भागलपुर : प्रदेश में वर्ष 2015 से
शिक्षक नियोजन बंद रहने के बावजूद गोराडीह प्रखंड में फर्जी तरीके से
शिक्षकों को नियोजन पत्र बांटने और शिक्षकों को विद्यालय में योगदान दिलाने
के मामले की जांच विजिलेंस की टीम कर रही है. शिक्षा विभाग से विजिलेंस ने
गोराडीह मामले की रिपोर्ट तलब की थी, जो स्थापना शाखा के डीपीओ ने सौंप दी
है. इस मामले में नियोजित हुए शिक्षकों की तो गर्दन फंसेगी ही, नियोजन
करनेवाले अधिकारी व कर्मचारी भी बख्शे नहीं जायेंगे.
यह है मामला: बिना किसी विभागीय आदेश के
21 अवैध नियोजित शिक्षकों की नियुक्ति गोराडीह में की गयी थी. स्कूल के
प्रधानाध्यापक पर दबाव बनाकर सात शिक्षकों को स्कूलों में योगदान भी करवाया
गया. जब शिक्षकों को वेतन देने की बारी आयी और उसके वेतन का विपत्र शिक्षा
विभाग के जिला कार्यालय को भेजा गया, तो जिला कार्यालय के संज्ञान में यह
मामला आया. इन शिक्षकों का कोई रिकॉर्ड शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध नहीं
था. नियुक्ति फर्जी तरीके से होने की वजह से उनका वेतन रोक दिया गया.
मामला यहीं नहीं थमा. पिछले वर्ष 14 और शिक्षकों की फर्जी बहाली कर ली गयी.
शिक्षा विभाग के मुताबिक 2015 के बाद
से ही शिक्षकों का नियोजन नहीं हुआ है. नियुक्ति होती भी, तो इसका निर्देश
राज्य मुख्यालय से जिला शिक्षा पदाधिकारी को और जिला शिक्षा पदाधिकारी
द्वारा नियोजन करनेेवाले संबंधित पदाधिकारी को दी जाती. लेकिन ऐसा नहीं
हुआ.
तत्कालीन बीइओ भी कार्रवाई की जद में
गोराडीह में फर्जी तरीके से शिक्षकों का
नियोजन करने और उनका विद्यालय में योगदान कराने के आरोप में तत्कालीन
बीइओ पर भी शिकंजा कस चुका है. प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने बीइओ विनय
कुमार मंडल को उक्त मामले का संलिप्त माना है. बीइओ के खिलाफ निदेशालय ने
विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी है. बीइओ विनय कुमार मंडल अभी पूर्णिया के
अमौर प्रखंड में पदस्थापित हैं. मंडल से प्राथमिक शिक्षा निदेशालय ने
25.9.2017 और रिमाइंडर लेटर 21.2.2018 को अपना पक्ष रखने कहा था.
उनके पक्ष पर विभाग ने असंतोष जताते हुए
उन्हें विभागीय कार्रवाई के अधीन कर दिया. ज्ञात हो कि प्राथमिक शिक्षा
निदेशालय में यह मामला वर्ष 2015 से पड़ा हुआ था. इस मामले का खुलासा
प्रभात खबर ने पिछले वर्ष 2017 को नवंबर में किया. इसके बाद निदेशालय ने
बीइओ को अपना पक्ष रखने को कहा.
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