संवाद सूत्र, जैंतगढ़ : सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के नियोजित शिक्षकों के
समान काम के बदले समान वेतनमान की याचिका को रद कर दिया है। साथ ही अब आगे
स्थाई शिक्षकों की बहाली में कोर्ट के फैसले से ग्रहण लग गया है। कोर्ट ने
संविदा पर नियोजित शिक्षक या पारा शिक्षकों की बहाली को हरी झंडी दे दी है।
इससे समान वेतन की आस लगाए पारा शिक्षकों को गहरा झटका लगा है।
इस फैसले से पारा शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। कोर्ट ने नियोजित पारा से स्थाई बने शिक्षकों को मुआवजा देकर हटाए जाने का फैसला सुनाकर झारखंड के लगभग पंद्रह हजार शिक्षक जो पारा कोटि से शिक्षक बने हैं, उनकी नौकरी पर भी तलवार लटका दी है। हालांकि कोर्ट का फैसला बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक और नियोजित से स्थाई बने शिक्षकों के खिलाफ आया है लेकिन इससे उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा अन्य राज्यों के पारा शिक्षक व शिक्षा मित्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इससे शिक्षा विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। शिक्षकों के सामने उत्तर प्रदेश का उदहरण है। वहां शिक्षा मित्रों की सेवा स्थाई की गई थी। चार साल बाद उनको फिर से शिक्षा मित्र बना दिया गया। इस संबंध में वीरेंद्र केराई का कहना है कि कोर्ट के फैसले के बाद हमारे लिए संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं। अब तो आंदोलन ही एकमात्र उपाय है। हम पारा शिक्षक सभी प्रकार के गैर शैक्षणिक काम तथा ई- विद्यावाहिनी का विरोध करेंगे। 23 मई के बाद इसके लिए व्यापक रणनीति बनाई जाएगी।
इस फैसले से पारा शिक्षकों में हड़कंप मच गया है। कोर्ट ने नियोजित पारा से स्थाई बने शिक्षकों को मुआवजा देकर हटाए जाने का फैसला सुनाकर झारखंड के लगभग पंद्रह हजार शिक्षक जो पारा कोटि से शिक्षक बने हैं, उनकी नौकरी पर भी तलवार लटका दी है। हालांकि कोर्ट का फैसला बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षक और नियोजित से स्थाई बने शिक्षकों के खिलाफ आया है लेकिन इससे उत्तर प्रदेश, झारखंड तथा अन्य राज्यों के पारा शिक्षक व शिक्षा मित्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है। इससे शिक्षा विभाग में भी हड़कंप मचा हुआ है। शिक्षकों के सामने उत्तर प्रदेश का उदहरण है। वहां शिक्षा मित्रों की सेवा स्थाई की गई थी। चार साल बाद उनको फिर से शिक्षा मित्र बना दिया गया। इस संबंध में वीरेंद्र केराई का कहना है कि कोर्ट के फैसले के बाद हमारे लिए संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं। अब तो आंदोलन ही एकमात्र उपाय है। हम पारा शिक्षक सभी प्रकार के गैर शैक्षणिक काम तथा ई- विद्यावाहिनी का विरोध करेंगे। 23 मई के बाद इसके लिए व्यापक रणनीति बनाई जाएगी।
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