस पर निर्देश मिलना बाकी है। इसके बारे में विस्तार से गाइडलाइन की प्रतीक्षा है।
2 जनवरी, 2007 के बाद नियुक्त अनट्रेंड पारा शिक्षक हटेंगे: एपी सिंह
प्रधान सचिव एपी सिंह ने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट के फुल बेंच का एक आर्डर आया है कि 2 जनवरी 2007 के बाद स्कूलों में नियुक्त सभी अनट्रेंड पारा टीचर हटाए जाएं। 2 जनवरी 2007 के बाद कई जिलों में गलत तरीके से पारा टीचरों की नियुक्ति की गई है। एकल बेंच ने इन्हें हटाने का आदेश दिया था। फिर फुल बेंच का भी यही आदेश आया है। उन्होंने कहा कि विभाग को अभी नहीं मालूम कि ऐसे कितने पारा शिक्षक हैं। मगरइस मामले में कोर्ट के आदेश का अनुपालन होगा। ये वेरिफाई कराया जा रहा है कि ऐसे कितने शिक्षक हैं। सभी को हटाया जाएगा।
1 अप्रैल, 2019 तक अप्रशिक्षित पारा शिक्षक हटने थे, अब तक जमे
1 अप्रैल 2019 तक अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों की संविदा समाप्त करनी थी, पर ये सभी अब तक काम कर रहे हैं। इन पारा शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक प्रशिक्षित हो जाना था। इन्हें डीएलएड की डिग्री लेनी थी, पर करीब 3500 पारा टीचरों ने यह डिग्री नहीं ली। मगर ये सभी अब तक जमे हुए हैं। इसी प्रकार निर्धारित प्रक्रिया के पालन किए बगैर पलामू में नियुक्त करीब 450 पारा शिक्षकों को भी हटाया जाना था, पर शिक्षा अधिकारियों की कृपा से ये अब भी जमे हुए हैं। राज्य परियोजना निदेशक ने कहा है कि इन्हें हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।
पारा शिक्षकों पर सरकार के पास विकल्प
{65000 हैं राज्य में पारा शिक्षक, इन्हीं के भरोसे चल रहे अधिकतर प्राइमरी स्कूल
{टेट पास पारा शिक्षकों की नियुक्ति सरकारी शिक्षक में कर ली जाए
{प्रशिक्षित पारा शिक्षकों के लिए अलग से नियुक्ति परीक्षा
{प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में पारा शिक्षकों को प्राथमिकता
{अनुभव के आधार पर किसी दूसरे नाम से स्कूलों में समायोजन
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